एक्सप्लोरर

ऑक्सीजन संकट पर DST सचिव डॉ. आशुतोष शर्मा बोले- भारत अगले दो माह में होगा ऑक्सीजन उपकरणों में आत्मनिर्भर   

कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच कई राज्यों को ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में क्या है ऑक्सीजन उपकरणों में भारत की आत्मनिर्भरता का प्लान? किस तरह ऑक्सीजन कन्संट्रेटर जैसा सस्ता उपकरण बचा सकता है क़ई जान,  ऐसे ही तमाम सवालों पर एबीपी न्यूज़ ने बात की भारत सरकार में विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ आशुतोष शर्मा से..

देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का सामना कर रहा है. कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच कई राज्यों को ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में क्या है ऑक्सीजन उपकरणों में भारत की आत्मनिर्भरता का प्लान? किस तरह ऑक्सीजन कन्संट्रेटर जैसा सस्ता उपकरण बचा सकता है क़ई जान, घटा सकता है अस्पतालों पर बढ़ रहा बोझ...इन तमाम सवालों पर एबीपी न्यूज़ ने बात की भारत सरकार में विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ आशुतोष शर्मा से. प्रस्तुत है एबीपी संवाददाता प्रणय उपाध्याय से उनकी बातचीत के अंश...

प्रश्न: कोरोना महामारी के 17 महीने बाद भी अगर भारत ऑक्सीजन उपकरणों जैसी मूलभूत चीजों के लिए जूझता नजर आता है तो क्या यह स्वास्थ्य व्यवस्था प्रबंधन पर गंभीर सवाल नहीं उठाता? आखिर कहां चूक गए हम?

उत्तरः यह कहना मुनासिब नहीं कि हम तैयारियों में चूके. पहली लहर जब आई थी तब हमें ऑक्सीज़न की ऐसी ज़रूरत महीन पड़ी थी. हमारे ऑक्सीज़न उत्पादन से काम चल गया. उस वक्त हम वेंटिलेटर से लेकर पीपीई किट और एन95 मास्क समेत अधिकतर समान आयात कर रहे थे. वैक्सीन का तो दूर दूर तक सवाल ही नहीं था तब. सो, उस समय जिन चीजों की ज़्यादा ज़रूरत महसूस हुई उनपर ध्यान फोकस किया गया. महज़ तीन चार महीनों में हम सब लोगों ने मिलकर वो कर लिया जिसको करने में क़ई अन्य देशों को शायद 3-4 साल लग जाते.

इस लहर में पहली बार ऐसा लगा कि हमारी ऑक्सीजन की जरूरत पूरी नहीं हो पाएगी. लिहाजा इस कमी को पूरा करने के लिए उतनी ही तेजी से प्रयास किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में प्रयास किया जा रहा है कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर स्कोर अधिक से अधिक संख्या में भारत में ही तैयार किया जाए, लेकिन जब संकट होता है तो हमें याद भी करना पड़ता है. उस समय हम इस बात का इंतजार नहीं कर सकते कि हमारा ही सामान बनकर तैयार हो और इस्तेमाल में आए.

इसिलए, हमने दोहरी रणनीति पर काम किया जिसमें पहले आयात किया गया जिसके जरिए तात्कालिक कमी को पूरा करने की कोशिशें हुई. इसी बीच कई तकनीकी एवं इनोवेशन भी सामने आए जिनमें हमारे नाइट्रोजन बनाने वाले प्लांट्स में लिक्विड व गैस ऑक्सीजन तैयार की जाने लगी.


प्रश्न : भारत में अभी ऑक्सीजन के उत्पादन और कमी का आंकड़ा क्या है? ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के लिए हमारी मौजूदा जरूरत कितनी है और उसे पूरा करने के लिए मौजूदा प्रयास किस तरह आगे बढ़ रहे हैं?

उत्तर: ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए बहुत तेजी से प्रयास हुए हैं. मैं आपको बता सकता हूं कि पहली लहर के दौरान हमारा प्रतिदिन ऑक्सीजन उत्पादन करीब 3000 मेट्रिक टन था. वही आज हमारा रोजाना ऑक्सीजन उत्पादन 10,000 मीट्रिक टन से भी आगे जा चुका है. यानी यह बहुत तेजी से बड़ा है. ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भी देश में बहुत तेजी से विकसित किए जा रहे हैं.


