नई नवेली दुल्हन की एक दुआ जिसकी चर्चा भारत-पाक में है, लेकिन पाक टीवी दिखाने को राज़ी नहीं, जानें- क्यों
नई नवेली दुल्हन की शाहकार दुआ का वीडियो न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि भारत में भी वायरल हो रहा है.दुल्हन दुआ में नई दुनिया रचा बसा रही है, जिससे पुरानी परंपरा पर आघात किया जा रहा है.
पाकिस्तान की नई नवेली दुल्हन की एक दुआ इन दिनों पाकिस्तान में ही नहीं भारत में भी ख़ूब देखी और सुनी जा रहीं हैं. ‘ दुआ ए रीम’ के नाम से यू-ट्यूब पर मौजूद इस वीडियो को अब तक लाखों लोग देख चुके हैं. शायर अल्लामा इक़बाल की नज़्म ‘लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी’ की तर्ज़ पर बनाए गए इस गीत का फिल्मांकन किया गया है.
दरअसल ये गीत एक तरफ़ जहां शादी-शुदा औरतों की कशमकश और बेचारगी को दिखाता है तो वहीं उनके साथ होने वाले घरेलू हिंसा और अत्याचार को बयान करता है. पुरानी पीढ़ी की औरतें किस तरह शौहर की तान और मलामत को सुनने को मजबूर होती थीं, ‘दुआ ए रीम’ में इसी का बखान किया गया है. शादी से पहले गाए जाने वाले इस ‘मीरासी’ के बोल हैं.....
लब पे आवे है दुआ बनके तमन्ना मेरी ज़िंदगी अम्मा की सूरत हो खुदाया मेरी मेरा ईमान हो शौहर की इताअत करना उनकी सूरत की, ना सीरत की शिकायत करना
औरत की बेचारगी, उसके उधेरबुन और उसके अंदर ही अंदर घुटने की तर्जुमानी करती इस फरियाद की अगली पंक्ती भी उसकी बेबसी को दर्शाता है......
धमकियां दे तो तसल्ली हो की थप्पड़ ना पड़ा पड़े थप्पड़ तो करूं शुक्र की जूता ना हुआ...... हो मेरा काम नसीबों की मलामत करना बीवीयों को नहीं भावे है बग़ावत करना
लेकिन ये पुराने ज़माने की औरतों की कहानी हुई. अब औरतें अबला नहीं और ना ही वो मर्दो की ग़ुलाम और उसके हुक्म की ताबेदार है, जो जी आक़ा, जी आक़ा करती रहे. उसे बराबरी चाहिए, सम्मान चाहिए और इज़्ज़त चाहिए. नहीं मिलेगा तो वो खुद लेना जानती है. इसी गीत में नई नवेली दुल्हन ख़ुद दुआ मांगती है.....
लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी घर तो उनका हो हुकूमत हो ख़ुदाया मेरी मेरा ईमान हो शौहर से मुहब्बत करना ना इताअत, ना इबादत ना गुलामी करना ना करूं मैके में आकर शिकायत उनकी करनी आती हो मुझे ख़ुद ही मरम्मत उनकी
एक औरत किस तरह अपने घर को बसाना चाहती है. उसे शौहर से कितनी मुहब्बत होती है, अगली पंकती इसी को बयान करता है.... लेकिन अल्लाह मेरे ऐसी ना नौबत आए
वो रफ़ाकत हो के दोनों को राहत आए उनको रोटी है पसंद, मुझको भावे है चावल ऐसी उल्फत हो कि हम रोटी से खावे चावल लेकिन अल्लाह मेरी ऐसी नौबत ना आए
इस गीत के लेखक, गीतकार और निर्देशक पाकिस्तान के मशहूर डायरेक्टर शोएब मंसूर हैं. शोएब मंसूर का कहना है कि हिंदोस्तान और पाकिस्तान दोनों जगह महिलाओं की ज़िंदगी लगभग एक जैसी है. शोएब मंसूर के लाख कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान का कोई भी टेलीवीज़न इसे दिखाने को राज़ी नहीं हुआ. डायरेक्टर पर पाकिस्तानी औरतों को बग़ावत पर उभारने का इल्ज़ाम भी लग चुका है.
बेहतरीन गीत, बेहतरीन निर्देशन और बेहतरीन अदाकारी को आपने नहीं देखा तो क्या देखा. इसे गाया है दामिया फ़ारूक़, शहनाज़ और महक अली ने. और इस गीत की मुख्य अदाकारा पाकिस्तान की मशहूर एक्ट्रेस माहिरा खान हैं. वही माहिरा खान जो शाहरूख़ खान के साथ हिंदी फिल्म ‘रईस’ में डेब्यू कर चुकी हैं.