नई दिल्लीः दिल्ली की सीमाओं पर नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने समर्थन करते हुए उन्हें फ्री कानूनी सहायता देने की बात कही है. दवे की पेशकश का आंदोलन से जुड़े नेताओं ने स्वागत किया है.


दरअसल, शुक्रवार को आंदोलनरत किसानों की संघर्ष समिति के सदस्य और किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा और वरिष्ठ वकील हरविंदर सिंह फूलका ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे से मुलाकात की थी. मीटिंग के बाद एडवोकेट दुष्यंत दवे ने कहा कि किसान किसी भी केस को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लड़ना चाहते हैं तो मैं उनके लिए अपीयर होने के लिए तैयार हूं.


इसके साथ ही दवे ने कहा कि मैं किसानों के साथ खड़ा हूं. उन्होंने कृषि कानूनों को असंवैधानिक और गैरकानूनी करार दिया.


दुष्यंत दवे की पेशकश के बाद एडवोकेट एचएस फूलका ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम इसके लिए दुष्यंत दवे के शुक्रगुजार हैं कि उन्होंने किसानों की कानूनी रूप से मदद करने की पेशकश की है. उन्होंने कहा कि जब देश के सीनियर वकील कह रहे हैं कि ये कानून किसानों के हित में नहीं हैं तो सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए.


 





किसानों और सरकार के बीच आज फिर बातचीत


आज सरकार और किसानों के बीच मुद्दे को सुलाझाने के लिए अगले दौर की बातचीत होगी. इस बातचीत में सरकारी पक्ष का नेतृत्व केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर करेंगे और उनके साथ रेल मंत्री पीयूष गोयल एवं वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोमप्रकाश भी होंगे.


किसानों का 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान


इधर, आंदोलनरत किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है. भारतीय किसान यूनियन के महासचिव हरिंदर सिंह लखवाल ने कहा, "शुक्रवार की हमारी बैठक में हमने आठ दिसम्बर को ‘भारत बंद’ का आह्वान करने का फैसला किया और इस दौरान हम सभी टोल प्लाजा पर कब्जा भी कर लेंगे. यदि इन कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो हमने आने वाले दिनों में दिल्ली की शेष सड़कों को अवरूद्ध करने की योजना बनाई है."


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