भारत के कई स्टार्टअप कंपनियों एमएसएमई उपक्रमों वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं के प्रयास इसमें शामिल है. हमने एक कंसोर्सियम बनाया है जिसमें सब मिलकर कोशिश कर रहे हैं. हमारे पास इनको तैयार करने के तरीके हैं. समस्या आ रही थी केवल लॉजिस्टिक्स में. यानी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में इस्तेमाल होने वाले कई कलपुर्जे वह इससे विदेशों से आयात किए जाते हैं. लेकिन अब उनको भी भारत में ही तैयार कर उसका उत्पादन किया जा रहा है.

इस बात को अगर मैं एक उदाहरण से समझा हूं तो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में एक ऑयल लेफ्ट कंप्रेसर होता है ताकि यह बहुत ज्यादा आवाज न करें. कुछ न्यूमेटिक वाल्व होते हैं एक देवलाइट होता है जिसके जरिए नाइट्रोजन को अलग कर बाहर किया जाता है. सो इनमें से कुछ चीज़ें भारत में बनती भी थीं. लेकिन कभी सोचा ही नहीं था कि इतने पड़े पैमाने पर इनकी ज़रूरत पड़ेगी.अस्पताल से लौटने के बाद आज कई लोगों को घर पर भी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की जरूरत लग रही है. या अवधि एक हफ्ता हो सकती है एक महीना हो सकती है और उससे ज्यादा भी संभव है. ऐसे में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की बहुत जरूरत महसूस हो रही है. हमारा अनुमान है कि आने वाले समय में करीब दो लाख ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की जरूरत प्रतिमा होगी.

इस कमी को पूरा करने और इसके लिए समाधान निकालने के लिए हमने दो प्रयास किए हैं. पहला यह कि हमने एक कंसोर्सियम बनाया है जिसमें कई आईआईटी की प्रयोगशाला आए हैं कई उद्यमी हैं स्टार्टअप संस्थाएं हैं और विदेशों में मौजूद भारतीय इंजीनियर भी इसमें योगदान दे रहे हैं. व्यापक उत्पादन की तकनीकी समस्याओं को सुलझाने में यह नेटवर्क कारगर साबित होगा. इसके अलावा हम उत्पादन के लिए फंडिंग भी दे रहे हैं.

यदि मैं एक उदाहरण दूं तो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में लिथियम जिओलाइट इस्तेमाल होता है. लेकिन लिथियम भारत में अधिक नहीं पाया जाता. के विकल्प के तौर पर हमें ऐसी चीज की जरूरत है जो भारत में आसानी से और बहुतायत में मिल सके. इसके लिए हमारे वैज्ञानिकों ने सोडियम और कैल्शियम जिओलाइट का इस्तेमाल शुरू किया है. उसे रिपरपज किया गया है। यह सम्भवतः दुनिया में पहली बार होगा कि केल्शियम य्या सोडियम ज़ियोलाइट के इस्तेमाल से ऑक्सीजन कन्संट्रेटर बनाने की पहल होगी. यह एक किस्म से जुगाड़ है. हालांकि यह खराब जुगाड़ नहीं बल्कि कारगर जुगाड़ है.

आगामी कुछ महीनों में बड़े पैमाने पर भारत निर्मित ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का उत्पादन शुरू हो जाएगा. उसमें भी हमारा प्रयास है कि 60-65% से ज्यादा भारतीय साज़ों सामान का ही इस्तेमाल हो. वहीं शेष बचे 35 40% सामान का आयात होता है. इस आयात में कोई दिक्कत न हो इसके लिए हम विदेशों में मौजूद भारतीय दूतावासों के साथ भी सक्रिय संघ पर संपर्क में है. इससे काफी मदद मिल रही है क्योंकि दूतावास में मौजूद हमारे अधिकारी संबंधित कंपनी को फोन करते हैं उनसे बात करते हैं और जल्द से वह सामान उपलब्ध कराने में मदद मिल जाती है.


