जम्मूः अमरनाथ यात्रा को लेकर अभी भी संशय बरकरार है. 28 जून से शुरू होने वाली इस साल की अमरनाथ यात्रा को लेकर जम्मू-कश्मीर सरकार ने पहले ही पंजीकरण पर रोक लगा दी है. अब जबकि इस यात्रा के शुरू होने में कुछ ही दिन बाकी है तो इस यात्रा में एक अहम भूमिका निभाने वाले सभी लंगर संस्थाएं सरकार से इस यात्रा को लेकर स्थिति साफ करने की मांग कर रहे हैं.


श्री अमरनाथ लंगर ऑर्गेनाइजेशन के वकील अंकुर शर्मा के मुताबिक इस साल की अमरनाथ यात्रा पर संशय की स्थिति बनी हुई है और यह संशय की स्थिति तब ज्यादा बढ़ जाती है जब एक तरफ सरकार पंजीकरण पर रोक लगाती है और दूसरी तरफ कुछ लंगर संस्थाओं को लंगर लगाने की इजाजत दे देती है.


अंकुर के मुताबिक अगर इस साल की अमरनाथ यात्रा करवाई जानी है तो सरकार उस पर स्थिति साफ करे ताकि इस यात्रा में आने वाले लोग अपनी बुकिंग और दूसरी चीजों को पहले से तय कर लें.


लंगर संस्था ने सरकार से गुहार लगाई है कि वह इस साल की अमरनाथ यात्रा ठीक उसी तर्ज पर करें जिस तर्ज पर श्री वैष्णो देवी जी की यात्रा करवाई जा रही है. लंगर संस्था ने सरकार से गुहार लगाई है कि सभी जरूरी प्रोटोकॉल्स का ध्यान रखते हुए अगर वैष्णो देवी की यात्रा करवाई जा सकती है तो अमरनाथ यात्रा करवाने में क्या दिक्कत है.


वहीं, जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के उस निर्देश को भी पलट दिया है जिसमें श्राइन बोर्ड ने इस साल के अमरनाथ यात्रा के दौरान लंगर की सुविधा देने वाले सभी लंगर संस्थानों को अपने किस से 3 साल के ऑडिटेड बैलेंस शीट देने को कहा था.


इस मामले की अदालत में सुनवाई कर रहे नगर संस्थाओं के वकील अंकुर शर्मा के मुताबिक से अमरनाथ यात्रा के दौरान जो भी लंगर अपनी सेवाएं दे रहे हैं वह इन सेवाओं के दौरान इस्तेमाल होने वाले सामान का दान लेते हैं और दान का हिसाब रखना मुश्किल होता है.


वहीं, जम्मू में व्यापारियों की सबसे बड़ी संस्था चेंबर ऑफ कॉमर्स पहले ही सरकार को इस साल की अमरनाथ यात्रा करवाने की गुहार लगा चुका है. इस संस्था के मुताबिक अगर इस साल अमरनाथ यात्रा नहीं होती तो जम्मू के व्यापारियों को करीब 20 हजार करोड़ का नुकसान उठाना पड़ सकता है.


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