ग्रेटर नोएडा: अस्पताल में बेड की कमी के कारण महिला ने कार में ही तोड़ा दम
ग्रेटर नोएडा के बीटा-2 की रहनेवाली जागृति की समय पर इलाज ना मिलने से कार में ही मौत हो गई. जागृति के परिजन उसे एडमिट कराने के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल के चक्कर लगाते रहे लेकिन किसी ने भी उसे एडमिट नहीं किया. इसके बाद उसे जिम्स लाया गया लेकिन यहां भी बेड के अभाव के कारण उसे भर्ती नहीं किया गया.
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उत्तर प्रदेश में कोरोना का कहर लगातार जारी है. कोरोना संक्रमण से मरनेवालों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हो रहा है. यहां तक कि अस्पतालों में भी कोरोना के मरीजों को एडमिट नहीं किया जा रहा है. बेड्स के अभाव में मरीज दम तोड़ते नजर आ रहे हैं. ऐसा ही एक मामला यूपी के ग्रेटर नोएडा में देखने को मिला. जहां एक महिला ने कार के अंदर ही दम तोड़ दिया लेकिन उसे अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया. महिला की मौत के तीन घंटे बाद भी शव गाड़ी में ही पड़ा रहा लेकिन किसी ने भी शव को मोर्चरी तक ले जाने की व्यवस्था नहीं की. ये घटना ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) की है.
ग्रेटर नोएडा के बीटा-2 की रहनेवाली जागृति कुछ दिनों से बीमार चल रही थी. जैसे जैसे समय बिता, उसे सांस लेने में परेशानी होने लगी. इसके बाद उसके करीबियों ने उसे अस्पताल में एडमिट कराने का फैसला लिया. जागृति के करीबी उसे एडमिट कराने के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल का चक्कर लगाते रहे लेकिन किसी भी हॉस्पिटल में उसे एडमिट नहीं किया गया. इसके बाद करीब 12:30 बजे उसे जिम्स हॉस्पिटल लाया गया. धीरे धीरे जागृति की हालत बिगड़ती गई लेकिन जिम्स के डॉक्टर्स ने उसे देखने से भी मना कर दिया. इसके बाद मरीज ने कार में ही दम तोड़ दिया.
हॉस्पिटल में खाली नहीं था एक भी बेड
जिम्स के डायरेक्टर रिटायर्ड ब्रिगेडियर डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया कि हॉस्पिटल में एक भी बेड खाली नहीं था, जिसकी वजह से मरीज को भर्ती नहीं किया जा सका. उधर परिजनों ने बताया कि किसी भी हॉस्पिटल में भर्ती ना किए जाने से जागृति की मौत हो गई. उन्होंने कहा कि यदि समय पर इलाज होता तो आज वह हम सबके बीच होती. लेकिन अस्पताल प्रशासन ने उसे भर्ती करने से साफ मना कर दिया.
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