नई दिल्ली: राजस्थान के कुछ ज़िलों में कोरोना वैक्सीन की बर्बादी की खबरें सामने आने के बाद स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर मामले की जांच करने को कहा है. दरअसल राजस्थान के बूंदी में कोरोना की वैक्सीन कूड़े में पड़ी मिली है.
डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा, "राजस्थान के कुछ ज़िलों में कोरोना वैक्सीन की बर्बादी की ख़बरों को गंभीरता से लेते हुए मैंने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा जी को पत्र लिखकर मामले की जांच करने को कहा है. मैंने वैक्सीन की बर्बादी रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर बेहतर योजना बनाने को कहा है."
नियमों के मुताबिक वैक्सीनेशन प्रक्रिया के दौरान 10 फीसदी तक अगर वैक्सीन बर्बादी होती है तो उसे स्वभाविक माना जाता है. लेकिन राजस्थान चुरू, हनुमानगढ़, कोटा, भरतपुर और चित्तौड़गढ़ उन ज़िलों में से हैं, जहां वैक्सीन की बर्बादी अधिक मात्रा में हो रही है.
बूंदी ज़िले में कूड़े में मिली वैक्सीन
एबीपी न्यूज़ ने राजस्थान में जब वैक्सीन की बर्बादी की पड़ताल की तो पता चला कि वैक्सीन के ढेरो वॉयल कूड़े से मिले. जो वायल मिले उनमें से ज्यादातर मैं वैक्सीन भरी पाई गई. बूंदी में इस मामले की पड़ताल करने पर पता चला कि बूंदी में गांव वालों ने एक वॉयल से कुछ वैक्सीन लगवाई और बाकी लोग वैक्सीनेशन के लिए पहुंचे ही नहीं, जिसकी वजह से वैक्सीन को कूड़े में डालना पड़ा. हालांकि सीएएचओ ने कहा है कि इस मामले की जांच की जाएगी, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि बूंदी में बेहद कम बरबादी है, कुछ ज़िलों में वैक्सीन की बर्बादी ज्यादा है.
आपको बता दें कि देश में वैक्सीन की बर्बादी का औसत 6.3 फीसदी के आसपास है. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक राजस्थान में वैक्सीन की बर्बादी राष्ट्रीय स्तर से काफी कम है.
अजमेर में बर्बादी नहीं होने का दावा
अजमेर के सीएमएचओ डॉ केके सीनी ने कहा कि यहां वैक्सीन की बर्बादी नहीं हो रही. उन्होंने कहा कि हम एक वायल से 8 से 9 लोगों को वैक्सीन की डोज़ लगा रहे हैं और 2-3 लोगों के लिए वॉयल नहीं खोलते. एक वायल से 1-2 डोज़ बर्बाद होती है, जिसकी इजाजत है. कभी कभी तो हम 11 लोगों को वैक्सीनेट कर रहे हैं.