नई दिल्ली: कोरोना संकट के बीच विदेशों से बड़े पैमाने पर लौट रहे भारतीयों की वतन वापसी का दरवाजा खोलने के साथ ही सरकार उनके पुनर्वास की भी जमीन तैयार करने में जुटी है. इस कड़ी में सरकार विदेशों से लौटने वाले कामगारों की कौशल क्षमता और दक्षता से जुड़ी जानकारियां भी संबंधित राज्य सरकारों से साझा करेगी. ताकि लौटने वाले मजदूर बोझ नहीं देश की ताकत बन सकें.


उच्च पदस्थ सरकारी सूत्रों के मुताबिक नौकरियों में हुई कटौतियों के कारण खाड़ी देशों से बड़ी संख्या में मजदूर लौट रहे हैं. उनकी वापसी के लिए विमान और परिवहन साधन मुहैया कराने के साथ ही पहली बार उनकी क्षमताओं का एक पूरा डेटाबेस भी तैयार किया जा रहा है.


आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि विभिन्न कारणों से वापस लौट रहे कामगारों में बहुत से ऐसे लोग हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में दक्षता रखते हैं. यह लोग खाड़ी मुल्कों की कई फैक्ट्रियों में काम करते थे. लेकिन अब रोजगार न होने का कारण लौटने को मजबूर हैं. ऐसे में अगर समुचित जानकारी हो तो उनकी क्षमताओं का इस्तेमाल किया जा सकता है.


ई-माइग्रेट पोर्टल के जरिए तैयार किए जा रहे डेटाबेस को भारत सरकार के कौशल विकास मंत्रालय और श्रम मंत्रालय के साथ-साथ इन कामगारों के पैतृक निवास संबंधी राज्य की सरकारों से भी साझा किया जाएगा. इसके जरिए वापस लौट रहे कामगारों के पुनर्वास में भी बड़ी मदद मिलेगी.


गौरतलब है कि संयुक्त अरब अमीरात, सउदी अरब, कतर, बहरीन समेत अन्य देशों से करीब तीन लाख लोगों ने वापसी के लिए पंजीयन किया है. वहीं इंडोनेशिया, फिलीपींस समेत अन्य कई देशों से भी बड़ी संख्या में लोग लौटने को तैयार हैं. हालांकि फिलहाल पहले चरण में केवल उन्हीं लोगों को लौटने की इजाजत दी जा रही है जिनके साथ कठिन स्थितियां हैं.


ये भी पढ़ें-


यूपी: कोरोना के चलते दारुल उलूम ने निरस्त की वार्षिक और नए सत्र की प्रवेश परीक्षा


तब्लीगी जमात मामला: दिल्ली पुलिस ने मौलाना साद पर कसा शिकंजा, साद के बेटे से की पूछताछ