Ugram Indigenous Rifle: सुरक्षा बलों की मारक क्षमता बढ़ाएगी 'उग्राम', DRDO ने 100 दिनों में तैयार की नई राइफल, जानें खासियत
Ugram Rifle: भारतीय सेना और अन्य सुरक्षा बल को आने वाले समय में स्वदेशी निर्मित राइफल दी जाएंगी, जिसको डीआरडीओ की एक यूनिट ने हैदराबाद की एक प्राइवेट आर्मर फर्म के साथ मिलकर विकसित किया है.
DRDO Unveiled Ugram Indigenous Rifle: करगिल युद्ध के वक्त अस्तित्व में आई इंसास राइफल (INSAS Rifle) की जगह अब एक स्वदेशी राइफल 'उग्राम' लेने की तैयारी कर रही है. ऑटोमेटिक और सिंगल मोड की इस 20 राउंड फायर वाली स्वदेशी निर्मित राइफल को रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) की एक यूनिट आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ARDE) और हैदराबाद स्थित प्राइवेट फर्म डीवीपा आर्मर ने मिलकर विकसित किया है.
दिलचस्प बात यह है कि इस राइफल को तैयार करने का काम एआरडीई ने निजी फर्म के साथ मिलकर मात्र 100 दिनों में विकसित किया है जिसका अनावरण बुधवार (10 जनवरी) को डीआरडीओ ने किया. इस राइफल के अनावरण के बाद अब इसका टेस्टिंग ट्रायल किया जाएगा. कड़ाके की सर्दी और भीषण गर्मी के मौसम के साथ-साथ पानी के भीतर इसका कैसा प्रदर्शन रहेगा, इसकी भी पूरी जांच परख की जाएगी. इसके लिए राइफल को जल्द ही 'ऑपरेशनल टेस्ट' के लिए भेजा जाएगा.
सुरक्षा बलों के 'ऑपरेशंस' का हिस्सा बनाने की तैयारी
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, डीआरडीओ ने इस राइफल को खासतौर से भारतीय सेना से लेकर पैरामिलिट्री फोर्सेज और पुलिस बल में उनके तमाम 'ऑपरेशंस' में उनकी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इसको विकसित किया गया है. टेस्टिंग ट्रायल के पूरा होने के बाद सेना, अर्धसैनिक और पुलिस बलों में इस राइफल को शामिल करने की भी पूरी तैयारी है. इस राइफल की खासियत यह है कि मौजूदा इंसास राइफल की तुलना में इसकी ज्यादा मारक क्षमता है. इंसास राइफल जहां 5.62 मिमी कैलिबर राउंड उपयोग वाली है, जबकि स्वेदशी निर्मित 'उग्राम' राइफल 7.62 मिमी कैलिबर के राउंड वाली है.
'उग्राम' राइफल की रेंज 5 फुटबॉल मैदानों के बराबर
मौजूदा समय में इंसास राइफल का इस्तेमाल भारत में सशस्त्र बलों के साथ-साथ अर्धसैनिक बलों आदि में ज्यादा किया जा रहा है. इन सभी सुरक्षा बलों की आवश्कताओं के मद्देनजर ही 'उग्राम' राइफल विकसित की गई है. इस राइफल का वजन 4 किलोग्राम है जिसकी प्रभावी रेंज 500 मीटर या करीब 5 फुटबॉल मैदानों के बराबर की होगी. इस राइफल को विकसित करने के दौरान सेना की जनरल स्टाफ क्वालिटेटिव रिक्वायरमेंट्स (GSQR) का विशेष ध्यान रखा गया है. जीक्यूएसआर इन सभी चीजों की खरीद के लिए निर्धारित प्रारंभिक प्रक्रियाओं में से एक है.
स्वेदशी प्रोजेक्ट की 2 साल पहले हुई थी शुरुआत
एआरडीई के निदेशक अंकथी राजू ने बताया, ''इस स्वेदशी प्रोजेक्ट की शुरुआत करीब 2 साल पहले की गई थी जोकि एक मिशन-मोड प्रोजेक्ट था. इस राइफल का डिजाइन डीआरडीओ की यूनिट एआरडीई ने तैयार किया था. इसके बाद राइफल को विकसित और मैन्युफैक्चरिंग के लिए एक प्राइवेट फर्म की तलाशी की गई. हैदराबाद स्थित डीवीपा आर्मर को असॉल्ट राइफल का ऑर्डर दिया है. आर्मर वेंडर के सहयोग से इसको विकसित करने के बाद अब इसके ट्रायल को मंजूरी दी गई है जिसको जल्द पूरा किया जा सकेगा.
एसआईजी716 राइफल की खरीद को दिसंबर में मिली मंजूरी
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा अधिग्रहण परिषद ने गत दिसंबर में अतिरिक्त 70,0000 सिग सॉयर की एसआईजी716 राइफल की खरीद को मंजूरी दे दी थी. भारतीय सेना के सैनिकों को मारक क्षमता बढ़ाने के लिए 70 हजार और सिग सॉयर असॉल्ट राइफल मिलेंगी. यह सभी राइफल आतंकवाद विरोधी अभियानों और अन्य ड्यूटी में तैनात सैनिकों को दी जाएंगी. वहीं, फास्ट ट्रैक प्रोक्योरमेंट प्रक्रिया के तहत 2020 में भी 90 मिलियन यूएसडी डॉलर कीमत की 72,400 SIG716 राइफलों के फर्स्ट बैच की भी खरीद की गई थी.
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