Coronavirus: पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार के दौरान एक महीने में कोरोना के मामले 1500 फीसदी बढ़े
बंगाल में राजनीतिक दलों और नेताओं ने बड़े पैमाने पर रैलियां और सार्वजनिक समारोह का आयोजन किया. इसका नतीजा ये हुआ कि राज्य में एक महीने के अंदर कोरोना के मामले 1500 फीसदी बढ़ गए.बड़ी सभाओं को कोरोना संक्रमण बढ़ने का एक मुख्य कारण माना जा सकता है. हालांकि यह आकलन करना मुश्किल है कि कौनसी राजनीतिक सभाएं सुपर स्प्रेडर का कारण हैं.
Coronavirus: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव जारी हैं. चुनाव आयोग ने इसी साल फरवरी में आठ चरणों में बंगाल विधानसभा चुनाव की घोषणा की थी, जिसके बाद सभी राजनीतिक दलों और नेताओं ने बड़े पैमाने पर रैलियां और सार्वजनिक समारोह का आयोजन किया. इसका नतीजा ये हुआ कि राज्य में एक महीने के अंदर कोरोना के मामले 1500 फीसदी बढ़ गए.
बंगाल में 11 मार्च को कोरोना संक्रमण के मामले घटकर 3110 हो गए थे. इससे बाद अब इनमें बढ़त देखने को मिल रही है. 20 मार्च के बाद से राज्य में सक्रिय कोरोना मामलों की संख्या 53 हजार से ज्यादा हैं. देखा जाए तो यह आकड़े 1500 प्रतिशत से भी ज्यादा हैं.
बड़ी सभाओं को कोरोना संक्रमण बढ़ने का एक मुख्य कारण माना जा सकता है. हालांकि यह आकलन करना मुश्किल है कि कौनसी राजनीतिक सभाएं सुपर स्प्रेडर का कारण हैं, लेकिन कुछ सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों की बात करंगे और देखेंगे कि किन-किन कारणों से कोरोना के मामले बढ़े हैं. यह भी जानेंगे की इन जिलों में से प्रत्येक के चुनाव समय जिला स्तर पर सक्रिय मामले की गिनती क्या हुई. आठ चरणों में से पांच चरणों के चुनाव पहले ही संपन्न हो चुके हैं, इनमें राज्य के 16 जिले शामिल हैं.
पुरुलिया
29.3 लाख से ज्यादा आबादी वाले पुरुलिया जिले में दो चरणों में चुनाव हुए थे. पहले चरण के लिए मतदान सात निर्वाचन क्षेत्रों में 27 मार्च को किया गया और दूसरे चरण के लिए नौ निर्वाचन क्षेत्रों में 1 अप्रैल को मतदान किया गया था.
18 मार्च तक पुरुलिया में कोरोना के35 सक्रिय मामले थे. उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां एक रैली को संबोधित किया. चार दिनों के भीतर जिले में मामलों में वृद्धि होने लगी. एक महीने बाद जिले में सक्रिय मामले 1200 से ज्यादा हैं. एक महीने पहले की तुलना में लगभग 34 गुना ज्यादा. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि केवल एक रैली ने संक्रमण को बढ़ाने में योगदान दिया. 18 और 27 मार्च के बीच जिले में कई सार्वजनिक बैठकें भी की गयी थी..
दक्षिण 24 परगना
दक्षिण 24 परगना में तीन चरणों में मतदान हुए. 1 अप्रैल, 6 अप्रैल और 10 अप्रैल. पहले चरण के मतदान से दो सप्ताह पहले 14 मार्च को कोरोना संक्रमण के मामले इस जिले में 126 थे. TMC के उम्मीदवार परेश राम दास ने कैनिंग स्टेशन से सियालदाह तक ट्रेन में प्रचार किया था. पहले मतदान की तारीख तक, सक्रिय मामलों में लगभग दोगुनी वृद्धि हुई थी, क्योंकि जिले में चुनावी रैलियां जारी थीं.
हावड़ा और हुगली
हावड़ा और हुगली में दो चरणों में चुनाव हुए. 6 अप्रैल और 10 अप्रैल. हावड़ा में 17 फरवरी से कोरोना के मामलो में वृद्धि देखने को मिली. उस वक़्त जिले में केवल 84 एक्टिव केसेस थे. इसी समय बंगाल के भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष सरस्वती पूजा का आयोजन किये थे. एक महीने के भीतर जिले में मामले दोगुने हो गए. जिस समय जिले में चुनाव हुए, उस समय मामले एक हजार से ज्यादा हो गए थे.
हुगली के लिए, संक्रमण का उदय लगभग एक महीने बाद हुआ जब बीजेपी सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन किया था. 17 मार्च को, जिले में 81 सक्रिय मामले थे. हालांकि, विरोध प्रदर्शन के बाद मामलों में वृद्धि होने लगी, मतदान की तारीख तक 500 का आंकड़ा पार कर गया था.
उत्तर 24 परगना
वर्तमान में उत्तर 24 परगना सबसे ज्यादा प्रभावित जिला (कोलकाता को छोड़कर) है. मंगलवार तक जिले में कोरोना के 14,220 सक्रिय मामलों की सूचना है. 22 मार्च को जिले ने इस साल सक्रिय मामलों की न्यूनतम संख्या 3,420 बताई थी, जिसके बाद मामले बढ़ने लगे. हालांकि मामलों में स्पाइक 31 मार्च को जिले में टीएमसी-बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प के तुरंत बाद आया था. जिले में मतदान के समय तक सक्रिय मामले 12,526 तक पहुंच गए थे.
कोलकाता
राजधानी कोलकाता में फरवरी के दूसरे सप्ताह से ताजा मामलों की संख्या 200 से नीचे गिरनी शुरू हो गई थी. फरवरी के तीसरे सप्ताह में भी नए मामले 200 तक ही पहुंचे थे. वही मंगलवार को (20 अप्रैल) यह आकड़ा 2234 पहुंच गया हैं. बता दें कि कोलकाता में मतदान होने अभी बाकी है. साउथ कोलकाता में 26 अप्रैल को मतदान होने हैं. वही नार्थ कोलकाता में 29 अप्रैल को वोटिंग होगी.
यह भी पढ़ें-
केंद्र पर बरसीं प्रियंका गांधी, कहा- सरकार के पास 8-9 महीने का समय था, लेकिन कुछ नहीं किया