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घर पर ही ऑक्सीजन लेवल को कैसे रखें दुरुस्त? मेदांता अस्पताल के डॉ. अरविंद कुमार ने बताया

कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सीजन की सही मात्रा में मिलना बहुत आवश्यक है लेकिन अगर ऑक्सीजन लेवल कम हो जाए तो ऑक्सीजन मिलने तक क्या करना चाहिए यह जानना जरूरी है.

नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी सबसे बड़ा मुद्दा बन गई है. पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन न मिल पाने की वजह से लगातार मरीजों की मौत की खबरें आ रही हैं. इस बीच हमने जानने की कोशिश की है कि किस तरह से घर पर ही ऑक्सीजन लेवल को दुरुस्त किया जा सकता है. इसको लेकर एबीपी न्यूज़ ने मेदांता अस्पताल के डॉ. अरविंद कुमार के साथ विशेष बातचीत की.

टेस्टिंग
कोविड-19 टेस्ट को लेकर लोगों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. या तो कोरोना टेस्ट हो नहीं पा रहा है या फिर इसका रिजल्ट बहुत देरी से मिल रहा है. इसे लेकर डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि पिछले साल बुखार कोरोना का एक मुख्य लक्षण था लेकिन इस बार गले में खराश, जुकाम, सिर में दर्द होना, नाक बहना, जैसे लक्षण दिख रहे हैं. वहीं बुखार कुछ लोगों को एक-दो दिन के बाद आ रहा है. डॉ. अरविंद के मुताबिक अगर इनमें से कोई भी लक्षण अगर हो तो इसे बिना टेस्टिंग के ही कोरोना मानें और अपने आप को आइसोलेट कर लें.

ऑक्सीजन लेवल कैसे चेक करें?
डॉ. अरविंद ने कहा कि जो लोग घर पर इलाज करा रहे हैं. वह किसी डॉक्टर से टेलीकॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संपर्क में रहें और उनकी सलाह पर घर में ही ट्रीटमेंट करें. उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन मॉनिटरिंग के लिए ऑक्सीमीटर का इस्तेमाल करें. इसे लगाना बहुत अहम होता है. जब आप ऑक्सीमीटर को खोलते हैं तो उसके अंदर एक रेड लाइट जलती दिखती है. जिधर रेडलाइट दिखाई दे वहां आपका नाखून होना चाहिए.

डॉ. अरविंद ने कहा कि ऑक्सीमटर में उंगली डालने के बाद इसे दो-तीन मिनट तक लगा रहने दें. शुरुआती रीडिंग को न देखें, जब स्टेबेल रीडिंग हो जाए तो उस रीडिंग को ही मानें. 94 तक नॉर्मल माना जाता है. अगर इससे कम है तो इसका मतलब है कि आपको तुरंत ऑक्सीजन की जरूरत है. आपको अस्पताल जाने की जरूरत है या आजकल लोग घर पर ही ऑक्सीजन ले रहे हैं.

ऑक्सीजन लेवल कैसे ठीक करें?
डॉ. अरविंद ने कहा कि जब तक मरीज को ऑक्सीजन नहीं मिलती तब तक उसको कुछ एक्सरसाइज करनी चाहिए. उन्होंने बताया कि जब हम पेट के बल लेट जाते हैं तो पेट के बल लेटेने से छाती के अंदर और फेफड़े के अंदर, बल्ड सप्लाई और हवा के समिश्रण में कुछ बदलाव होता है. जिससे ऑक्सीजेनेशन 5 से 10 प्रतिशत बढ़ जाता है. सीधे बैठकर अपने कंधों को ऊपर नीचे मूव करना चाहिए. बाजुओं को ऊपर नीचे लाना चाहिए. इसके अलावा एक ब्रेथ होल्डिंग एक्सरसाइज बहुत जरूरी है.

इसमें हम मुंह खोलकर गहरा सांस लेते हैं और जितना गहरा खींच सकते हैं उतना खींच कर सांस को जितनी देर तक रोक सकते हैं रोकत हैं. जब हम गहरी सांसें खींचते हैं तो हमारे फेफड़े बेस्ट कैपेसिटी से काम करते हैं. जिनका 94 से कम ऑक्सीजन है उन्हें ये व्यायाम करने चाहिए. इससे तीन फायदे होते हैं- अगर आपको माइनर ऑक्सीजन जरूरत है तो शायद जरूरत ही न पड़े. ऑक्सीजन की जरूरत अगर पड़ भी जाए तो आपको कम ऑक्सीजन देनी पड़ेगी. तीसरा फायदा यह है कि जब तक ऑक्सीजन, बेड, अस्पताल का अरेंजमेंट होता है तब तक आपको ऑक्सीजन बढ़ाने का मौका मिल जाता है.

मरीज को एकदम से अधितम ऑक्सीजन न दें
डॉ. अरविंद ने यह भी बताया कि मरीज को एकदम से अधिकतम ऑक्सीजन नहीं देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सिलेंडर से जब ऑक्सीजन कनेक्ट करते हैं तो प्राय: हम नॉब को पूरा खोल देते हैं और मैक्सिमम ऑक्सीजन पेशेंट को मिलता है.

डॉ. अरविंद ने कहा कि अगर आप जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन देंगे तो ऑक्सीजन टॉक्सीसिटी हो सकती है, जिस पेशेंट के लंग काफी डैमेज हैं तो उसको 100 प्रतिशत ऑक्सीजन देने से बॉडी में कॉर्बनडाई ऑक्साइड का लेवल बढ़ सकता है और मरीज बेहोश हो सकता है. 100 को टारगेट कभी न करें 94 आपकी अपर लिमिट होनी चाहिए.

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