DUNKI Roots: मानव तस्करी के शक के चलते फ्रांस में 4 दिन तक रोक के रखा गया विमान 276 यात्रियों के साथ मंगलवार (26 दिसंबर) की सुबह 4:00 बजे मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचा. रोमानिया का ये विमान फ्रांस के वैट्री एयरपोर्ट से 25 दिसंबर को दोपहर 2:30 बजे रवाना हुआ था. विमान में मौजूद ज्यादातर यात्री हिंदी और तमिल बोलने वाले बताए जा रहे हैं. जानकारी ये भी है कि इन यात्रियों में से कई पंजाब और गुजरात के रहने वाले है.


एयरपोर्ट पर पहुंचते ही सभी यात्री मीडिया के कैमरे से बचते नजर आए. लोगों से जब बात करने की कोशिश की गई तो यात्रियों ने बात करने से मना कर दिया. वहीं, कुछ यात्री अपना चेहरा छिपाने लगे.


क्या है पूरा मामला?
बीती 21 दिसंबर को कथित तौर पर सेंट्रल अमेरिका के निकारागुआ जाने के लिए रोमानिया स्थित लीजेंड एयरलाइंस का विमान दुबई से निकला. इस फ्लाइट में कुल 303 भारतीय नागरिक सफर कर रहे थे. इनमें करीब 11 नाबालिग भी शामिल थे. फ्रांस के वैट्री एयरपोर्ट पर विमान ईंधन लेने के लिए रुका. इस दौरान फ्रांस की अथॉरिटी को गुप्त जानकारी मिली कि बड़ी संख्या में मानव तस्करी की जा रही है.


संदेह के आधार पर टिप ऑफ मिलने के बाद सभी यात्रियों से फ्रांस के अधिकारियों ने गहन पूछताछ की. पूछताछ में संतुष्ट जवाब मिलने के बाद 303 यात्रियों में से 276 यात्रियों को वापस भेजा गया है. सूत्रों के अनुसार दो नाबालिगों सहित 25 लोगों ने फ्रांस में आश्रय के लिए आवेदन किया है और वे अभी फ्रांस में ही हैं.


दूतावास ने एजेंसियों का जताया धन्यवाद
फ्रांस में भारतीय दूतावास ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि भारतीय यात्रियों को घर लौटने और स्थिति के त्वरित समाधान के लिए फ्रांसीसी सरकार और वैट्री हवाई अड्डे को धन्यवाद. दूतावास की टीम के साथ मिलकर काम करने के लिए और सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए मौके पर मौजूद भारत के एजेंसियों को भी धन्यवाद.


सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक फ्रांस से मुंबई लौटी फ्लाइट पर केंद्रीय एजेंसियों की निगाह है. सभी पैसेंजर के आइडेंटिटी कार्ड की जांच करके उनका बयान रिकॉर्ड किया गया. इमीग्रेशन पास, पासपोर्ट, भारतीय पहचान पत्र, भारतीय पता, सेंट्रल अमेरिका में जहां भी जा रहे हों वहां का पता, फ्लाइट टिकट, दुबई तक जाने का रूट इन सभी की जांच कर उसकी जानकारी रिकॉर्ड करने के बाद ही जांच एजेंसियों ने यात्रियों को मुंबई एयरपोर्ट से निकलने की इजाजत दी.


सभी यात्रियों को दोबारा संपर्क किए जाने पर उपस्थित रहने के भी निर्देश दिए गए है. सूत्रों के अनुसार, सभी यात्री एक जगह दुबई में इकट्ठा हुए, वहां से निकारागुआ जाने वाली चार्टर प्लेन से एक साथ रवाना हुए. इन सभी को एक साथ किसने संपर्क किया, किसने टिकट मुहैया कराई उस एजेंट की जांच की जा रही है.


जो यात्री भारत नहीं लौटे हैं, उन्हें लौटकर आए यात्री कैसे और कितना जानते थे, यह भी जानकारी ली जा रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, मैक्सिको में इमीग्रेशन सीमित होने के चलते ये सभी यात्री अलग-अलग डंकी (DUNKI) रूट्स अपनाकर अपने डेस्टिनेशन पर पहुंचना चाह रहे थे.


सूत्रों के अनुसार, यदि केंद्रीय एजेंसियां इस मामले में केस दर्ज करती हैं तो सभी लौटे यात्री मामले में विटनेस होंगे, जोकि फिलहाल पीड़ित हैं. फर्जी पहचान पत्र अगर बरामद हुए तो उन्हें बनाने वाले एजेंट्स की जानकारियां खंगाली जाएगी. इन सभी पैसेंजर की ट्रैवल हिस्ट्री भी नोट की जाएगी. सभी यात्रियों को उनके स्टेटमेंट रिकॉर्ड करने के बाद मुंबई एयरपोर्ट से रवाना होने और जांच से जुड़े किसी भी जानकारी को अन्य व्यक्तियों से साझा न करने के लिए निर्देश दिए गए हैं. 


