पटना: जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने न सिर्फ एनआरसी औऱ सीएए के खिलाफ जमकर मुख़ालफ़त की बल्कि लगातार ट्वीट कर बीजेपी विरोधी पार्टियों को एक छतरी के नीचे ला दिया. सीएए पर जेडीयू के संसद के दोनों सदनों में समर्थन के बाद तो उन्होंने अपने ही नेता नीतीश कुमार के ख़िलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया. प्रशांत ने नीतीश को न सिर्फ नसीहत दी बल्कि महात्मा गांधी के नाम पर राजनीति करने को लेकर नसीहत भी दी और उनकी अंतरात्मा को झकझोर दिया. नीतीश के खासमखास नेताओं ने प्रशांत किशोर को पार्टी से बाहर जाने का दरवाजा भी दिखाना चाहा. लेकिन नीतीश और प्रशांत की मुलाकात ने समीकरण ही बदल दिया.


प्रशांत ने इस्तीफे की पेशकश भी की पर नीतीश ने ठुकरा दिया. इसके बाद प्रशांत और भी आक्रमक हो गए. यहां तक कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सोनिया गांधी को एनआरसी पर साथ आने के लिए शुक्रिया कहने लगे. इन सबके बावजूद नीतीश ने बिल्कुल चुप्पी साध रखी है. सारे प्रवक्ता प्रशांत के मामले में बिल्कुल खामोश हैं. क्या प्रशांत को नीतीश का मौन समर्थन हासिल है? हालांकि मंगलवार को बिहार के लखीसराय में एक कार्यक्रम के दौरान नीतीश के बेहद करीबी और लोक सभा में संसदीय दल के नेता ललन सिंह ने प्रशांत को बगैर नाम लिए टिटहरी बताया. पर इस सबके बावजूद प्रशांत पर नीतीश कोई बयान नहीं दे रहे न ही प्रशांत को रोक रहे. आखिर वज़ह क्या है? दरअसल, बिहार में 2020 में विधानसभा के चुनाव है. बीजेपी औऱ जेडीयू के बीच इस बात की सहमति तो बन गई है कि जेडीयू ज़्यादा सीटों पर लड़ेगी पर कितना ज़्यादा यह तय नहीं हुआ है.


नीतीश चाहते हैं कि 2010 में जिस फॉर्मूले पर चुनाव हुए थे उसी आधार पर सीटों का बंटवारा हो. यानि 243 सीटों के विधानसभा में 141 पर जेडीयू और 102 पर बीजेपी लड़े. मुश्किल यह है कि इस बार एनडीए में लोक जनशक्ति पार्टी भी है और उसे भी सीट देनी है. ऐसे में कौन कितनी सीटों की कुर्बानी देगा यह तय नहीं है. झारखण्ड की हार के बाद बीजेपी नेता अपनी ताकत दिल्ली में लगाने जा रहे हैं. जेडीयू भी अपने उम्मीदवार उतारने जा रही है. जबकि प्रशांत किशोर ने दिल्ली में केजरीवाल को जीत दिलाने के लिए कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है. ऐसे में जेडीयू का क्या होगा? प्रशांत आई-पैक नाम की संस्था से जुड़े हैं. हालांकि इस संस्था में सीधे तौर पर नहीं जुड़े हैं लेकिन कमान इनके हाथ में ही है. वहीं पश्चिम बंगाल में भी ममता बनर्जी का साथ दे रहे हैं. बीजेपी के विरोधियों से दोस्ती है पर बीजेपी के साथ भी हैं. 2024 को लेकर प्रशांत अभी से रणनीति बना रहे हैं. नीतीश 2020 में बीजेपी के साथ लड़ेंगे यह अभी तक तय है पर अगर कोई बाधा आती है तो प्रशांत है हीं उस कमी को पूरा करने के लिए.


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