ओडिशा में पिछले तीन दिनों में हुई बारिश ने ज्यादातर रिकॉर्ड तोड़ दिए है. ओडिशा के 11 जिलों में काफी मात्रा में बारिश हुई है तो बंगाल के खाड़ी में लो प्रेशर के कारण हुई है. जलवायु परिवर्तण के कारण विशेषज्ञ मौसम पैटर्न में बदलाव से राज्य की कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव डालने से चिंतित हैं.
भुवनेश्वर में क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक उमाशंकर दास ने कहा कि मानसून के दौरान बंगाल की खाड़ी में 12-13 कम दबाव का निर्माण होता है, जिससे तटीय राज्य में बारिश होती है, इस साल अब तक केवल 7 ऐसे गठन हुए हैं.
जलवायु परिवर्तन के कारण हुई अधिक वर्षा
अगस्त में, हमें बंगाल की खाड़ी में दो कम दबाव बनने की उम्मीद थी, लेकिन कोई नहीं बना. सितंबर के महीने में अबतक इस तरह के दो बन चुके हैं. इसके वजह से अधिक बारिश हुई है. दास ने कहा कि यह जलवायु परिवर्तन के कारण है.
सितंबर में सामान्य से 448% अधिक वर्षा
ओडिशा में पिछले तीन दिनों में, राज्य में सितंबर महीने में सामान्य से 448% अधिक वर्षा हुई है. जो बारिश की कमी को 29% से घटाकर 14 प्रतिशत तक ले आई है. आंकड़ों से पता चलता है कि 12 सितंबर के बाद से भुवनेश्वर, पुरी और कटक सहित कई शहरों में भारी बारिश हुई है और 30 में से 20 जिलों में 20 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं.
इस सप्ताह के अंत तक बंगाल की खाड़ी में एक और कम दवाब का सिस्टम बनने की उम्मीद है, जिससे बारिश और होगी और बारिश की कमी के प्रतिशत को और कम करेगी. पर वैज्ञानिकों ने कहा कि कुछ समय के लिए इतने अधिक मात्रा में बारिश चिंता का विषय है.
2011 और 2015 के बीच, राज्य में दो गंभीर चक्रवात आए- अक्टूबर 2013 में फैलिन और अक्टूबर 2014 में हुद-हुद-जिससे विशेष रूप से तटीय जिलों में फसलों और बुनियादी ढांचे को व्यापक नुकसान हुआ. इसके अलावा ओडिशा में हर मौसम में कुछ असामान्यता देखी गई है.
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