नई दिल्ली: कोरोना वायरस से लड़ने के लिए डीआरडीओ ने एक बेहद ही कामगर मास्क तैयार किया है. इसे एन-99 के नाम से जाना जाएगा. ये मास्क एन-95 से भी ज्यादा सुरक्षित है.‌ डीआरडीओ के मुताबिक, इस एन-99 मास्क को डीआरडीओ की ग्वालियर स्थित डीआरडीई लैब ने तैयार किया है. इस मास्क में सुरक्षा की पांच लेयर यानि परतें हैं‌ जिसमें दो लेयर नैनो-वेब के हैं. कपड़ा मंत्रालय के साथ मिलकर दो प्राईवेट कंपनियां इस मास्क को तैयार कर रही हैं.‌ ये कंपनियां मुंबई और कोलकता में हैं.


डीआरडीओ के महानिदेशक (लाइफ साईंसेज़) एके सिंह के मुताबिक, इन एन-99 मास्क को जल्द ‌सरकारी एजेंसियों को सौंप दिया जाएगा. एके सिंह ने दावा किया कि ये मास्क 99 प्रतिशत तक कोरोना वायरस से लड़ने की क्षमता रखता है. आपको बता दें कि ग्वालियर स्थित डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेबलिशमेंट‌ (डीआरडीई) लैब भारत की चुनिंदा बायोसेफ्टी लैब में से एक है जो कैमिकल और बायोलॉजिकल हथियारों के खिलाफ लड़ने के लिए तकनीक तैयार करती है.


हाल ही में डीआरडीओ लैब खास फॉरम्यूलेशन के सैनेटाइज़र और फर्श साफ करने के लिए डिसइंफेक्टेंट को तैयार किया गया था. अबतक इस फॉरम्यूलेशन को आईबी, सीबाआई, एनटीआरओ, एसपीजी, एनएससीएस (नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेटियरेट), नीति आयोग, थलसेना, वायुसेना, नौसेना, रक्षा मंत्रालय, पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) और प्रधानमंत्री के 7 एलकेएम रोड स्थित आवास को उपलब्ध कराया गया है. करीब बीस हजार लीटर सैनेटाइज़र अकेले दिल्ली पुलिस को सप्लाई किया गया है.


साथ ही अब इन प्रोडक्ट्स को बड़ी मात्रा में लोगों को उपलब्ध कराने के लिए डीआरडीओ की दूसरी लैब्स को बनाने की मंजूरी दे दी गई है. डीआरडीओ देश की सेनाओं के लिए कई एनबीसी (न्युक्लिर, बायोलॉजिकल एंड कैमिकल) किट और गियर-सूट बना चुकी है. इससे पहले भी डीआरडीई ने स्वाइन-फ्लू और जापानी-बुखार (एनसेफेलाइटिस) की डिटेक्शन किट बना चुकी है.