दिल्ली सरकार की गलतियों की वजह से दोषी अभी तक फांसी के फंदे से दूर हैं-निर्भया केस की वकील
सीमा के मुताबिक चारों दोषी बेहद चालाक हैं और कानून के दांव पेंचों का लगातार फायदा उठा रहे हैं. सीमा का कहना है की 9 जुलाई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी की बाद दोंषियो की रिव्यु पिटीशन पर सुनवाई करते हुए चारों की फांसी की सजा एक बार फिर बरकरार रखी थी.
नई दिल्ली: निर्भया केस की वकील सीमा समृद्धि ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली सरकार की गलतियों की वजह से दोषी अभी तक फांसी के फंदे से दूर हैं. एडवोकेट सीमा समृद्धि ने कहा कि हाई कोर्ट से साल 2014 में चारों दोषियों की सजा बरकरार रखने के बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. जहां दोषियों ने एसएलपी यानि स्पेशल लीव पिटीशन लगाई थी, लेकिन 2016 तक किसी ने इस केस को अदालत में मेंशन नहीं करवाया. 2 साल तक जब मामले की सुनवाई नहीं हुई तो निर्भया की वकील सीमा समृद्धि कोर्ट पहुंची और फिर 2 साल बाद मामले की सुनवाई शुरू हुई. सीमा समृद्धि का कहना है की केस को मेंशन कराने का काम दिल्ली सरकार का था.
सीमा के मुताबिक चारों दोषी बेहद चालाक हैं और कानून के दांव पेंचों का लगातार फायदा उठा रहे हैं. सीमा का कहना है कि 9 जुलाई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी की बाद दोंषियो की रिव्यु पिटीशन पर सुनवाई करते हुए चारों की फांसी की सजा एक बार फिर बरकरार रखी थी. जिसके बाद तिहाड़ प्रशासन की दोषियों से पूछने की जिम्मेदारी थी कि वह अगले विकल्प क्यूरेटिव पिटीशन को लगाना चाहते हैं या नहीं, लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ. एक बार फिर करीब 6 महीने बाद 13 दिसंबर 2018 को कोर्ट के फैसले के एग्जीक्यूशन के लिए निर्भया के मां बाप ने पटियाला कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जिसके बाद कोर्ट के स्टेटस रिपोर्ट मांगने के बाद तिहाड़ प्रशासन जागा और फिर दोषियों को नोटिस देकर तिहाड़ प्रशासन ने जल्द अपने अधिकार का इस्तेमाल करने को कहा.
सीमा का कहना है कि इस मामले में दिल्ली सरकार बिल्कुल गंभीर नजर नहीं आई. फिलहाल कानूनी पेचिदगियों का दोषी लगातार फायदा उठा रहे हैं. इस मामले के एक दोषी विनय शर्मा ने मर्सी पिटीशन लगाई है. वहीं बाकी तीन दोषी अक्षय, पवन और मुकेश ने अभी भी क्षमा याचिका नहीं लगाई है. लगातार जस्टिस डिले के चलते निर्भया का परिवार अपने वकील के साथ राष्ट्रपति से मिलने की कोशिश कर रहा है. इस उम्मीद में की इन्हें जल्द इंसाफ मिल सके.
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