People Want To Quit Tobacco: लत किसी भी चीज की हो बुरी ही होती है. तंबाकू ( Tobacco ) की लत भी ऐसी ही लतों में से एक हैं जो छुडाएं नहीं छूटती है. देश में 26 करोड़ से अधिक लोग तंबाकू का सेवन करते हैं. इन लोगों में से लगभग 60 से 70 फीसदी लोग ऐसे हैं जो तंबाकू छोड़ना चाहते हैं, लेकिन नशे की इस बीमारी को छोड़ने के लिए उन्हें सही मार्गदर्शन नहीं मिल पाता. इस साल विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वर्ल्ड नो टौबैको डे (World No Tobacco Day) पर तंबाकू का बढ़ता प्रभाव देखकर ही 'तंबाकू का पर्यावरण पर प्रभाव' स्लोगन दिया है. तंबाकू के कुप्रभावों से बचने के लिए और आगाह करने के लिए हर साल 31 मई को वर्ल्ड नो टौबैको डे मनाया जाता है.
डब्ल्यूएचओ और वैश्विक एजेंसी ने क्या कहा तंबाकू पर
इस साल वर्ल्ड नो टौबैको डे (World No Tobacco Day) पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ ) की थीम 'तंबाकू का पर्यावरण पर प्रभाव' है. तंबाकू सेहत के साथ ही हमारे पर्यावरण के लिए भी खतरा है, इसलिए डब्ल्यूएचओ ने इस साल इस थीम का चुनाव किया है. साल 2020 में डब्ल्यूएचओ) ने कहा था कि दुनिया भर में लगभग 78 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो तंबाकू छोड़ना चाहते हैं. कोरोनावायरस संक्रमण के बाद ऐसे लोगों की संख्या बढ़ी है, लेकिन इन लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि वे अपनी इस आदत को कैसे छोड़ें, इसलिए डब्ल्यूएचओ ने एक वैश्विक अभियान की शुरुआत की थी.
उधर संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी के मुताबिक, तंबाकू की वजह से हर साल लगभग 80 लाख लोगों की मौत हो जाती है. इनमें से लगभग 70 लाख लोगों की मौत सीधे-सीधे तंबाकू के सेवन की वजह से होती है,जबकि लगभग 12 लाख ऐसे लोग भी मौत का शिकार होते हैं जो खुद तो तंबाकू का सेवन नहीं करते, लेकिन वो तंबाकू सेवन करने वालों के नजदीक होने के कारण बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं.
क्या कहते हैं डॉक्टर्स
दिल्ली संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल के सीएमओ डॉ एस के अरोड़ा कहते हैं कि तंबाकू एकमात्र ऐसा प्रोडेक्ट है जो केवल जान लेने की वजह बनता है, लेकिन इसके बावजूद भी यह कानूनी रूप से बिकता है. पर्यावरण पर भी इसका विपरीत असर पड़ता है. इससे केवल इंसान ही नहीं पानी, जानवर और हवा भी प्रदूषित हो रही है. उन्होंने बताया कि इसका तंबाकू का प्रयोग कम हो रहा है, लेकिन इसके बाद भी हमारे देश में 26 करोड़ से अधिक लोग इसका सेवन कर रहे हैं.