कोरोना संकट: दिल्ली के सीआर पार्क में नहीं सजेंगे दुर्गा पूजा पंडाल, मूर्तिकारों के रोज़गार पर भी असर
देश में हर साल इन महीनों में त्यौहारों की रौनक देखने को मिलती है. लेकिन कोरोना के चलते इस साल त्यौहार फीके दिखाई देंगे. नवरात्रि का पर्व शुरू होने जा रहा है लेकिन इस बार रौनक हर साल की तरह नहीं होगी.
नई दिल्ली: साल का ये वो वक्त है जब त्योहारों की रौनक रहती है. नवरात्रि, दशहरा और दीपावली जैसे त्योहारों की धूम रहती है लेकिन इस बार कोरोना का असर त्योहारों पर भी साफ दिखाई दे रहा है. 17 अक्टूबर से नवरात्रि का पर्व शुरू होगा लेकिन इस बार रौनक हर साल की तरह नहीं होगी. मां दुर्गा के भव्य पंडाल और उनमें विराजमान विशालकाय मूर्तियां नहीं दिखाई देंगी.
दिल्ली में सरकार ने पंडाल लगाने की इजाज़त तो दी है लेकिन कड़े दिशा निर्देशों के साथ. मेले, झूले, फ़ूड स्टॉल आदि की मनाही है. लेकिन ये इजाज़त मिलने में इतनी देर हो गई कि ज़्यादातर दुर्गा पूजा आयोजकों ने पंडाल न लगाने का निर्णय लिया है. चितरंजन पार्क में दुर्गा पूजा आयोजक उत्पल घोष का कहना है कि सीआर पार्क इलाके में हर साल दुर्गा पूजा शुरू होने से पहले ही रौनक आ जाती थी.
ऑनलाइन जरिए श्रद्धालु घर पर बैठ कर सकेंगे दर्शन
महीनों पहले से पंडाल लगाने की तैयारियां शुरू हो जाती थीं. चितरंजन पार्क इलाके में हर साल 9 दुर्गा पूजा पंडाल लगाए जाते थे लेकिन इस बार यहां पंडाल नहीं लगेंगे. मां की भव्य मूर्तियां भी नहीं देखने को मिलेंगी. 1 दिन की कलश पूजा की जायेगी. हालांकि काली मन्दिर में होने वाली पूजा के दर्शन के लिए ऑनलाइन व्यवस्था की गई है जिसे श्रद्धालु घर पर बैठ कर देख सकेंगे. चितरंजन पार्क इलाके में मूर्ति बनाने वाले दिलीप दास पिछले 7 साल से मूर्तियां बना रहे हैं. लेकिन इस बार कोरोना की मार त्योहार के साथ साथ काम पर भी पड़ी है. हर साल 20-30 मूर्तियां बनाने का काम मिल जाता था इस बार महज़ 6-7 मूर्तियां ही अब तक बनाई हैं.
मूर्तियों की ऊंचाई भी काफी कम कर दी है क्योंकि खरीद दार नहीं हैं. दिलीप घोष का कहना है कि पहले 4-5 महीने पहले से ही आ जाया करते थे क्योंकि काम बहुत ज़्यादा होता था. इस बार काम भी नहीं है और कारीगर भी उतने नहीं आये. दिल्ली के गीता कॉलोनी इलाके में मूर्तियों का काम करने वाले इदरीश के यहां मूर्तियां बनकर लगभग तैयार हैं. फिनिशिंग का काम चल रहा है. इदरीश का कहना है कि इस बार काम आधा हो गया है. पहले 40-50 मूर्तियों के ऑर्डर मिल जाया करते थे. काम भी 5-6 महीने पहले से शुरू हो जाय करता था. 15-20 कारीगर होते थे.
जश्न और रौनक नहीं होगा लेकिन मां के स्वागत में कोई कमी नहीं होगी
इस बार कारीगर भी 4-5 ही हैं काम भी डेढ़ 2 महीने पहले शुरू हुआ. मां की मूर्तियां जो पहले 11-14 फ़ीट ऊंचाई की बना करती थीं इस बार 6-7 फ़ीट ऊंचाई की ही हैं. ऊंची मूर्तियों के ऑर्डर भी नहीं मिले हैं और उन्हें भी डर है कि मूर्ति बिक नहीं पायेगी. कोलकाता से आये एक कारीगर ने बताया कि पिछले साल उन्होंने 42 मूर्तियां बनाई थीं इस बार महज़ 20 मूर्तियां बनाई हैं. काम बिल्कुल भी नहीं है, साल के इसी महीने में कमाई हुआ करती थी इस बार कुछ भी नहीं है. इसी वजह से ज़्यादातर कारीगर इस बार काम पर आये भी नहीं.
मां दुर्गा के इस पावन पर्व में भले ही हर साल की तरह जश्न और रौनक न हो लेकिन मां के स्वागत में कोई कमी नहीं होगी. सभी की यही मनोकामना है कि मां के आगमन के साथ महामारी का संकट खत्म हो जाये.
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