Defence Research and Development Organisation: रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के बीच डीआरडीओ (DRDO) ने युद्ध के मैदान में टैंकों को नेस्तानबूत करने की दिशा में स्वदेशी एंटी टैंक गाईडेड मिसाइल यानि एटीजीएम का सफल परीक्षण किया है. परीक्षण के दौरान भारतीय सेना (Indian Army) के मेन बैटल टैंक (एमबीटी) अर्जुन से दागी गई स्वदेशी एटीजीएम बुल्स-आई को भेजने में कामयाब रही. 


रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, लेजर गाईडेड एटीजीएम को भारतीय सेना के महाराष्ट्र के अहमदनगर स्थित आर्मर्ड कोर सेंटर एंड स्कूल की केके फायरिंग रेंज में परीक्षण किया गया. इस टेस्ट के दौरान एटीजीएम ने टारगेट को सीधा निशाना लगाया और टैक्सटबुक प्रेसशियन हासिल किया. इस दौरान टेलीमेटरी सिस्टम ने मिसाइल की फ्लाइट-परफोरमेंस को भी संतोषजनक रिकॉर्ड किया. 


एटीजीएम को कई प्लेटफॉर्म पर टेस्ट किया जा चुका


डीआरडीओ के मुताबिक, पूरी तरह से स्वदेशी इस एटीजीएम में हाई एक्सपलोजिव एंटी टैंक वॉरहेड लगा है जिसके चलते ये ऐसे टैंक और आर्मर्ड गाड़ियां जिनमें एक्सपलोजिव रिएक्टिव आर्मर (ईआरए) लगा होता है उसे भी तबाह कर सकता है. इस एटीजीएम को कई प्लेटफॉर्म पर टेस्ट किया जा चुका है और मौजूदा परीक्षण भी एमबीटी अर्जुन टैंक की 120एमएम राइफल गन से किया गया था. 


एटीजीएम का इस्तेमाल कर इन टैंकों को तबाह किया गया


आपको बता दें कि रूस-यूक्रेन जंग में बड़ी संख्या में टैंकों का इस्तेमाल किया गया है. लेकिन उन्नत किस्म के एटीजीएम का इस्तेमाल कर इन टैंकों को तबाह भी कर दिया गया है. ऐसे में किसी भी युद्ध में एटीजीएम एक अहम भूमिका निभाने जा रही है. डीआरडीओ के मुताबिक, किसी भी टैंक से निचले इलाकों में लक्ष्य को हासिल करना एक बड़ी चुनौती रहता है. लेकिन एमबीटी अर्जुन ने स्वदेशी एटीजीएम के जरिए इसे सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. 


स्वदेशी एटीजीएम के सफल परीक्षण पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ और भारतीय सेना को बधाई दी है. उन्होनें कहा कि स्वदेशी एटीजीएम का विकास देश के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की तरफ एक सकारात्मक कदम है. 


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