कोरोना के डर के बीच बायोलॉजिकल अटैक का अलर्ट जारी करने वाला रडार बनाने में जुटे हैं रक्षा वैज्ञानिक, हुआ खुलासा
देश के जाने माने बायोलॉजिकल साईंटिस्ट डा. विलियम सेल्वामूर्थि ने इस बात की आशंका जताई कि हो सकता है कोरोना वायरस एक जैविक-हथियार हो, जो इससे जुड़े वैज्ञानिक के माध्यम से लैब से बाहर फैल गया हो.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस भारत सहित पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी है, लेकिन देश के रक्षा वैज्ञानिक एक ऐसी रडार बनाने में जुटे हैं जो बायोलॉजिकल अटैक के दौरान तुरंत अलर्ट जारी कर देगी. ये खुलासा किया है देश के प्रतिष्ठित बायोलॉजिकल साईंटिस्ट, डा. विलियम सेल्वामूर्थि ने.
एबीपी न्यूज से बातचीत में देश के जाने माने बायोलॉजिकल साईंटिस्ट डा. विलियम सेल्वामूर्थि ने इस बात की आशंका जताई कि हो सकता है कोरोना वायरस एक जैविक-हथियार हो, जो इससे जुड़े वैज्ञानिक के माध्यम से लैब से बाहर फैल गया हो. वे मानते हैं कि इस तरह का वायरस का इस्तेमाल बायोलॉजिकल वॉरफेयर में होता है. सेल्वामूर्थि प्रतिष्ठित रक्षा संस्थान, डीआरडीओ के लाइफ-साईंसेस विभाग के पूर्व चीफ कंट्रोलर रह चुके हैं.
आपको बता दें कि इस तरह के लगातार कयास लग रहे हैं कि चीन के वुहान की किसी लैब से ये कोरोना वायरस फैला है. हालांकि अभी तक ना तो चीन ने ही इस बात की पुष्टि की है और ना ही ऐसा कोई पुख्ता प्रमाण मिल पाया है.
डा. सेल्वामूर्थि के मुताबिक, हालांकि किसी भी तरह के सीबीआरएन यानि कैमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर अटैक के दौरान देश के सैनिक उससे कैसे लड़ सकेंगे उसकी पूरी किट, ड्रेस-गियर और उससे जुड़ा पूरा प्लान डीआरडीओ पहले ही देश की सेनाओं को सौंप चुका है. यहां तक कि उससे लड़ने के तरीकों का ब्लू-प्रिंट भी डा. सेल्वामूर्थि की अध्यक्षता वाली कमेटी ने सरकार को सौंपा था. डीआरडीओ के चीफ कंट्रोलर रह चुके सेल्वामूर्थि इन दिनों नोएडा स्थित अमेटी यूनिवर्सिटी में लाइफ-साईंसेस सोसायटी के अध्यक्ष पद पर हैं. उन्होनें वर्ष 1998 में एक किताब, बैटल इन 2020 भी एडिट की थी, जिसमें इस तरह के जैविक-खतरों के बारे में लिखा गया था.
आपको बता दें कि हाल ही में एक फिक्शन नोवेल का कुछ हिस्सा वायरल हुआ था, जिसमें वुहान-400 नाम के एक वायरस का जिक्र था.
सेल्वामूर्थि के मुताबित, कोरोना वायरस का एंटी-वायरस नहीं बना है, इसलिए इससे सावधान रहने की जरूरत है. उनका मानना है कि इस तरह के वायरस से लड़ने की दुनियाभर में कोई तकनीक नहीं है. ये सिर्फ एंटी-वायरस दवाई से खत्म हो सकता है. लेकिन उनका मानना है कि जैसे ही देशभर में गर्मी शुरू हो जाएगी, ये अपने आप खत्म हो जाएगा क्योंकि कोरोना वायरस के कीटाणु 27 डिग्री तापमान पर खुद ब खुद मर जाते हैं. उन्होनें कहा कि भारतीयों में वैसे ही संक्रमण से लड़ने की ताकत दूसरे देशों के मुकाबले ज्यादा है, इसलिए घबराने की बजाए इससे बचाव पर ज्यादा जोर देना चाहिए.
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