क्यों कहा जा रहा है डंकी फ्लाइट?
हाल ही में शाहरुख खान की फिल्म डंकी सिनेमाघरों में रिलीज हुई है. फिल्म इमीग्रेशन के मुद्दे पर बनाई गई है. डंकी एक पंजाबी मुहावरे से बना हुआ शब्द है. जिसका अर्थ है एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना. आसान शब्दों में कहें तो जब लोगों को अलग-अलग देशों में रुकते-रुकते हुए अवैध तरीके से किसी दूसरे देश में भेजा जाता है तो उसे डंकी रूट कहते हैं.


पंजाबी में डंकी शब्द का अर्थ है कूद कर, फांद कर, फुदक कर अवैध तरीके से किसी स्थान पर जाना. अमेरिका, कनाडा और कुछ यूरोप के देशों में पहुंचने का यह एक खतरनाक रास्ता है, जिसे अवैध इमिग्रेशन भी कहा जाता है. इन रास्तों के जरिए लोगों को अवैध रास्तों से होते हुए कनाडा, अमेरिका या यूरोप भेजा जाता है. अमेरिका में शरण मांगने वालों के लिए निकारागुआ एक चर्चित जगह बन गई है. इसीलिए लोग इस विमान के लिए डंकी फ्लाइट के नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं, क्योंकि शक इस बात को लेकर भी किया जा रहा है कि क्या ये लोग वाकई में मानव तस्करी के शिकार हुए हैं? या फिर ये अवैध माइग्रेशन का मामला है. 


एविएशन एक्सपर्ट का क्या मानना है?
इस पूरी घटना पर एविएशन एक्सपर्ट विपुल सक्सेना ने कहा कि UN चार्टर में कन्वेंशन एक्ट है, जिसमें 166 देश शामिल हैं. इन देशों के पास मानव तस्करी, बच्चों के अवैध व्यापार से जुड़े किसी मामले या फिर ड्रग तस्करी की कोई जानकारी मिलती है तो संबंधित देश साथी देश के साथ जानकारी साझा करता है और फिर संबंधित देश के अधिकारियों को जांच करने का पूरा अधिकार होता है.


उन्होंने कहा कि जब तक अधिकारी जांच से संतुष्ट नहीं होते तब तक पूछताछ चलती रहती है. आमतौर पर भारत से बहुत लोग अवैध तरीके से कनाडा और अमेरिका जाते हैं. कारण ये है कि जब ये लोग जॉब के लिए आवेदन देते हैं तो इनमें शैक्षणिक योग्यता की कमी पाई जाती है. ऐसे में ये लोग अवैध रूप से एजेंट के जरिए दूसरे देशों में जाते हैं.


एविएशन एक्सपर्ट ने कहा कि मेरी जानकारी में यह पहला ऐसा मामला है जब इतनी बड़ी संख्या में इतने लोग पकड़े गए हैं. पंजाब, हरियाणा और बिहार के युवाओं में बाहर जाने का क्रेज ज्यादा है, क्योंकि वहां पर जॉब की कमी है. इसीलिए लोग अपनी जमीन बेचकर विदेश जाना चाहते हैं. "डंकी रूट" को समझाते हुए विपुल सक्सेना ने कहा कि डंकी रूट का इस्तेमाल तब किया जाता है, जब कोई अवैध रूप से एक देश से दूसरा देश जाना चाहता हो.


उन्होंने कहा कि इस रूट के जरिए आमतौर पर लोग फ्रांस के बाद यूरोप, साउथ अमेरिका के कई देशों तक पास जाते हैं. जहां पर वो उस देश के एजेंट से संपर्क करते हैं और फिर एजेंट का काम यह होता है कि वो संबंधित व्यक्ति को अवैध रूप से अपने देश की सीमा से सुरक्षित बाहर निकाल देता है. इसमें जान को खतरा भी होता है. फिर जब लोग पकड़े जाते हैं तो मजिस्ट्रेट के सामने उन्हें पेश किया जाता है. मजिस्ट्रेट कई सवाल जवाब उन लोगों से करता है. इसमें कई बार ऐसा भी देखा गया कि सवाल जवाब के दौरान लोग झूठ बोलते हैं. अक्सर लोगों को ये बोलते हुए देखा जाता है कि वो अपने देश में परेशान है इसीलिए अवैध रूप से भाग कर आए हैं और फिर उसे देश में शरण देने की मांग करते हैं.


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