Hijab Row: हिजाब मामले पर सुनवाई के दौरान सरकार ने तीन तलाक का भी किया जिक्र, जानें SC में 9वें दिन क्या कुछ हुआ?
Supreme Court Hearing: आज कर्नाटक में हिजाब मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, ये सुनवाई अंतिम दौर में चल रही है. इस दौरान सरकार ने तीन तलाक का भी जिक्र किया. आइए जानते हैं क्या कुछ हुआ.
Karnataka Hijab Case: कर्नाटक हिजाब मामले (Karnataka Hijab Case) की सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में बहस अंतिम दौर में आ गई है. बुधवार को सुनवाई के 9वें दिन कर्नाटक सरकार (Karnataka Government) और उन कॉलेज शिक्षकों ने जिरह की जिन्होंने कॉलेज में हिजाब से मना किया था. गुरुवार को याचिकाकर्ता पक्ष को जवाब देने का मौका मिलेगा, उसके बाद आदेश सुरक्षित रख लिया जाएगा.
राज्य सरकार की तरफ से एडवोकेट जनरल प्रभुलिंग के नवाडगी ने जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की बेंच के सामने पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक अनुशासन को मानना सबके लिए ज़रूरी है. एडवोकेट जनरल ने उदाहरण देते हुए कहा कि अपनी ज़मीन पर घर बनाना अधिकार है लेकिन जिस इलाके में मकान बनाया जा रहा है, उसके भवन नियमों का पालन करना होता है. उसी तरह स्कूल में भी अगर यूनिफॉर्म तय किया गया है, तो उसका पालन होना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक का जिक्र
एडवोकेट जनरल ने यह भी कहा कि हर बात को धर्म का अनिवार्य हिस्सा बताकर प्रस्तुत नहीं किया जा सकता. उन्होंने बताया कि बकरीद पर गाय की कुर्बानी को भी कुछ लोगों ने इस्लाम का हिस्सा बताते हुए इस पर रोक को चुनौती दी थी, लेकिन कोर्ट ने पाया था कि यह ज़रूरी हिस्सा नहीं है. एक साथ 3 तलाक के समर्थन में भी ऐसी ही दलीलें दी गई थीं, लेकिन कोर्ट ने उसे सही नहीं माना.
सरकार की दलील
राज्य सरकार की तरफ से एडिशनल सॉलिसीटर जनरल के एम नटराज ने भी पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि मामला किसी धर्म का है ही नहीं, अनुशासन का है. कल को अगर कोई एयरपोर्ट पर चेहरा दिखाने से मना करे तो क्या इसकी अनुमति दी जा सकती है. हवन करना हिंदू धर्म का हिस्सा है, लेकिन क्या कोई कोर्ट में आकर हवन कर सकता है?
जस्टिस हेमंत गुप्ता ने शेयर किया किस्सा
सुनवाई के दौरान बेंच के अध्यक्ष जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा, "मैं निजी जानकारी शेयर कर रहा हूं. पाकिस्तान के लाहौर हाई कोर्ट के एक जज अपनी पत्नी और 2 बेटियों के साथ अक्सर भारत आया करते थे. मेरी उनसे मुलाकात होती थी. मैंने कभी भी तीनों महिलाओं को हिजाब पहने नहीं देखा."
कॉलेज शिक्षकों की तरफ से रखी गई दलीलें
दिन की सुनवाई के अंत में कॉलेज शिक्षकों की तरफ से आर. वेंकटरमानी, वी. मोहना समेत 4 वरिष्ठ वकीलों ने दलीलें रखीं. यह वह शिक्षक हैं, जिन्होंने कॉलेज में हिजाब पहनने से लड़कियों को रोका था और जिन्हें हिजाब समर्थक याचिकाकर्ताओं ने प्रतिवादी बनाया है. इन शिक्षकों की तरफ से कहा गया कि बच्चों में पहले से ही भेदभाव आ जाएगा तो अच्छी शिक्षा देना मुश्किल हो जाएगा. अनुशासन के बिना पढ़ाई कैसे हो सकती है? शिक्षक को बच्चों से बिना भेद किए बात करने दिया जाए. हिजाब से अलग पहचान बनाने की कोशिश सही नहीं है.
‘शिक्षा को धर्म से अलग किया’
एक शिक्षक (Teacher) ने यह दलील भी दी कि वह लोग शिक्षा (Education) की बात कर रहे हैं, लेकिन कुछ लोग धर्म (Religion) की बात कर रहे हैं. अगर ट्राउजर यूनिफॉर्म (Uniform) है तो क्या कोई कह सकता है कि मैं इसे नहीं पहनूंगा. यह मेरे धर्म के विरुद्ध है. उन्होंने यह भी कहा कि 50% से अधिक नोबल विजेता (Nobel Prize Winner) ऐसे धर्म से हैं, जिसने शिक्षा को धर्म से अलग कर दिया है.
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