रोज़गार पर भारी पड़ेगी रोबोट्स की दुनिया, लॉकडाउन में बढ़ी ऑटोमेशन, रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मांग
कोरोना काल के बाद ऑटोमेशन अब फैक्टरियों में भी बड़े पैमाने पर नज़र आने लगा है. AIP के सीईओ तुषार अरोड़ा ने का कहना है कि दो तीन साल लक्ष्य दो तीन महीनों में करना होगा पूरा.
नई दिल्ली: इंडियन रोबोटिक्स सॉल्यूशन बीते 5 साल से रोबोटिक्स, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और ऑटोमेशन पर काम कर रही है. जितना व्यापार अब तक 5 साल में किया है, उससे ज़्यादा मांग बीते 2 महीनों के दौरान देश विदेश की कंपनियों से आ रही है. यह मांग इस बात को बताती है कि कितनी तेजी के साथ भारतीय कंपनियां ऑटोमेशन, रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तरफ बढ़ रही हैं. इंडियन रोबोटिक्स के संस्थापक सागर नौगरिया बताते हैं कि बीते 2 महीनों के दौरान डिलीवरी कंपनी से लेकर तमाम बड़े कॉरपोरेट्स विभिन्न तरह के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स सॉल्यूशंस के जरिए अपने प्रोसेस को ज्यादा से ज्यादा ऑटोमेट करने में लगे हुए हैं.
इंडियन रोबोटिक्स सॉल्यूशन के सह संस्थापक प्रशांत पिल्लई ने बताया कि ज्यादा से ज्यादा कंपनियां अब ऑटोमेशन पर जोर दे रही हैं. कंपनियों ने ऑटोमेशन के जो लक्ष्य अगले 2 से 3 साल के लिए रखे थे कंपनियां अब उन्हें 3 से 6 महीने में ही पूरा करना चाहती हैं. इसीलिए उनकी कंपनी के पास न सिर्फ भारत की कंपनियों से बल्कि कई अफ्रीकी देशों की कंपनियों से भी विभिन्न उत्पादों की मांग आ रही है. प्रशांत मानते हैं कि रोबोटिक्स के चलते फौरी तौर पर नौकरियों का नुकसान होगा क्योंकि कंपनियां जितना ज्यादा ऑटोमेट करेंगी उतना ही कम लोगों की जरूरत होगी.
कोरोना काल के बाद ऑटोमेशन अब फैक्टरियों में भी बड़े पैमाने पर नज़र आने लगा है. 300 कर्मचारियों वाली Abilities India Pistons and Rings (AIP) मारुति, TVS समेत चीन, जर्मनी की कई नामी गिरामी कंपनियों को रिंग्स और पिस्टन सप्लाई करती है. AIP के सीईओ तुषार अरोड़ा ने बताया कि कंपनी ने ऑटोमेशन का जो लक्ष्य अगले 2 से 3 साल के लिए किया था. कोरोना के चलते अब वह लक्ष्य अगले 2-3 महीनों मैं ही पूरा कर लिया जाएगा. कंपनी की जिस एक लाइन पर 7 लोग काम करते थे अब उस लाइन पर सिर्फ 5 लोग काम करेंगे. यानी दो लोगों का काम अब मशीन करेगी.
तुषार का कहना है कि कोरोना का हाल के दौरान जब फैक्ट्रियां बंद थीं तब सभी कंपनियों ने ऑटोमेशन की तरफ ध्यान दिया, जिससे कम से कम लेबर में ज्यादा से ज्यादा उच्च गुणवत्ता का काम लिया जा सके. इसीलिए कंपनी को जो ऑटोमेशन अगले 2 से 3 साल में करना था अब वह दो से तीन महीनों में ही पूरा कर लिया जाएगा. इसके अलावा कंपनी अपने पूरे काम को पेपरलेस करने जा रही हैं.
कोरोना के इस दौर में रोबोट्स, ऑटोमेशन, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसी नई तकनीकें रोज़गार पर भारी पड़ने लगी हैं. कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी के बीच तमाम कंपनियां अब तेज़ी के साथ ऑटोमेशन की तरफ बढ़ रही हैं. ऑटोमेशन का यही खतरा अब रोज़गार के मोर्चे पर मंडराने लगा है. फिक्की की एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि बदलते बिज़नेस परिवेश में ऑटोमेशन, डिजिटल लेबर और टेम्पररी श्रमिकों को मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में बढ़त मिलेगी.
वहीं, इसके चलते labour intensive सेक्टरों में 10-20% रोज़गार के मौके कम हो जाएंगे. रिपोर्ट बताती है कि ऑटोमोबाइल और उससे जुड़े सेक्टर्स में 10 से 15 फ़ीसदी रोजगार के मौके कम हो सकते हैं. इसके अलावा टेक्सटाइल और अपैरल उद्योग में ऑटोमेशन के जरिए 15 से 20 फ़ीसदी रोजगार के मौके कम होने की आशंका है.
हालांकि आगे चलकर ऑटोमेशन रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्र में रोजगार के मौके 5 से 10 फ़ीसदी बढ़ेंगे भी.
इसी बारे में जानने के लिए हमने रुख किया Milagrow Humantech के संस्थापक राजीव करवाल का. राजीव ने बताया कि कंपनी को इस समय ऑटोमेशन और रोबोटिक से जुड़ी व्यापारिक गतिविधियों में 300 फ़ीसदी से ज्यादा का इजाफा देखने को मिला है.
उन्होंने बताया कि सर्विस सेक्टर से लेकर तमाम जगह पर ह्यूमन रोबोट्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉल्यूशंस की मांग बेहद तेजी के साथ बड़ी है. होटल उद्योग से लेकर कॉरपोरेट ऑफिस और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर तक से बड़े पैमाने पर डिमांड आ रही है.
राजीव भी मानते हैं कि शुरुआती दौर में इस ऑटोमेशन प्रक्रिया के चलते रोजगार के मौके कुछ कम हो सकते हैं. लेकिन लंबी अवधि की अगर बात करें तो रोजगार के मौके बढ़ेंगे. ऐसे में जाहिर तौर पर नौकरी करने वाले लोगों के लिए सबसे अहम बात यही है कि वह तेजी से बदलते इस ऑटोमेशन के दौर के साथ कदमताल करें और नए हुनर सीखकर रोजगार के नए मौके पाए.
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