मुंबई के भांडुप इलाके में स्थित ड्रीम्स मॉल में लगी आग के मामले में मुंबई पुलिस के हाथ फायर ब्रिगेड की ऑडिट रिपोर्ट से जुड़े नए दस्तावेजों से मॉल प्रशासक राहुल सहस्त्रबुद्धे 
की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. भांडुप पुलिस द्वारा जांच में नई और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. सूत्रों का दावा है कि 'ड्रीम मॉल अग्निकांड' मामले की जांच के दौरान कुछ अहम दस्तावेज उनके हाथ लगे हैं, जिसके मुताबिक भांडुप स्थित ड्रीम मॉल में आग लगने की घटना के तकरीबन चार महीने पहले अग्निशमन विभाग ने मॉल में फायर इंस्पेक्शन कर मॉल प्रशासक (एडमिनिस्ट्रेटर) राहुल सहस्त्रबुद्धे को नवंबर 2020 में एक नोटिस भी जारी किया था. 


मुंबई फायर ब्रिगेड की नोटिस के मुताबिक, ड्रीम्स मॉल के फायर सेफ्टी जांच के दौरान फायर ब्रिगेड विभाग ने पाया कि मॉल का फिक्स्ड फायर फाइटिंग सिस्टम कार्यरत ही नहीं था. मॉल के बेसमेंट और सीढ़ियों पर भी स्क्रैप मैटेरियल जमा पाए जाने के अलावा और भी कई खामियां पाईं गईं. आग से लड़ने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कई उपकरण या तो लापता थे या कार्यरत नहीं थे. नोटिस के जरिए मॉल प्रशासक को नवंबर 2020 में ही तय समय के भीतर इन खामियों को दूर करने की हिदायत भी दी गई थी.  


चौंकाने वाली बात यह है कि मुंबई फायर ब्रिगेड ने चेतावनी भी दी थी कि अगर सुरक्षा नियमों को नजरअंदाज किया गया तो उस पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है, जिसके तहत मॉल एडमिनिस्ट्रेटर को तीन साल की जेल और 50 हजार रुपए जुर्माना जैसी सख्त कारवाई भी हो सकती है. बावजूद इसके फायर ब्रिगेड की नोटिस को नजरंदाज किया गया, जिसका खमियाज़ा उन मासूम जिंदगियों को उठाना पड़ा जिन्होंने आग की चपेट में आकर अपनी जान गवा दी. गौरतलब है कि 25 मार्च को ड्रीम्स मॉल के अग्निकांड में मॉल में चल रहे कोविड हॉस्पिटल सनराइज के 11 कोविड मरीजों की तड़प तड़प कर मौत हो गई.  


अग्निकांड के बाद फायर ब्रिगेड ने सौंपी अपनी इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट में भी इन्हीं खामियों का जिक्र है, जिसमें इस बात का भी खुलासा किया गया कि मॉल के भीतर शॉप नंबर 140 से ही आग की शुरुवात हुई. जिसके बाद आग ऊपरी मंजिलों तक पहुंची. आग की प्रमुख वजह डिफेक्टिव इलेक्ट्रिक सर्किट बताई गई. मॉल के भीतर कई दुकानदारों ने किए अवैध निर्माण को भी आग फैलने की वजह में शामिल किया गया, जबकि इसी मॉल की तीसरी मंजिल पर स्थित सनराईज हॉस्पिटल में आग का जहरीला धुआं फैलने से कुल 11 लोगों की मौत हुई.  


फायर डायरेक्टर प्रभात रहांगदले की अध्यक्षता में गठित इंक्वायरी कमेटी ने भी दर्ज की. इंक्वायरी रिपोर्ट को बीएमसी कमिश्नर ने मान्यता दे दी है. भांडुप पुलिस एफआईआर दर्ज करने के बाद इस मामले में अब तक दो गिरफ्तारियां कर जांच में जुटी हैं. पुलिस सूत्रों का दावा है कि इस ताजा जानकारी के सामने आने के बाद अब पुलिस जांच का दायरा बढ़ाते हुए कार्यवाई कर सकती है. इस मामले में पुलिस जल्द ही दुकान नंबर 140 के मालिक और मॉल प्रशासक से इस बारे में पूछताछ कर सकती है.  


वहीं दूसरी ओर मॉल प्रशासक राहुल सहस्त्रबुद्धे ने अपने ऊपर मुंबई पुलिस का कसा हुआ शिकंजा और संभावित गिरफ्तारी को देखते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. मॉल प्रशासक ने अंतरिम राहत के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका की है, जिसकी अगली सुनवाई 7 जून 2021 को होगी.