Bhutan PM Lotay Tshering On Doklam Issue: डोकलाम में भारतीय और चीनी सैनिकों के आमने-सामने होने के छह साल बाद भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने ऐसा बयान दिया है जो भारत की फिक्र बढ़ा सकता है. उन्होंने कहा है कि बीजिंग का हाई एल्टीट्यूड वाले पठार पर विवाद का हल खोजने में बराबर का अधिकार है. दरअसल भारत मानता है कि चीन का यहां अवैध रूप से कब्जा है.


ये बातें पड़ोसी दोस्त देश भूटान के पीएम ने बेल्जियन डेली अखबार ला लिबरे के एक इंटरव्यू में कहीं हैं. इतना ही नहीं उन्होंने भूटानी क्षेत्र में चीनी गांवों के निर्माण की खबरों का भी खंडन किया है. उन्होंने ये भी कहा कि डोकलाम मुद्दे को सुलझाना 'अकेले भूटान के लिए नहीं' है.


भूटान का किया चीनी गांवों की बसावट से इंकार


भूटान के पीएम शेरिंग ने भूटानी क्षेत्र में चीनी गांवों के निर्माण की खबरों को सिरे नकार दिया है. इसके साथ ही उन्होंने डोकलाम मुद्दे को सुलझाने को लेकर भी संजीदा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि ये अकेले भूटान का मुद्दा नहीं है. साल 2020 में कुछ सैटेलाइट फोटो के जरिए ये खुलासा हुआ था कि चीन ने भूटान की सीमा में दो किलोमीटर भीतर तक जाकर गांव बसाए हैं. उस वक्त भूटान की तरफ से इस मामले में कुछ नहीं कहा गया था.


उन्होंने ये भी कहा, '' हम तैयार हैं. जैसे ही बाकी की दोनों पार्टियां (चीन-भारत) भी तैयार होंगी, हम चर्चा कर सकते हैं.'' यह एक इशारा  है कि थिम्फू विवाद के केंद्र को लेकर भारत, चीन और भूटान के बीच डोकलाम में ट्राई-जंक्शन की स्थिति पर बातचीत करने को तैयार है. पीएम शेरिंग का ये एलान भूटानी और चीनी अधिकारियों के दोनों देशों के बीच सीमा विवादों को निपटाने के लिए "तीन-चरणीय रोडमैप" पर चर्चा करने के कुछ महीने बाद किया है. ये चर्चा चीन के दक्षिण-पश्चिमी शहर कुनमिंग में हुई थी.


भारत क्यों चाहता है चीन रहे दूर भूटान से?


डोकलाम भारत के पड़ोसी देश भूटान में आता है. ये भारत को पूर्वोत्तर से जोड़ने वाले सिलीगुड़ी कॉरिडोर के नजदीक है. इस वजह से भारत चाहता है कि चीन डोकलाम से दूरी बनाकर रखें. साल 2017 में भारत और चीन के बीच विवाद की वजह भी यही इलाका बना था. तब भारत और चीन के बीच 73 दिनों से अधिक तक डोकलाम में गतिरोध के हालात पैदा हुए थे. दोनों देशों की सेनाओं में झड़प भी हुई थी.


आखिरकार दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुए इस तनाव का हल कूटनीतिक बातचीत के बाद निकाला गया था. चीन ने यहां सड़क का निर्माण करना शुरू किया था. तब भारत ने उसके मंसूबों को पूरा नहीं होने दिया था. चीन की मंशा ट्राई-जंक्शन को बटांग ला से लगभग 7 किमी दक्षिण में माउंट जिपमोची नाम की चोटी पर शिफ्ट करने की है. अगर चीन इसमें कामयाब हो जाता है तो पूरा डोकलाम पठार कानूनी तौर पर चीन का हिस्सा बन जाएगा. भारत को चीन की इसी बात से एतराज है.


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