इंदौर: एमपी के इंदौर में कोरोना वायरस का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. लिहाजा लॉकडाउन का पालन, पुलिस और कुछ नगर सुरक्षा समिति के सेवक कड़ाई से करा रहे हैं. इसी बीच इंदौर में एक ऐसा वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक लग्जरी कार पर सवार युवक को गार्ड ने रोका और कर्फ्यू पास होने के बावजूद मास्क ना पहनने की सजा के तौर पर उससे उठक - बैठक भी लगवाई.


जानकारी के मुताबिक पुलिस के सोशल गार्ड ने शहर के एमआर 10, चंद्रगुप्त चौराहे पर लग्जरी कार में सवार युवक को पहले तो रोका और गाड़ी को साइड में लगवाया. इसके बाद युवक कार से उतरा और उसने अपना कर्फ्यू पास दिखाने की कोशिश की लेकिन पुलिस गार्ड ने उसकी एक ना सुनी. क्योंकि पुलिस की नजर में युवक कोरोना के दौर में खुली कार में बगैर मास्क लगाए घूम रहा था.


वीडियो हुआ वायरल


लिहाजा पुलिस ने पहले युवक से अपने पास और मोबाइल को कार में ही रखने की बात कही और उसके बाद जो हुआ वो मिन्नतें करने वाले युवक की भी समझ से परे था. पुलिस ने डंडा दिखाते हुए युवक को अनूठी सजा दी और लाखों रुपए की कीमत की कार में सवार युवक को आखिरकार उठक - बैठक की सजा भुगतना पड़ी. बाद में पुलिस के उग्र रूप को देखकर लग्जरी कार सवार, उठक-बैठक करता नजर आया. जिसके बाद युवक तो चला गया लेकिन सोशल मीडिया पर "फरारी की सवारी' पड़ गई भारी" जैसे टैग के साथ वीडियो जमकर वायरल हो गया.


ये वीडियो एमआर10 चौराहा का बताया जा रहा है और पीले रंग की लग्जरी कार के वीआईपी नम्बर से पता चला है कि ये कार शहर के सांवेर रोड़ औद्योगिक क्षेत्र स्थित आशा कंफेसनरी के नाम से रजिस्टर्ड है. जिसके मालिक दीपक दरयानी नामक उद्योगपति है. जो लॉकडाउन के दौरान इंदौर कंफेसनरी एसोसिएशन और आशा कंफेसनरी कंपनी के जरिये 15 हजार फूड पैकेट नगर निगम के जरिये गरीब और भूखे लोगों तक पहुंचा रही हैं.


दीपक दरयानी कर रहे हैं लॉकडाउन में मदद


वही इनमें से 5 हजार पैकेट हॉस्पिटल, पुलिस और जरूरतमंद लोगों तक भी पहुंचा रहे हैं ताकि कोई भूखा ना रहे. हम आपको ये इसलिये बता रहे हैं कि कार में सवार युवक, मानव सेवा में जुटे उद्योगपति दीपक दरयानी का बेटा संस्कार दरयानी है जो फूड पैकेट्स बांटने सहित अन्य कामों में मदद करता है.


लेकिन, शनिवार को वायरल हुए वीडियो में संस्कार की कार ही उसके लिये मुश्किल का सबब बन गई. दरअसल, 85 लाख की कीमत रखने वाली पोर्श लिमिटेड कंपनी की कार एक ओपन कार है. जिसे रसूखदार युवक द्वारा खाली सड़क पर तेजी से ले जाया जा रहा था.


युवक ने नहीं पहना था मास्क


इस बीच जब युवक पर पुलिस की नजर पड़ी तो पता चला कि उसने घर से बाहर निकलने के लिये अनिवार्य किया गया मास्क नहीं पहना है. जिसके बाद युवक को सजा भुगतनी पड़ी. हालांकि कार सवार युवक ने पुलिस और नगर सुरक्षा समिति के गार्ड पर बदतमीजी के आरोप भी लगाए है लेकिन बावजूद इसके कई सवाल उठ रहे हैं.


भले ही युवक सोशल कॉज के लिये कार में सवार होकर जा रहा था लेकिन कोरोना संकट के दौर में एक मामूली सी गलती भी किसी की भी जान आफत में डाल सकती है. लिहाजा पुलिस के इस सबक की सराहना सोशल मीडिया पर जमकर की जा रही है.


कोरोना महामारी के दौर में आशा कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग देने वाले निगमायुक्त, आशीष सिंह के घर पर जब वो ही कार्यकर्ता कोरोना सर्वे के लिये उनके घर पहुंची तो निगमायुक्त और उनके परिवार ने मास्क पहनकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर बकायदा पूरी जानकारी आम लोगों की ही तरह दी. ऐसे में ये साफ है कोरोना की गाइडलाइन का पालन करना ना सिर्फ आम लोगों के लिए जरूरी है बल्कि खास और रसूखदार लोगों के लिये भी उतना ही जरूरी है.


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