नई दिल्ली: हैदराबाद स्थित डॉक्टर रेड्डीज लैबोरेटरीज ने रूसी कोविड-19 वैक्सीन स्पूतनिक-5 के भारत में मानव शरीर पर तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी प्राप्त करने के लिए भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) में आवेदन किया है. सूत्रों ने यह जानकारी दी.
भारत की दिग्गज फार्मा कंपनी ने वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल और इसके वितरण के लिए रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) के साथ करार किया है. कंपनी ने पिछले महीने कहा था कि डीसीजीआई की मंजूरी मिलने के बाद आरडीआईएफ डॉक्टर रेड्डीज को टीके की 10 करोड़ खुराक भेजेगा.
एक सूत्र ने बताया, “डॉक्टर रेड्डीज ने रूस द्वारा विकसित कोविड-19 टीके स्पूतनिक-5 के मानव शरीर पर तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण की मंजूरी लेने के लिये डीसीजीआई में आवेदन दिया है. डीसीजीआई मंजूरी देने से पहले आवदेन का तकनीकी मूल्यांकन करेगा.”
बता दें कि भारत में लगातार कोरोना के मामले सामने आ रहा है. अब सभी की नजरें इस बात पर है कि कब तक एक कारगर वैक्सीन उपलब्ध हो पाता है. इस बीच महामारी का टीका विकसित करने के लिए काम कर रहे विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 के लिए प्रभावी टीका आम लोगों को 2021 में पतझड़ के मौसम से पहले उपलब्ध होने की संभावना नहीं है.
कनाडा में मैकगिल यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने टीका विकसित करने के लिए काम कर रहे 28 विशेषज्ञों को लेकर सर्वेक्षण किया गया. जिन विशेषज्ञों को इस सर्वेक्षण में शामिल किया गया है, उनमें अधिकतर कनाडाई या अमेरिकी वैज्ञानिक है, जो पिछले औसतन 25 साल से इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं.
मैकगिल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जोनाथन किम्मेलमैन ने कहा, ‘‘हमारे सर्वेक्षण में विशेषज्ञों ने टीका बनाने को लेकर जो अनुमान जताया है, वह अमेरिकी सरकारी अधिकारियों द्वारा 2021 की शुरुआत की दी गई समयसीमा की अपेक्षा कम आशावादी है.’’
किम्मेलमैन ने कहा कि वैज्ञानिकों का मानना है कि आम लोगों के लिए अगले साल गर्मियों में टीका विकसित होना सबसे अच्छी स्थिति होगी, लेकिन इसे आने में 2022 तक का समय लग सकता है. अध्ययन में दिखाया गया है कि सर्वेक्षण में शामिल एक-तिहाई वैज्ञानिकों का मानना है कि जो टीका विकसित किया जाएगा, उसे दो बड़े झटके लग सकते हैं.
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