Doda Attack: जम्मू-कश्मीर के डोडा में गुरुवार (18 जुलाई) की सुबह आतंकी हमले में दो सैनिक घायल हो गए हैं. इस हमले को लेकर अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि आतंकियों नेकास्तीगढ़ इलाके के जद्दन बाटा गांव में बुधवार देर रात स्कूल में बने अस्थायी सुरक्षा शिविर पर गोलाबारी की थी. 


सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच एक घंटे से ज्यादा गोलाबारी हुई है. इसके बाद आतंकी जंगल में भाग गए थे, जहां सेना ने उन्हें घेर रखा है. 


डोडा में लगातार हो रहे हैं हमले 


15 जुलाई को डोडा में सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. इस मुठभेड़ में एक कैप्टन और पुलिसकर्मी समेत 5 जवान शहीद हो गए थे. इसके बाद 16 जुलाई को डोडा के डेसा फोरेस्ट बेल्ट के कलां भाटा में रात 10:45 बजे और पंचान भाटा इलाके में रात 2 बजे फिर से फायरिंग हुई थी. इसके बाद ही सेना ने सर्च अभियान चला रखा है. इसको लेकर सेना ने जद्दन बाटा गांव के सरकारी स्कूल में अस्थायी सुरक्षा शिविर बनाया था. 


बता दें कि 2005 में डोडा जिले को आतंकवाद मुक्त घोषित किया गया था. 12 जून के बाद से लगातार हो रहे हमलों में अभी तक सेना के 5 जवान शहीद हुए हैं, जबकि 9 सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं. इसके अलावा सेना ने 3 आतंकियों को भी ढेर किया है. 


सेना ने शुरू किया सर्च अभियान 


पिछले 84 दिन में जम्मू रीजन में  10 आतंकी हमले हुए हैं. इन हमलों में सेना के 12 जवान शहीद हुए हैं. इसके बाद सेना ने अब तक का सबसे बड़ा सर्च ऑपरेशन शुरू किया है. जानकारी के अनुसार, 'इस सर्च ऑपरेशन में सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के 7000 जवान, 8 ड्रोन, हेलिकॉप्टर्स, करीब 40 खोजी कुत्तों को लगाया गया है.'


सर्च ऑपरेशन में राष्ट्रीय राइफल्स और पुलिस के स्पेशल कमांडोज को लगाया है. उन्होंने डोडा और कठुआ जिलों की पीर पंजाल श्रेणी के जंगलों में तलाश शुरू कर दी है. यहां पर सेना ने 5 लोकेशन की तलाश की है. सेना को यहां से  24 आतंकियों की मौजूदगी के सुराग मिले हैं. इनमे वो आतंकी भी हैं, जिनसे डोडा में सेना की मुठभेड़ हुई थी. 


सेना ने पूरी की अपनी तैयारी 


इसको लेकर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि पांच महीने से डोडा और कठुआ आतंकवाद के एपिसेंटर बने हुए हैं. कठुआ के बदनोटा से डोडा के धारी गोटे और बग्गी तक करीब 250 किमी में आतंकी छुपे हुए हैं. यहां पर पहाड़ों की वजह से आतंकी आसानी से घाट लगाकर हमला कर सकते हैं. इसी वजह से सेना के जवानों को  खाने-पीने के सामान व गोला बारूद के साथ तैनात किया गया है.