नई दिल्ली: एम्स के बाहर ऐसे करीब आधा दर्जन आश्रय गृह और टेंट लगाए गए हैं जिसमें इलाज करवाने आने वाले लोग रुकते हैं. यह वह लोग होते हैं जिनके पास दिल्ली में सिर छिपाने के लिए कोई और जगह नहीं होती. लेकिन फिलहाल इन आश्रय गृह और टेंट में अधिकतर ऐसे लोग मौजूद हैं जिनको गंभीर बीमारियों के बावजूद इलाज नहीं मिल पा रहा है.


साथ ही लॉकडाउन लोगों की परेशानियों को और बढ़ा दिया है. आश्रय गृह और टेंट में मौजूद उन लोगों का कहना है कि लॉकडाउन होने के चलते अब वह वापस भी नहीं जा पा रहे. इस वजह से ऐसे कई लोग यहां पर फंसे हुए हैं. बिना इलाज के और घर जाने के रास्ते भी फिलहाल बंद हैं.

बिहार मधुबनी के रहने वाले रामविलास साहू की परेशानी

बिहार के मधुबनी के रहने वाले रामविलास साहू एम्स के मुख्य द्वार से कुछ ही दूरी पर बने दिल्ली सरकार के सरकारी आश्रय गृह में दिन गुजार रहे हैं. रामविलास साहू कैंसर की बीमारी से पीड़ित है और उसी के इलाज के लिए 15 मार्च को दिल्ली आए थे लेकिन फिलहाल अब लॉकडाउन होने के चलते हैं वो वापस नहीं जा पा रहे हैं. साहू की मानें तो वह जब एम्स में डॉक्टर को दिखाने जाते हैं तो डॉक्टर इलाज देने से साफ तौर पर फिलहाल मना कर देते हैं और पुलिस भी इनको वहां तक नहीं जाने दे रही.

माता-पिता दिल्ली में सड़क किनारे और बच्चे गांव में अकेले

इसी तरह की कहानी उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से रहने वाले सुनील श्रीवास्तव की भी है. सुनील की पत्नी रेखा देवी कैंसर से पीड़ित हैं. सुनील अपनी पत्नी रेखा देवी को दिखाने के लिए 18 मार्च को आए थे. सुनील का आरोप है कि लॉकडाउन के ऐलान के बाद से ही एम्स की ओपीडी में सिर्फ कोरोना संक्रमित मरीजों को देखने की बात की जा रही है. इस वजह से सुनील की पत्नी रेखा देवी की जांच भी नहीं हो पा रही.

इतना ही नहीं सुनील के दो छोटे-छोटे बच्चे हैं जो फिलहाल उनके गांव में ही मौजूद हैं. उनकी देखभाल करने वाला भी वहां पर कोई नहीं है और इस वजह से भी सुनील और उनकी पत्नी परेशान हैं. क्योंकि एक तरफ ना इलाज हो पा रहा है ना वापस बच्चों के पास पहुंच पा रहे हैं. दूसरी तरफ बच्चों की देखभाल और उनके कुशलता को लेकर भी लगातार परेशान हो रहे हैं.

ब्लड कैंसर के पीड़ित बेटे की लगातार बिगड़ती हालत, पर पिता असहाय

रामविलास साहू और सुनील की तरह ही मध्यप्रदेश के जबलपुर के पास के गांव में रहने वाले विजय सिंह भी अपने 13 साल के बेटे रंजीत को लेकर एम्स के बाहर बने आश्रय गृह में दिन काट रहे हैं. विजय सिंह के बेटे रंजीत को ब्लड कैंसर है और उसकी हालत दिनों दिन खराब होती जा रही है. विजय की मानें तो जब ये अपने बेटे को दिखाने के लिए एम्स पहुंचते हैं तो इनसे कह दिया जाता है कि अगर कोरोना संक्रमण नहीं है तो फिलहाल इलाज नहीं होगा बाद में आइएगा.

विजय सिंह इस बात से भी परेशान है कि डॉक्टर ने जब उनके बेटे को कुछ वक्त पहले देखा था तो कहा था कि इसको ताजा और गर्म खाना ही खिलाएगा लेकिन अब हालत यह है कि दिल्ली सरकार के आश्रय गृह में जो कुछ भी खाने को मिलता है वह पेट भरने के लिए खिलाया जा रहा है और इससे भी उनके बेटे की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है. विजय सिंह की माने तो अब इनके पैसे भी पूरी तरह से खत्म हो चुके हैं और घर जाने का कोई विकल्प ही नहीं बच रहा. अब समझ में नहीं आ रहा है कि यहां कितने दिन तक ऐसे ही पड़े रहेंगे.

कई लोग एम्स के बाहर कर रहे हैं इलाज का इंतजार

ऐसा दर्द सिर्फ रामविलास साहू, सुनील श्रीवास्तव और विजय सिंह का ही नहीं इनके जैसे कई लोग हैं जो इसी तरह से एम्स के बाहर बनें आश्रय गृह और टेंट में दिन काटने को मजबूर हैं और इंतजार कर रहे हैं. लॉक डाउन हटने का और कोरोना महामारी काबू में आने का जिससे की इन लोगों को इलाज मिल सके. सब के बीच सरकार से भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि वह इनकी परेशानी को समझते हो जल्द से जल्द कुछ कदम उठाए क्योंकि यहां पर आकर यह सब फंसे हुए हैं. ना ही इलाज मिल पा रहा है और ना ही अपने घर वापस जा पा रहे हैं.

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