नई दिल्ली: नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के विरोध में आज बुधवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने 24 घंटे की हड़ताल का ऐलान किया है. इस दौरान ओपीडी सर्विस बंद रहेंगी हालंकि इमरजेंसी कैजुलटी और ऑपरेशन सर्विस जारी रहेंगी. हड़ताल आज बुधवार सुबह 6 बजे से गुरुवार सुबह 6 बजे तक जारी रहेगी. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के साथ 3 लाख 50 हजार डॉक्टर रजिस्टर हैं.
इस हड़ताल को कुछ आरडीए ( रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन) इसका समर्थन कर रहे हैं जबकि कुछ इसका समर्थन इसलिए नहीं कर रहे है क्योंकि ये अभी राज्यसभा में पेश नहीं हुआ है और सरकार से बातचीत चाहते है. फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) और एम्स आरडीए बुधवार को इस हड़ताल में शामिल नहीं होगा. वहीं इस मामले पर क्या करना है इसको लेकर कल कई आरडीए की बैठक है.
बता दें कि सोमवार को लोकसभा ने नेशनल मेडिकल कमीशन बिल 2019 को मंजूरी दे दी, 260 सदस्यों ने इसके पक्ष और सिर्फ 48 ने इसके विरोध में वोट किया. बिल पास होने के बाद स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इसकी जमकर तारीफ की, उन्होंने कहा कि इस बिल से भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगेगी. इस बिल को लाने के पीछे सरकार का मकसद है देश में मेडिकल शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त और पारदर्शी बनाना. देश में एक ऐसी चिकित्सा शिक्षा प्रणाली बनाई जाए जो विश्व स्तर की हो. प्रस्तावित राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग यह सुनिश्चित करेगा कि चिकित्सा शिक्षा के अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट दोनों स्तरों पर उच्च कोटि के डॉक्टर मुहैया कराया जाय.
सरकार जहां इसकी तारीफ करते नहीं थक रही है वहीं तो वहीं डॉक्टर्स इसके विरोध में हैं. डॉक्टरों का विरोध दो मुख्य मुद्दों को लेकर है, पहला है कि बिल के पास होने के बाद एमबीबीएस पास करने के बाद प्रैक्टिस करने के लिए एक टेस्ट देना होगा. ऐसा कोई प्रावधान अभी सिर्फ विदेश से पढ़कर आने वाले छात्रों के लिए के लिए है. इसके बाद दूसरा मुख्य मुद्दा नॉन मेडिकल शख्स को लाइसेंस देकर सभी प्रकार की दवाइयां लिखने और इलाज करने का कानूनी अधिकार देने का है. डॉक्टरों के मुताबिक ऐसा प्रवाधान होने से झोलाछाप डॉक्टर बढ़ेंगे.
विरोध में उतरे डॉक्टरों के मुताबिक बिल के पास होने से मेडिकल एजुकेशन में प्राइवेटाइजेशन बढ़ेगा और मेडिकल एजुकेशन महंगी हो जाएगी. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से जुड़े डॉक्टरों का कहना है कि इस बिल के पास होने से झोलाछाप डॉक्टरों को बढ़ावा मिलेगा.डॉक्टरों के मुताबिक इस बिल के पास होने से चिकित्सा मानकों में गिरावट आएगी.