प्रश्न: क्या आप यह भरोसे कैसे कह सकते हैं कि भारत जल्द ही अपनी जरूरत के ऑक्सीजन कंसंट्रेटर देश में बनाने लगेगा और उसकी क्षमता कितनी होगी कि आवश्यकता पड़ने पर वह विदेशों को निर्यात भी कर सके?

उत्तर: इस बात में कोई संदेह नहीं है कि अगले दो महीनों के भीतर हम इसमें पूरी तरह आत्मनिर्भर होंगे. इसमें कई इनोवेटिव डिजाइन भी ऐसे आएंगे जो कि दुनिया भर में मौजूद मॉडल्स के मुकाबले बेहतर होंगे. भारतीय वैज्ञानिकों की क्षमता और कौशल का लोहा दुनिया मानती है. इसलिए अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए केवल मौजूदा मॉडल की कॉपी नहीं बल्कि नए और बेहतर मॉडल देने की स्थिति में हम होंगे.

पहली वेव के समय भी हमने देखा कि किस तरह भारतीय वैज्ञानिकों और उद्यमियों ने किफायती और कारगर समाधान उपलब्ध कराएं. माना की पहली और दूसरी वेब के बीच बड़ा अंतर यह है किसकी बात हमें समय ज्यादा मिला था. इस बार युद्ध स्तर पर प्रयास हो रहे हैं. भारत का रक्षा अनुसंधान संगठन डीआरडीओ डेढ़ लाख ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का आर्डर सप्लाई करने जा रहा है.

प्रश्न : आपने जिक्र किया कि दुनिया में फैले भारतीय समुदाय के विज्ञानिक टैलेंट की भी मदद ली जा रही है. क्या आपने उन्हें संपर्क किया या उन्होंने. किस तरह से यह सहयोग आगे बढ़ रहा है?

उतरः बिजी ताली दोनों हाथ से बजती है. दोनों ही बातें हुई हमने भी उनसे संपर्क किया और उन्होंने भी रिचार्ज किया. विदेशों में होने के कारण संपर्क को सहयोग की कुछ सीमाएं होती हैं लेकिन जानकारियां साझा करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है. खास तौर पर तकनीकी समाधान तलाशने में.

हाल ही में हम एक मीटिंग कर रहे थे जिसमें स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में मौजूद प्रोफेसर मनु प्रकाश भी शामिल थे. उन्होंने बहुत से इनोवेशन किए हैं और उनके बहुत अच्छे आइडियाज हैं. यदि मैं उदाहरण दूं कि की ऑक्सीजन उपकरणों के इस्तेमाल में एक बड़ी चुनौती होती है ऑक्सीजन का वेस्टेज रोकना. जैसे कि जब मरीज सांस लेता है तो ऑक्सीजन भीतर जाती है. लेकिन जब साथ छोड़ता है तब उस दौरान भी सप्लाई हो रही ऑक्सीजन का एक हिस्सा बर्बाद हो जाता है. इस बर्बादी को रोकने के समाधान हैं कि यदि हम एक छोटा सा वॉल्व लगा दें जो बाहर जाती श्वास के समय ऑक्सीजन सप्लाई को बंद कर दे तो इस वेस्टेज को रोका जा सकता है.

महज़ इस छोटे से बदलाव से 30% ऑक्सीजन को बचाया जा सकता है. अब या तो आप ऑक्सीजन का 30% उत्पादन बढ़ा लें या उसकी खपत कम कर लें. बात एक ही है. इस उपकरण को तैयार करने के लिए हमने सीएसआईआर की एक प्रयोगशाला को दिया है जो 1 हफ्ते के भीतर इसे बना लेगी. तो हम बड़ी तेजी से काम कर रहे हैं क्योंकि इस समस्या का समाधान तेजी से तलाश सकें क्योंकि यह प्राथमिकता है.ऑक्सीज़न उपकरणों की कमी दूर करने से हम उन लोगों की ज़रूरत पूरी कर पाएंगे जो घर पर रहकर उपचार कर सकते हैं.


