(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Tata Artillery Gun: दुश्मनों पर कहर बनकर टूटेगी स्वदेशी तोप, टाटा की आर्टिलरी गन ने पूरा किया ये पड़ाव
DRDO Artillery Gun: भारत में पूरी तरह से डिजाइन और विकसित विश्व स्तरीय हथियार प्रणाली की ओर अग्रसर सार्वजनिक-निजी भागीदारी का एक सच्चा उदाहरण है. ऐसी हथियार प्रणाली भारत के लिए अत्यधिक रणनीतिक है.
DRDO Artillery Gun: स्वदेशी तोप निर्माण में भारत ने एक बड़ा पड़ाव तय कर लिया है. डीआरडीओ की मदद से तैयार टाटा कंपनी की एटीएजीएस (अटैग्स) तोप ने अपने परीक्षण पूरे कर लिए हैं. ये परीक्षण राजस्थान के पोखरण फायरिंग रेंज में किए गए.
एडवांस टोड आर्टिलरी गन सिस्टम को इन परीक्षण पूरा करने के बाद माना जा रहा है कि रक्षा मंत्रालय जल्द ही थलसेना के लिए ऑर्डर दे सकती है. सोमवार को टाटा एडवांस सिस्टम लिमिटेड (टीएएसएल) कंपनी ने बताया कि डीआरडीओ (एआरडीई) और टीएएसएल की ओर से संयुक्त रूप से विकसित 155X 52 मिमी एटीएजीएस ने आज प्रिलिम्नरी स्पेसिफिकेन क्वालेटेटिव रिक्यूआरमेंट (पीएसक्यूआर) फायरिंग ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा किया.
भारत में पूरी तरह से डिजाइन और विकसित विश्व स्तरीय हथियार प्रणाली की ओर अग्रसर सार्वजनिक-निजी भागीदारी का एक सच्चा उदाहरण है. ऐसी हथियार प्रणाली भारत के लिए अत्यधिक रणनीतिक है.
आपको बता दें कि पिछले कई सालों से डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) की आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट ( एआरडीई लैब) ने दो प्राइवेट कंपनी, टाटा और भारत-फोर्ज के साथ मिलकर अटैग्स तोप को तैयार किया है.
पहली बार 2017 में गणतंत्र दिवस परेड में इन तोपों को प्रदर्शित भी किया गया था. ये पूरी तरह से स्वदेशी तोप हैं, जिसकी रेंज करीब 40 किलोमीटर है. इन ट्रायल के बाद माना जा रहा है कि अटैग्स जल्द ही सेना के तोपखाने में शामिल हो जाएगी. सोमवार को ही भारत फोर्ज ने भी जानकारी दी कि अटैग्स तोप के प्रारंभिक ट्रायल सरल रहे हैं.
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते ही रक्षा मंत्रालय ने थल सेना के लिए 105 एमएम X 37 कैलिबर माउंटेड गन सिस्टम की ख़रीद के लिए आरएफआई यानि रिक्वेस्ट फ़ॉर इन्फॉर्मेशन जारी की थी. अभी तक माउंटेड गन भारतीय सेना में मौजूद नहीं है. इन तोपों की तैनाती नॉर्दर्न बॉर्डर यानी चीन से सटी पहाड़ी और हाई एल्टीट्यूड एरिया में ऑपरेशन के लिए ऑर्टिलरी टास्क के लिए इसेतमाल में लाया जाना है. आरएफआई के मुताबिक, मेक इन इंडिया के तहत इन गन सिस्टम का 50 फ़ीसदी कंटेंट स्वदेशी होनी चाहिए.
किसी भी रक्षा खरीद प्रक्रिया (टेंडर) के लिए आरएफआई पहला चरण होता है. इस ख़रीद के लिए रक्षा मंत्रालय अपनी ज़रूरतों को बताता है और जो भी स्वदेशी कंपनियां भारतीय सेना की जरूरत पूरी कर सकती हैं वो इस आरएफआई के आधार पर टेंडर भर सकती हैं.
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