नई दिल्ली: डोकलाम को लेकर चीन से जारी विवाद के बीच कल विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में कहा है कि युद्ध से किसी बात का समाधान नहीं हो सकता. बातचीत के जरिये डोकलाम गतिरोध का परस्पर स्वीकार्य हल निकल जाएगा.  भारत मतभेदों के समाधान के लिए चीन के साथ बातचीत कर रहा है.

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युद्ध कोई हल नहीं, बातचीत हो सकता है समाधान- सुषमा

सुषमा ने कहा, ‘‘युद्ध किसी भी चीज का हल नहीं है. युद्ध के बाद भी बातचीत करनी होती है, इसलिए युद्ध के बिना बातचीत होनी चाहिए. धैर्य, टिप्पणियों पर नियंत्रण और कूटनीति समस्याओं को सुलझा सकती है.’’  उन्होंने कहा कि यदि धैर्य खो दिया तो दूसरी ओर उकसावा हो सकता है. स्वराज ने राज्यसभा में बताया, ''भारत मतभेदों के समाधान के लिए चीन के साथ बातचीत कर रहा है, इसमें न केवल डोकलाम में गतिरोध बल्कि सीमा विवाद, परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह और आतंकवादी संगठन जैशे मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंध को बाधित करने जैसे सभी मामले शामिल हैं.’’

डोकलाम में चीन की कार्रवाई चिंता की बात- सुषमा

सुषमा ने कहा, ‘‘भारत, चीन और भूटान ट्राइजंक्शन सीमा के पास सिक्किम सेक्टर के डोकलाम क्षेत्र में घटनाक्रमों के चलते हाल में चीन के साथ हमारे संबंध पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित हुआ है. डोकलाम में चीन की कार्रवाई चिंता की बात है.’’ सुषमा ने एक बयान पढ़ा जिसमें एक महीने से अधिक समय से जारी डोकलाम गतिरोध पर जानकारी के साथ ही भारत का पक्ष समझाया गया.

सुषमा का पूरा भाषण यहां क्लिक करके पढ़ें- 

सुषमा स्वराज ने कहा, "उस पत्र का एक पूर्ण और सटीक विवरण यह भी सामने आया है कि प्रधानमंत्री का दावा स्पष्ट रूप से सीमा रेखा पर आधारित था, जैसा कि हमारे पहले प्रकाशित नक्शे में दिखाया गया है."

स्वराज ने यह भी कहा, "अपने हाल के दस्तावेज में चीनी पक्ष ने भारत-चीन सीमा क्षेत्र में शांति बनाए रखने की प्रतिबद्धता जाहिर की है. भारत का हमेशा मानना है कि भारत-चीन सीमा पर शांति हमारे द्विपक्षीय संबंधों के सुचारु विकास के लिए महत्वपूर्ण शर्त है."

विदेश मंत्री ने कहा, "हम कूटनीतिक माध्यमों के जरिए चीनी पक्ष से अस्ताना में अपने नेताओं में हुए सहमति पर पारस्परिक स्वीकार्य हल के लिए लगातार संपर्क जारी रखेंगे. मैंने सदन की भावना को सहयोगात्मक महसूस किया है." उन्होंने कहा, "इस संदर्भ में भूटान के साथ पारंपरिक और अद्वितीय दोस्ती बनाए रखते हुए हम भूटान की राजशाही के साथ भी गहन परामर्श और समन्वय बनाए रखेंगे."