F-35 Fighter Jet: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ को लेकर जो फैसला लिया है, उससे बड़े देश भी सहमे हुए हैं. हालांकि कई ऐसे देश भी हैं, जो ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ का विरोध जता रहे हैं. टैरिफ का विरोध करते हुए कई देश अमेरिकी फाइटर जेट F-35 को लेकर हुई डील का रिव्यू कर रहे हैं और अगर उन्होंने इस डील को कैंसिल किया तो इससे अमेरिका को झटका लग सकता है, लेकिन ये भारत के लिए बड़ा मौका साबित हो सकता है. 


दुनिया के सबसे ताकतवर फाइटर जेट्स में से एक F-35 को खरीदने के लिए कनाडा, पुर्तगाल, तुर्की, जर्मनी और स्विट्जरलैंड जैसे देशों ने अमेरिका से डील की थी, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ के फैसले ने इन देशों को सोचने पर मजबूर कर दिया है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर फाइटर जेट बनाने वाली कंपनी लॉकहीड मार्टिन के साथ इन देशों की डील कैंसिल होती है तो ये अमेरिका के लिए बड़ा झटका होगा. दरअसल कंपनी ने इन फाइटर जेट्स को एक्सपोर्ट के हिसाब से ही तैयार किया गया है, ऐसे में वो अमेरिकी एयरफोर्स के किसी काम नहीं आएंगे. अगर ऐसे हालात बने तो कंपनी को ये फाइटर जेट औने-पौने दाम पर बेचने पड़ सकते हैं. ऐसी स्थिति में भारत के लिए ये फायदे वाला मौका साबित हो सकता है. 


किस देश ने कितने F-35 का दिया था ऑर्डर? 


डिफेंस डॉट इन के मुताबिक, कनाडा ने साल 2023 में 88 F-35 फाइटर जेट का सौदा किया था. 2026 से इन जेट्स की सप्लाई भी शुरू होने वाली है. इसी तरह पुर्तगाल ने 24, तुर्की ने 100, जर्मनी ने 35 और स्विट्जरलैंड ने 36 फाइटर जेट के लिए डील की थी. अब टैरिफ और रूस-यूक्रेन युद्ध में ट्रंप के बदले हुए रुख की वजह से ये देश अपनी डील को रिव्यू करने वाले हैं. अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन F-35 का प्रोडक्शन करती है. लॉकहीड मार्च 2025 तक दुनिया में 1100 से ज्यादा F-35 फाइटर जेट की सप्लाई कर चुकी है. 


भारत के लिए हो सकता है मौका


अगर इन देशों ने अमेरिका के साथ F-35 फाइटर जेट की डील कैंसिल की तो इसका फायदा भारत को मिल सकता है. दरअसल चीन और पाकिस्तान जैसे देशों से घिरे होने की वजह से भारतीय वायुसेना को 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है, लेकिन फिलहाल उसके पास 31 स्क्वाड्रन ही हैं. ऐसे में भारत को बड़ी संख्या में फाइटर जेट्स की जरूरत है. भारतीय वायुसेना के पास फिलहाल सबसे अपग्रेडेड 4.5 पीढ़ी के फाइटर जेट राफेल ही हैं, जबकि उसके पड़ोसी चीन के पास 5वीं पीढ़ी के जेट हैं और पाकिस्तान भी चीन से 5वीं पीढ़ी का J-35 खरीदने का सोच रहा है. 


भारत को चाहिए 200 फाइटर जेट्स 


भारतीय वायुसेना को इस समय 200 फाइटर जेट्स की जरूरत है. ऐसे में वो 4.5 और 5वीं दोनों ही पीढ़ी के जेट को खरीदने पर विचार कर रहा है, लेकिन उसके लिए स्वदेशी फाइटर जेट्स पहली प्राथमिकता है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने DRDO के साथ मिलकर तेजस MK1A फाइटर जेट्स का प्रोडक्शन शुरू कर दिया है. ये 4.5 पीढ़ी के विमान हैं. इसके साथ ही (HAL) 5वीं पीढ़ी का अपना लड़ाकू विमान भी डेवलप कर रहा है. इसे 2030 तक बना लिए जाने की संभावना है. इसके लिए भारत के पास दो ऑप्शन और हैं- रूस का सुखोई-57 और अमेरिका का F-35. दरअसल ये दोनों ही फाइटर जेट काफी महंगे हैं, इसलिए भारत अपना स्वदेशी बेड़ा ही तैयार करना चाहता है.