नई दिल्ली: देश में कोरोना के खिलाफ जंग में डीआरडीओ एंटी-कोविड मेडिसन से लेकर हॉस्पिटल और ऑक्सीजन प्लांट तक लगा रहा है. इसी कड़ी में डीआरडीओ ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर डेवलप करने का दावा किया है जिससे कोरोना का रिजल्ट पता करने के लिए सीटी-स्कैन कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी. आर्टिफिशियल-इंटेलीजेंस (एआई) पर आधारित इस सॉफ्टवेयर से एक्स-रे इमेज से ही चंद मिनटों में ही पता चल जाएगा कि व्यक्ति में कोरोना के लक्षण हैं या नहीं.
डीआरडीओ की बेंगलुरू स्थित सेंटर फॉर आर्टिफिशियल-इंटेलीजेंस एंड रोबोटिक्स (सीएआईआर) ने दावा किया है कि उसने ‘आत्मन (एटीएमएएन)’ नाम का एक सॉफ्टवेयर डेवलप किया है जो चेस्ट (छाती) की एक्सरे इमेज को देखकर ही बता सकता है कि व्यक्ति में कोरोना के लक्षण है या नहीं. इसके अलावा ये सॉफ्टवेयर एक्सरे इमेज से ही पता लगा सकता है कि व्यक्ति में निमोनिया के लक्षण है या नहीं.
सीएआईआर के मुताबिक, कोरोना का वायरस फेफड़ों पर सबसे पहले असर करता है. यहां तक कि जब तक मरीज में कोई सिम्पटम भी नहीं दिखाई पड़ते हैं, ये वायरस फेफड़ों पर अपना असर दिखाने लगता है. ऐसे में डीआरडीओ की इस लैब ने इंटेलीजेंट, सेक्योर और वेब-आधारित कोविड डिटेक्शन एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर तैयार किया है. आत्मन नाम का ये एप्लीकेशन चेस्ट की कुछ एक्सरे सैंपल को नार्मल (साधारण), कोविड-19 और निमोनिया में क्लासीफाई कर सकता है. ऐसे में आरटी-पीसीआर रिपोर्ट से कई घंटे पहले ही ये एप्लीकेशन संक्रमण का पता लगा सकता है.
सीएआईआर द्वारा तैयार किए गए इस सॉफ्टवेयर के दो फायदे हैं. पहला तो ये कि आरटी-पीसीआर टेस्ट जिसकी रिपोर्ट जो 8-10 घंटे से लेकर 24-36 घंटे तक लगाती है, उससे बचा जा सकता है. दूसरा, ये कि सीटी-स्कैन कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
बता दें कि हाल ही में सरकार ने कहा था कि सीटी-स्कैन से रेडियोलॉजिकल किरणें निकलती हैं जिसके कारण भविष्य में कैंसर का खतरा बन सकता है. क्योंकि एक सीटी-स्कैन 300-400 एक्सरे की बराबर होता है.
डीआरडीओ के मुताबिक, एटीएमएएन को बेंगलुरू के एचसीजी सेंटर फॉर एक्डमिक्स एंड रिसर्च सहित एंख लाइफ केयर के डॉक्टर्स ने टेस्ट और वैलीडेट किया है. इस सॉफ्टवेयर के डेवलपमेंट में इन दोनों सेंटर्स ने भी डाटा और मेडिकल डोमेन नॉलेज में मदद की है.
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