प्रश्न: आपके अनुमान में ऑक्सीज़न उपकरणों की यह उपलब्धता भारत के अस्पतालों पर बोझ कम करने और क्रिटिकल केयर सुविधाओं की उपलब्धता को किस तरह से बढ़ा सकेगी?

उत्तर: इसमें काफी राहत मिलेगी. हम जानते हैं कि कोविड-19 में 90 प्रतिशत लोग घरों में ही ठीक हो जाते हैं. वहीं 10-15 ऐसे हो सकते हैं जिनको अस्पताल जाने की ज़रूरत पड़े. अक्सर कुछ लोग डरकर भी अस्पताल पहुँच कर भर्ती हो जाते हैं. इससे अस्पतालों पर स्वास्थ्य सुविधाओं का बोझ बढ़ जाता है. इसके कारण क़ई बार ऐसे लोगों को अस्पताल में जगह नहीं मिल पाती जिनको इसकी ज़रूरत है.

हमारा यही मानना है कि जिस चीज़ का घर पर रहकर निदान हो सके वो सबसे अच्छा है. इसलिए लोगों को अगर ऑक्सीजन उपकरण जैसी ज़रूरत घर पर मिल जाए तो यह सबसे अच्छा होगा. अब हमारे पास जो वेंटिलेटर के डिजाइन हैं उनमें से क़ई घर पर इस्तेमाल हो सकते हैं.

प्रश्न: भारत में बनने वाले ऑक्सीजन कन्संट्रेटर कितने किफायती होंगे और क्या आम लोग इनका इस्तेमाल कर पाएंगे? साथ ही गांवों में इस समय कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं तो क्या वहां तक इन्हें बड़े पैमाने पर पहुंचाना सम्भव होगा?

उत्तर : ऑक्सीजन कन्संट्रेटर की कीमत कम हो रही है और अधिक गिरती जाएगी जैसे जैसे उपलब्धता बढ़ेगी. मैं आज ही बात कर रहा था एक स्टार्टअप कंपनी से जिसमें हमारे आईआईटी के लोग हैं उत्साही टीम है. उन्होंने बताया कि पहले 5 हज़ार पीस वो इसी महीने में सप्लाय करने वाले हैं,  इसलिए जिस उपकरण को इस टीम ने तैयार किया है वो 10 लीटर प्रति मिनट की रफ्तार से 80 प्रतिशत तक शुद्ध ऑक्सीज़न दे सकेगा. और इसकी कीमत सभी टैक्स मिलाकर उपभोक्ता को 65 हज़ार रुपए तक पड़ेगी. वहीं 5 लीटर क्षमता वाले उपकरण की कीमत लगभग 40 हज़ार तक आ सकती है.

आपने गाँवों का ज़िक्र किया, तो इन ज़रूरतों के बीच किराए पर ऑक्सीज़न कन्संट्रेटर उपलब्ध कराने का मॉडल भी विकसित हो सकता है. क्योंकि जीवन भर के लिए तो सबको इसकी जरूरत नहीं होगी. लोग सीमित समय के लिए इन्हें ले सकते हैं जिससे इनकी लागत भी कम होगी, तो यह सम्भव है कि 1000 रुपए में आप इन्हें किराए पर ले सकें.

प्रश्न: आपने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की किल्लत दूर करने का प्लान बताया. मगर मेडिकल उपकरणों की कमी के साथ-साथ लोगों के मन में चिंताएं और सवाल वैक्सीन को लेकर भी है. दुनिया के कई देशों ने बच्चों के टीकाकरण का प्लान शुरू किया है ऐसे में भारत में यह स्थिति कब तक आ पाएगी कि सभी आयु वर्गों का टीकाकरण हो सके?

