Downtown Heroes: डाउनटाउन के नाम से मशहूर श्रीनगर का पुराना शहर कभी पथराव और उग्रवाद से जुड़ी घटनाओं का केंद्र माना जाता था, लेकिन आज इसे नई पहचान दिलाई है एक फुटबॉल क्लब ने, जिसे तीन युवाओं ने मिलकर शुरू किया था. 


2020 में श्रीनगर के डाउनटाउन में इस मिशन की शुरुआत उस समय हुई, जब इस क्लब के संस्थापकों में से एक ने अपने क्षेत्र के स्कूली बच्चे को ड्रग्स का आदी देखा. 29 वर्षीय हिनान मंजूर ने पड़ोस में खतरनाक रूप से फैल रही नशे की लत को खत्म करने का संकल्प लिया और इसे मुहिम बनाकर मुश्ताक बशीर और कैसर भट के साथ जुड़ गए.


डाउनटाउन हीरोज फुटबॉल क्लब की स्थापना
तीनों की मुहिम रंग लाई और एक साल के भीतर ही एनजीओ चलाने वाले इरफान शाहमीरी ने इन तीनों के साथ हाथ मिलाया. इसके बाद डाउनटाउन हीरोज के नाम से फुटबॉल क्लब की स्थापना हुई. क्लब की शुरुआत ने न सिर्फ युवाओं की मदद की, बल्कि अलगाववाद के लिए पहचाने जाने वाले शहर की तस्वीर भी बदली.


क्लब से निकल रहे यूथ आइकन
क्लब में सबसे पहले 15 साल का आफरीन बशीर शामिल हुआ था. वह एक ऐसे समूह में फंस गया था, जिसमें अधिकांश बच्चे किसी न किसी तरह के नशे की लत के शिकार थे. आफरीन भी ड्रग एडिक्ट बनने की राह पर था और शायद बन भी जाता, लेकिन इसी दौरान वह हिनान और अन्य के संपर्क में आया. डाउनटाउन हीरोज की टीम ने उसे क्लब में शामिल किया और फुटबॉल खेलना सिखाया. सिर्फ चार सालों में वह न केवल डूरंड कप में भाग लेने वाली टीम का हिस्सा है, बल्कि एक युवा आइकन भी बना.


आफरीन इन दिनों आगामी डूरंड कप मैच के लिए अभ्यास कर रहा है. उसका कहना है, "मैं भी अपने उन दोस्तों की तरह बन जाता, जो अभी भी ड्रग्स का सेवन कर रहे हैं और उसके आदी हैं. फुटबॉल ने न केवल मुझे नाम और शोहरत दी बल्कि मेरी जान भी बचाई."


आफरीन अकेला नहीं
इस क्लब में आफरीन अकेला नहीं है जो नशे की लत में पड़ते-पड़ते बचा. पुराने शहर के नौहट्टा से आने वाले 22 वर्षीय जुबैर आखून की कहानी भी कुछ ऐसी है. जुबैर के अधिकांश दोस्त या तो बुरी संगत में हैं या ड्रग्स के शिकार हैं, लेकिन उनके पिता फुटबॉल के शौकीन थे. उन्होंने जुबैर को सही राह पकड़ने में मदद की और क्लब तक पहुंचाया. जुबैर ने टॉम टीमों के साथ राष्ट्रीय स्तर पर खेलकर नाम कमाया है.


टीम मैनेजर जावेद मीर का कहना है कि उनकी मौजूदा टीम में कम से कम तीन लड़के ऐसे हैं, जो पहले नशे के आदी थे. हालांकि, उन्होंने उनका नाम या पहचान नहीं बताई. जावेद मीर ने कहा, "मैंने ऐसे मामले देखे हैं, जहां लोगों ने ड्रग्स के लिए हत्या की. मैंने एक ऐसा मामला देखा है, जहां एक नशेड़ी भाई ने ड्रग्स खरीदने के लिए सोने के गहने लेने के लिए अपनी बहन की कलाई और उंगली काट दी."


जावेद आगे कहते हैं, "हम नहीं चाहते कि हमारे युवा लड़के और लड़कियां नशे के जाल में फंसे. उन्हें फुटबॉल जैसा खेल खेलना चाहिए. हम कश्मीर में एक और पंजाब नहीं चाहते."


चार सालों में बदल दी तस्वीर
जम्मू और कश्मीर खेल परिषद ने अधिक से अधिक युवाओं को खेल से जोड़ने के लिए एक व्यापक आउटरीच कार्यक्रम शुरू किया है, क्योंकि 65 प्रतिशत नशे के आदी लोगों की आयु 15-30 साल है. डाउनटाउन फुटबॉल क्लब भी स्पोर्ट्स काउंसिल के अभियान में शामिल हो गया है.


क्लब की फुटबॉल टीम आई-लीग 2 में दूसरे स्थान पर रही और वर्तमान में जम्मू कश्मीर फुटबॉल एसोसिएशन (जेकेएफए) प्रोफेशनल लीग का नेतृत्व कर रही है. अगले महीने क्लब राष्ट्रीय फुटबॉल सर्किट में उतरेगा और असम के कोकराझार में डूरंड कप में भाग लेगा. बता दें कि कश्मीर घाटी में किसी निजी स्वामित्व वाले फुटबॉल क्लब ने पहली बार यह उपलब्धि हासिल की है.


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