भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर दुव्वुरी सुब्बाराव ने सोमवार (2 दिसंबर, 2024) को कहा कि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ब्रिक्स देशों पर 100 फीसदी शुल्क लगाने की धमकी के मायने अभी स्पष्ट नहीं है क्योंकि अभी यह देखना होगा कि अमेरिकी कानून इस तरह की कार्रवाई करने की अनुमति देता भी है या नहीं. उन्होंने यह भी कहा कि डोनाल्ड ट्रंप को कदम उठाने से ज्यादा, अधिक बोलने के लिए जाना जाता है.
डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को अमेरिकी डॉलर में व्यापार न करने पर उन देशों से आयात पर 100 फीसदी शुल्क लगाने की धमकी दी है. दुव्वुरी सुब्बाराव ने कहा कि ब्रिक्स में भी अमेरिकी डॉलर के जगह किसी और करेंसी के इस्तेमाल को लेकर आंतरिक मतभेद हैं. भारत, रूस, चीन और ब्राजील सहित नौ सदस्यों वाले ब्रिक्स समूह की ओर से अमेरिकी डॉलर से परे कोई अन्य करेंसी अपनाने का प्रयास राजनीति और आर्थिक दोनों कारणों से अभी तक सफल नहीं हो पाया है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के साथ एक इंटरव्यू में दुव्वुरी सुब्बाराव ने कहा, 'डोनाल्ड ट्रंप ने डॉलर को छोड़ने की कोशिश करने वाले देशों से आयात पर 100 फीसदी शुल्क लगाने की धमकी दी है. उनका गुस्सा खास तौर पर ब्रिक्स पर था जो डॉलर के विकल्प को तलाशने के लिए सक्रिय रूप से विचार कर रहा है. डोनाल्ड ट्रंप कोई कदम उठाने से अधिक, बातें बनाने के लिए जाने जाते हैं.'
उन्होंने कहा, 'इस धमकी के मायने स्पष्ट नहीं हैं. अमेरिका यह निर्धारित करने के लिए किस पैमाने का इस्तेमाल करेगा कि कोई देश डॉलर के अलावा किसी अन्य मुद्रा में व्यापार न करें? और क्या अमेरिकी कानून केवल इसलिए देशों पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति देता है क्योंकि वे डॉलर से परे किसी अन्य मुद्रा का चयन कर रहे हैं?'
ब्रिक्स का गठन 2009 में किया गया था. यह एकमात्र ऐसा प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समूह है जिसका अमेरिका हिस्सा नहीं है. भारत, रूस, चीन, ब्राजील दक्षिण अफ्रीका, ईरान, मिस्र, इथियोपिया और संयुक्त अरब अमीरात इसके सदस्य हैं. इसके कुछ सदस्य देश खासकर रूस और चीन पिछले कुछ सालों से अमेरिकी डॉलर का विकल्प या अपनी खुद की ब्रिक्स मुद्रा बनाने पर विचार कर रहे हैं. भारत अभी तक इस कदम का हिस्सा नहीं रहा है.
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