नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के एम्स और आरएमएल हॉस्पिटल में डीआरडीओ के मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट गुरुवार से काम करना शुरू कर देंगे. इन प्लांट्स के बनने का काम शुरू हो गया है. ये जानकारी खुद डीआरडीओ के चेयरमैन ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में दी है. खास बात ये है कि ऑक्सीजन प्लांट एलसीए तेजस की तकनीक पर आधारित‌ हैं.


डीआरडीओ चेयरमैन, डॉक्टर जी सतीश रेड्डी ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि देश में ऑक्सीजन की किल्लत को देखते हुए डीआरडीओ, स्वदेशी फाइटर जेट एलसीए तेजस की ऑक्सीजन तकनीक का इस्तेमाल 500 ऑक्सीजन प्लांट लगाने में करने जा रही है. ये सभी प्लांट प्राइवेट और सरकारी कंपनियों के जरिए देश के अलग-अलग हिस्सों में लगाए जाएंगे और उनकी फंडिंग पीएम-केयर फंड से की जाएगी. दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में ऐसे पांच प्लांट लगाने का काम 10 मई तक पूरा हो जाएगा.


रेड्डी के मुताबिक राजधानी दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में जिन 5 जगहों पर ये प्लांट लगाए जाएंगे, उनमें ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साईंस (एम्स) दिल्ली और झज्जर (हरियाणा) शामिल हैं. इसके अलावा सफदरजंग हॉस्पिटल, लेडी हार्डिंग और आरएमएल हॉस्पिटल शामिल हैं. इनमें से एम्स, दिल्ली और आरएमएल अस्पताल में प्लांट के लिए जरूरी उपकरण पहुंच गए हैं और गुरुवार से इन प्लांट्स में ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू हो जाएगा.


डीआरडीओ के चेयरमैन के मुताबिक, एलसीए तेजस लड़ाकू विमान के लिए डीआरडीओ ने मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट टेक्नोलॉजी इजाद की थी. इसके तहत आसमान में उड़ान भरते वक्त पायलट को ऑक्सीजन मुहैया कराई जाती है. इसी तकनीक के आधार पर तैयार किए गए प्लांट्स को डीआरडीओ ने लेह और उत्तर-पूर्व के राज्यों में लगाया है. जहां से सेना को ऑक्सीजन सप्लाई सफलतापूर्वक की जाती है. अब जब देश में कोविड महामारी के दौरान ऑक्सीजन की किल्लत आन पड़ी है, तो डीआरडीओ इस तकनीक को प्राइवेट इंडस्ट्री और सीआईएसआर को सौंप रही हैं.


एक मिनट में 1000 लीटर ऑक्सीजन का उत्पादन 
इन प्लांट्स में एक मिनट में करीब 1000 लीटर ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा सकता है. ऐसे में इस सिस्टम से एक साथ 190 मरीजों को पांच लीटर ऑक्सीजन सप्लाई की जा सकती है और एक दिन में 195 सिलेंडर को रिफिल किया जा सकता है. डीआरडीओ के मुताबिक, इन प्लांट्स में प्रेशर स्विंग एडसोर्पशन तकनीक और मोल्कयूलर सीइव (जियोलाइट) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर हवा से ही ऑक्सीजन बनाई जाती है.


चेयरमैन के मुताबिक, इसके लिए डीआरडीओ ने टाटा कंपनी और कोयम्बटूर की एक कंपनी को तकनीक सौंप दी है (ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलोजी). इसके अलावा काउंसिल ऑफ साईंटेफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम (आईआईपी) को भी ये तकनीक दी गई है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, टाटा कंपनी देशभर में ऐसे 380 प्लांट तैयार करेगी, और कायम्बटूर की ट्राईटेंड न्यूमैटिक्स प्राईवेट लिमिटेड 48 ऐसे प्लांट तैयार करेगी. आईआईपी भी 120 प्लांट तैयार करेगा. इन सभी प्लांट्स की फंडिंग पीएम-केयर फंड से होगी. ये सभी प्लांट अगले तीन महीने में बनकर तैयार हो जाएंगे.


सतीश रेड्डी के मुताबिक, डीआरडीओ ने लखनऊ में जो कोविड हॉस्पिटल बनाया है, वो अगले एक-दो दिन में शुरू हो जाएगा. इसके अलावा वाराणसी में कुछ दिनों में डीआरडीओ का कोविड सेंटर शुरू होने वाला है.


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