उत्तर: इस कमी को पूरा करने के लिए वह सभी कदम उठाए जा रहे हैं जो जरूरी है. हमें समझना होगा की वैक्सीन उत्पादन में जरूरी बहुत से कच्चे माल की चीजों के लिए हम आयात पर निर्भर हैं. हम बना तो और भी सकते हैं लेकिन कच्चे माल की भी ज़रूरत है जिक एक हिस्सा विदेशों से आता है. बीते दिनों इस कमी को पूरा करने के लिए चल रही बातचीत सही दिशा में आगे बढ़ी है. विदेशों में मौजूद अन्य टीकों  के लाइसेंस उत्पादन के प्रयास तेजी से चल रहे हैं. इस दिशा में बौद्धिक संपदा कानूनों में रियायत के भी प्रयास आगे बढ़े हैं. ताकि दुनिया में उपलब्ध टीकों का हम भारत में उत्पादन कर सकें. ट्रिप्स के कारण इनके उत्पादन का नियंत्रण दूसरी कंपनियां करती है.

भारतीय टीके कोवैक्सीन के व्यापक लाइसेंस उत्पादन की शुरुआत भी हो रही है. इसके अलावा भारत निर्मित करीब 10 टीके विकास के विभिन्न चरणों में हैं. कुछ के ट्रायल चल रहे हैं और अगले कुछ समय में यह उपलब्ध होंगे.ऐसा नहीं है कि इसकी तैयारी अभी शुरू हुई. प्रधानमंत्री हमेशा यह कहते रहे हैं कि इस बीमारी के नियंत्रण के दीर्घकालिक प्लान पर काम करना होगा. इसलिए जब पहली वेव के वक्त हम तात्कालिक तौर पर वेंटिलेटर जैसी ज़रूरतों पर काम कर रहे थे तब ही वैक्सीन पर भी काम शुरू हो गया था.

दुनिया के इतिहास में यह पहला ऐसा मौका है जब इतने कम समय में किसी बीमारी का टीका तैयार किया गया है. उम्मीद है कि जल्द ही वैक्सीन उत्पादन और उपलब्धता की तमाम बाधाएं दूर होंगी और हम अपनी अधिकतर आबादी को इसके जरिए सुरक्षित कर पाएंगे.

यह भी पढ़ें
Coronavirus India: कोरोना पर बोले पीएम मोदी- मैं देशवासियों का दर्द महसूस कर रहा हूं, अपनी बारी आने पर जरूर लगवाएं वैक्सीन

दिल्ली में खाली हुए अस्पताल में बेड, CM केजरीवाल बोले- कोई भी बच्चा खुद को अनाथ न समझे, मैं हूं न
 

और देखें
Advertisement

IPL Auction 2025

Most Expensive Players In The Squad
Virat Kohli
₹21 CR
Josh Hazlewood
₹12.50 CR
Phil Salt
₹11.50 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Rishabh Pant
₹27 CR
Nicholas Pooran
₹21 CR
Ravi Bishnoi
₹11 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Jasprit Bumrah
₹18 CR
Suryakumar Yadav
₹16.35 CR
Hardik Pandya
₹16.35 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Heinrich Klaasen
₹23 CR
Pat Cummins
₹18 CR
Abhishek Sharma
₹14 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Ruturaj Gaikwad
₹18 CR
Ravindra Jadeja
₹18 CR
Matheesha Pathirana
₹13 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Shreyas Iyer
₹26.75 CR
Arshdeep Singh
₹18 CR
Yuzvendra Chahal
₹18 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Sanju Samson
₹18 CR
Yashaswi Jaiswal
₹18 CR
Riyan Parag
₹14 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Venkatesh Iyer
₹23.75 CR
Rinku Singh
₹13 CR
Varun Chakaravarthy
₹12 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Rashid Khan
₹18 CR
Shubman Gill
₹16.50 CR
Jos Buttler
₹15.75 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Axar Patel
₹16.50 CR
KL Rahul
₹14 CR
Kuldeep Yadav
₹13.25 CR
View all
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

