रेजिडेंट डॉक्टर्स ने रामदेव के बयान का किया विरोध प्रदर्शन, सरकार से एक्शन लेने की मांग
रामदेव की टिप्पणी से आहत दिल्ली के कई अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन के तहत प्रदर्शन किया. विरोध स्वरूप कई डॉक्टरों ने बांहों पर काली पट्टी बांधी.
दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मंगलवार को रेजिडेंट डॉक्टर्स ने ब्लैक डे साइलेंट प्रोटेस्ट किया. यह प्रोटेस्ट बाबा रामदेव के बयान के खिलाफ किया गया. डॉक्टर्स ने अपने बाजू पर काला रिबन बांधकर और हाथ में प्ले कार्ड लेकर अपना विरोध दर्ज करवाया. डॉक्टर्स ने देशभर में प्रदर्शन कर रामदेव के खिलाफ जल्द से जल्द एक्शन की मांग की है. डॉक्टर्स का कहना है कि रामदेव को अपनी टिप्पणियों के लिए माफी मांगनी चाहिए और सरकार को उनके खिलाफ एक्शन भी लेना चाहिए.
फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा), इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और फेमा सहित कई चिकित्सीय संगठनों द्वारा बाबा रामदेव के खिलाफ प्रदर्शन किया गया. इसमें दिल्ली, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, हरियाणा, पंजाब, एमपी और राजस्थान तक सरकारी अस्पतालों में कार्यरत रेजीडेंट डॉक्टरों ने हिस्सा लिया. इससे पहले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन रामदेव बाबा को कानूनी नोटिस थमा चुके हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों में एफआईआर भी दर्ज कराई गई हैं. हालांकि रामदेव की तरफ से अपने दिए गए बयान पर सफाई दी गई और कहा गया कि यह डॉक्टर्स या एलोपेथी के खिलाफ नहीं था.
रामदेव ने वापस ने लिया अपना बयान
रामदेव को वायरल हुई वीडियो क्लिप में दिए गए उस बयान को वापस लेने के लिए हाल में मजबूर होना पड़ा था, जिसमें वह कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल की जा रही कुछ दवाओं पर सवाल उठाते और यह कहते सुने गए कि 'कोविड के लिए एलोपैथिक दवाएं लेने से लाखों लोगों की मौत हो गई.' इस टिप्पणी का चिकित्सकों के संघ ने जोरदार विरोध किया, जिसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने उनसे बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बयान वापस लेने के लिए कहा था.
एक दिन बाद, योग गुरु ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक 'खुले पत्र' में भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) से 25 सवाल पूछे. आरएमएल अस्पताल के आरडीए ने भी फोर्डा को अपना पूरा समर्थन दिया और इसके सदस्यों ने रोगी की देखभाल को बाधित किए बिना विरोध किया. आरडीए ने एक बयान में कहा कि महामारी की पहली और दूसरी लहर के दौरान डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ, पुलिस कर्मियों, मीडियाकर्मियों आदि सहित सभी कोविड योद्धाओं ने प्रभावित लोगों की सेवा के लिए अपनी सीमा से बढ़कर दिन-रात काम किया है.
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