राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान विपक्षी सांसदों ने बनाई कृषि कानूनों के मुद्दे पर सरकार को घेरने की रणनीति
राज्यसभा की कार्रवाई के दौरान राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू ने साफ तौर पर कहा कि बार-बार सदन में यह कहा जा रहा है कि तीनों कृषि कानून बिना किसी चर्चा के पास करा दिए गए जबकि यह कहना गलत है. क्योंकि राज्यसभा में तीनों किसी कानूनों को लेकर पहले विस्तृत चर्चा हुई थी.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों को लेकर सड़क से लेकर संसद तक हंगामा हो रहा है. राज्यसभा में भी मंगलवार सुबह से ही इस मुद्दे पर विपक्षी दलों ने चर्चा की मांग करते हुए जमकर नारेबाजी की. हालांकि राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू ने साफ किया कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान विपक्षी दल कृषि कानूनों के मुद्दे पर अपनी बात रख सकते हैं. वेंकैया ने कहा कि क्योंकि राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में भी कृषि कानूनों का जिक्र किया है लिहाज़ा उस पर सांसद अपनी बात रख सकते हैं. राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के लिए 10 घंटे का वक्त तय किया है. हालांकि विपक्षी दलों की मांग है कि अगर कृषि कानूनों पर भी इसी दौरान चर्चा करनी है तो राष्ट्रपति के अभिभाषण पर होने वाली चर्चा का वक्त 10 घंटे से बढ़ाकर कम से कम 15 घंटे किया जाए.
मंगलवार को राज्य सभा की कार्रवाई के शुरू होते ही विपक्षी दलों के अलग-अलग सांसदों ने कार्य स्थगन प्रस्ताव का नोटिस देते हुए कृषि कानूनों पर चर्चा की मांग की. सांसदों का कहना था कि देश का अन्नदाता सड़कों पर है लिहाजा इस मुद्दे पर संसद में जल्द से जल्द चर्चा होनी चाहिए. लेकिन राज्य सभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू ने मंगलवार को चर्चा से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि जब राष्ट्रपति के अभिभाषण पर अलग-अलग सांसद अपना पक्ष रखेंगे तो वह इस मुद्दे पर अपनी बात रख सकते हैं.
राज्यसभा की कार्रवाई के दौरान राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू ने साफ तौर पर कहा कि बार-बार सदन में यह कहा जा रहा है कि तीनों कृषि कानून बिना किसी चर्चा के पास करा दिए गए जबकि यह कहना गलत है. क्योंकि राज्यसभा में तीनों किसी कानूनों को लेकर पहले विस्तृत चर्चा हुई थी और उसके बाद ही उनको पास किया गया था. ये जरूर हो सकता है कि जिस तरह इन कानूनों को पास किया गया उसको लेकर चर्चा की जाए, लेकिन यह कहना ठीक नहीं है कि राज्यसभा में तीनों कृषि बिलों को पास करने से पहले चर्चा हुई ही नहीं.
राज्यसभा की कार्रवाई स्थगित होने के बाद विपक्षी दलों ने सांसदों ने एक साझा बैठक भी की. बैठक में तय किया गया कि अगर तीनों कृषि कानूनों पर अलग से चर्चा नहीं हो रही तो राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान उनको अपनी बात रखने के लिए जो वक्त मिलेगा उसको बढ़ाया जाए. जिससे कि विपक्षी सांसद कृषि कानूनों के मुद्दे पर अपनी बात सदन में रख सकें.
हालांकि राज्यसभा की मंगलवार की कार्रवाई के दौरान चेयरमैन वेंकैया नायडू ने साफ कहा था कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के लिए 10 घंटे का वक्त तय किया गया है और इस 10 घंटे के दौरान सांसदों की संख्या को देखते हुए अलग-अलग राजनीतिक दलों को बोलने का मौका दिया जाएगा. लेकिन विपक्षी सांसदों का कहना है कि उनको और ज्यादा वक्त चाहिए और इसको लेकर उन्होंने राज्यसभा के चेयरमैन तक अपनी मांग पहुंचाने की बात कही है.
इस सब के बीच विपक्षी सांसदों ने मिलकर यह जरूर तय किया है कि जिस दौरान राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा हो रही होगी उस दौरान विपक्षी सांसद अधिकतर संख्या में कृषि कानूनों पर ही अपना पक्ष रखेंगे. वहीं जिस तरीके की तस्वीरें मंगलवार को राज्यसभा में देखने को मिली थी ऐसी तस्वीर राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान ना देखने को मिले यह भी सुनिश्चित किया जाए. क्योंकि विपक्ष की रणनीति के मुताबिक वह चाहते हैं कि तीनों कृषि कानूनों पर विस्तृत चर्चा हो सके और अगर विपक्ष के सांसद हंगामा और हो हल्ला करते रहे तो ऐसा होना मुमकिन नहीं होगा. इसी वजह से आपसी सहमति कर यह तय करने की कोशिश की गई है कि बुधवार को जब सदन की कार्रवाई शुरू होगी विपक्षी सांसद कृषि कानूनों के मुद्दे पर सरकार को घेर सकें.
सामने आ रही जानकारी के मुताबिक असम से आने वाले बीजेपी के सांसद भुवनेश्वर कलिता राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान सत्तारूढ़ पार्टी की तरफ से चर्चा की शुरुआत करेंगे. वहीं इसके अलावा विनय सहस्त्रबुद्धे, नीरज शेखर, राकेश सिन्हा और अनिल जैन समेत अन्य बीजेपी सांसद बीजेपी की तरफ से चर्चा में हिस्सा ले सकते हैं.
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