इस सत्र में नहीं पास होगा वक्फ संशोधन बिल, अगले सत्र तक बढ़ेगा संसदीय समिति का कार्यकाल
इस सत्र में नहीं पास होगा वक्फ संशोधन बिल, अगले सत्र तक बढ़ेगा संसदीय समिति का कार्यकाल
संभल हिंसा पर बोले वकील- पूर्व नियोजित थी हिंसा, दूसरा सर्वे ‘एडवोकेट कमिश्नर’ के आदेश पर हुआ
संभल हिंसा पर बोले वकील- पूर्व नियोजित थी हिंसा, दूसरा सर्वे ‘एडवोकेट कमिश्नर’ के आदेश पर हुआ
'पुष्पा' के सेट पर रश्मिका मंदाना के साथ हुआ था हादसा, जख्मी हालत में एक्ट्रेस ने पूरी की थी गाने 'सामी-सामी' की शूटिंग
रश्मिका मंदाना ने जख्मी हालत में पूरी की थी गाने 'सामी-सामी' की शूटिंग
मुसीबत में फंसा इंडियन तो पाकिस्तानी छात्र ने की मदद! ईरान से वायरल हो रहा खूबसूरत वीडियो
मुसीबत में फंसा इंडियन तो पाकिस्तानी छात्र ने की मदद! ईरान से वायरल हो रहा खूबसूरत वीडियो
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Normal PAN, e-PAN, या PAN 2.0: कौन सा आपके लिए सही है? | Paisa LiveMera Balam Thanedar: OMG! बुलबुल बनी under-cover agent, चोरी हुए हार का कैसे पता लगाएगी बुलबुल?Maharashtra CM News: 'मेरे मन में CM पद की लालसा नहीं'- चुनाव नतीजों के बाद बोले एकनाथ शिंदेMaharashtra CM News: महाराष्ट्र में होगा BJP का CM...Eknath Shinde ने का बड़ा खुलासा | ABP News

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
इस सत्र में नहीं पास होगा वक्फ संशोधन बिल, अगले सत्र तक बढ़ेगा संसदीय समिति का कार्यकाल
इस सत्र में नहीं पास होगा वक्फ संशोधन बिल, अगले सत्र तक बढ़ेगा संसदीय समिति का कार्यकाल
संभल हिंसा पर बोले वकील- पूर्व नियोजित थी हिंसा, दूसरा सर्वे ‘एडवोकेट कमिश्नर’ के आदेश पर हुआ
संभल हिंसा पर बोले वकील- पूर्व नियोजित थी हिंसा, दूसरा सर्वे ‘एडवोकेट कमिश्नर’ के आदेश पर हुआ
'पुष्पा' के सेट पर रश्मिका मंदाना के साथ हुआ था हादसा, जख्मी हालत में एक्ट्रेस ने पूरी की थी गाने 'सामी-सामी' की शूटिंग
रश्मिका मंदाना ने जख्मी हालत में पूरी की थी गाने 'सामी-सामी' की शूटिंग
मुसीबत में फंसा इंडियन तो पाकिस्तानी छात्र ने की मदद! ईरान से वायरल हो रहा खूबसूरत वीडियो
मुसीबत में फंसा इंडियन तो पाकिस्तानी छात्र ने की मदद! ईरान से वायरल हो रहा खूबसूरत वीडियो
Exclusive: एक कैंप से दूसरे कैंप जाने वाला भारत नहीं, एक मजबूत भारत चाहिए, बोले- डेनमार्क के राजदूत
Exclusive: एक कैंप से दूसरे कैंप जाने वाला भारत नहीं, एक मजबूत भारत चाहिए, बोले- डेनमार्क के राजदूत
रील के चक्कर में राख हो गई लाखों की कार, बारात में हीरो बनना पड़ गया महंगा- देखें वीडियो
रील के चक्कर में राख हो गई लाखों की कार, बारात में हीरो बनना पड़ गया महंगा- देखें वीडियो
IND vs AUS: ऑस्ट्रेलिया का धाकड़ खिलाड़ी हो गया चोटिल, रोहित ब्रिगेड को दूसरे टेस्ट में मिलेगा फायदा
ऑस्ट्रेलिया का धाकड़ खिलाड़ी हो गया चोटिल, रोहित ब्रिगेड को दूसरे टेस्ट में मिलेगा फायदा
Wakf Amendment Bill: वक्फ संसोधन विधेयक को लेकर NDA में दो फाड़, जेडीयू ने जताया विरोध
वक्फ संसोधन विधेयक को लेकर एनडीए में दो फाड़, जेडीयू ने जताया विरोध
Embed widget