गुरुग्राम में कुत्तों की 11 नस्लों पर बैन के निर्देश से मालिक परेशान, कहा- ये तो तानाशाही है
गुरुग्राम के जितिन ने कहा कि ये आदेश विचित्र है. मैंने अपने दोनों कुत्तों को अपने बच्चे की तरह पाला है. कोई मेरे बच्चे की कस्टडी कैसे ले सकता है? दूसरे मालिकों ने भी बैन को लेकर नाराजगी जाहिर की है.
Gurugram Dogs Breed Banned: गुरुग्राम में जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने गुरुग्राम नगर निगम (MCG) को 11 विदेशी नस्लों के पालतू कुत्तों पर प्रतिबंध लगाने, इन्हें हिरासत में लेने और उनका पंजीकरण रद्द करने के निर्देश जारी किए हैं. वहीं अब इन कुत्तों के मालिकों ने कहा कि वे असमंजस में हैं. उन्होंने आदेश को लेकर कहा कि यह अतार्किक है और तानाशाही है.
2016 की केंद्र सरकार की एक अधिसूचना का हवाला देते हुए आयोग ने कहा था कि कुछ नस्लों के पालतू कुत्ते - अमेरिकन पिट-बुल टेरियर्स, डोगो अर्जेंटिनो, रॉटवीलर, नीपोलिटन मास्टिफ, बोअरबेल, प्रेसा कैनारियो, वुल्फ डॉग, बैंडोग, अमेरिकन बुलडॉग, फिला ब्रासीलेरो और केन कोरो तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित हैं.
'एक परिवार एक कुत्ता रखेगा'
अगस्त में गुरुग्राम में एक पालतू कुत्ते के हमले के बाद घायल हुई एक महिला के लिए 2 लाख रुपये के अंतरिम मुआवजे की घोषणा करते हुए, आयोग ने नगर निकाय को पालतू कुत्तों के पंजीकरण को अनिवार्य करने के निर्देश भी जारी किए. निर्देश में कहा गया कि एक परिवार एक कुत्ता रखेगा, सार्वजनिक स्थानों पर कुत्ते के मुंह को जालीदार टोपी से ढंका जाएगा और प्रत्येक पंजीकृत कुत्ते को एक कॉलर पहनना चाहिए, जिसमें एक धातु का टोकन और एक धातु की चेन जुड़ी होनी चाहिए.
'यह आदेश विचित्र है'
इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, सेक्टर 46 निवासी जितिन राव, जो दो रॉटवीलर के मालिक हैं. उन्होंने कहा, "यह आदेश विचित्र है...मैंने अपने दोनों कुत्तों को अपने बच्चे की तरह पाला है. कोई मेरे एक बच्चे की कस्टडी कैसे ले सकता है? कुत्ते का स्वभाव प्रशिक्षण और पालन-पोषण सहित कई कारकों पर निर्भर करता है. हमारे पड़ोस में किसी को भी मेरे कुत्तों को रखने से कोई आपत्ति नहीं है...मैं कुत्ते के काटने की एक छिटपुट घटना के आधार पर इन नस्लों पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश जारी करने के औचित्य को नहीं समझता...क्या फोरम ने किसी अध्ययन या डेटा पर भरोसा किया है जो कहता है कि कुत्तों के काटने के अधिकांश मामले इन 'क्रूर' या पालतू नस्लों के कारण होते हैं."
बुलडॉग के मालिक ऋषभ चौहान ने कहा कि अधिकारियों के पास इन निर्देशों को लागू करने के लिए बुनियादी ढांचे की कमी है और अगर आदेश लागू होते हैं तो इन नस्लों को छोड़ दिया जाएगा. उन्होंने कहा, "आवारा कुत्तों की आबादी का समर्थन करने और नसबंदी और टीकाकरण करने के लिए पर्याप्त कुत्ता भी आश्रय नहीं है."
'कुछ नस्लों के बारे में नकारात्मक धारणा है'
एक केनेल और एक स्टडी फार्म चलाने वाले शहर के एक पालतू ब्रीडर हेमंत कुमार ने कहा, "डोगो अर्जेंटीना, रॉटवीलर और पिटबुल जैसी कुछ नस्लों के बारे में लोगों में नकारात्मक धारणा है...इनमें से कुछ परंपरागत रूप से रक्षक कुत्ते हैं और वे आमतौर पर तब तक मनुष्यों पर हमला नहीं करते जब तक उन्हें उकसाया न जाए. अक्सर सुरक्षा चिंताओं के कारण, उन्हें घुसपैठियों के प्रवेश को रोकने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, लेकिन बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि कुत्ते को कैसे प्रशिक्षित किया जाता है."
हेमंत कुमार ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर हर समय कुत्ते का गला दबाना उसके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और इससे सांस लेने में समस्या हो सकती है. कुमार ने आगे कहा, "सार्वजनिक स्थानों पर मुंह को किसी से ढकने से व्यवहार संबंधी समस्याएं हो सकती हैं और इससे कुत्ते असुरक्षित और उत्तेजित हो सकते हैं."
वकील का इस पूरे मामले में क्या कहना है?
एक वकील चित्रांशुल सिन्हा ने कहा कि उपभोक्ता फोरम के पास रिट कोर्ट की तरह आदेश पारित करने की कोई अंतर्निहित शक्तियां नहीं हैं. उन्होंने कहा, "गुरुग्राम उपभोक्ता फोरम के पास इस प्रकार के आदेश पारित करने का अधिकार क्षेत्र नहीं है. नगर निगम के खिलाफ राहत की मांग करने वाले व्यक्ति को आदर्श रूप से हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर करनी चाहिए थी...यह और भी विचित्र है क्योंकि इसने सभी पालतू कुत्तों की नस्लों पर कब्जा करने का आदेश पारित किया है.
उपभोक्ता फोरम के निर्देशों को लागू किया जाएगा या नहीं इस पर एमसीजी के संयुक्त आयुक्त, विजय पाल यादव ने कहा, "हम फोरम के निर्देशों की जांच और समीक्षा कर रहे हैं, उसके बाद कोई निर्णय लिया जाएगा. हम वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा करेंगे और अगर आवश्यक हुआ तो कुत्ते के मालिकों को नोटिस भेजे जाएंगे."
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