क्या DUSU के नतीजे तय करेंगे दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले यूथ का मूड ?
दिल्ली के आने वाले चुनावों में युवा वोटर की बड़े पैमाने पर भूमिका रहेगी लिहाजा आज आए डूसू चुनाव के नतीजों का भी इस पर असर देखा जा सकता है.
नई दिल्लीः देश की धड़कन कही जाने वाली राजधानी दिल्ली में होने वाले विधानसभा के चुनाव अब बहुत दूर नही हैं. आम आदमी पार्टी चुनाव में विजय हासिल करने के लिए अभी से एड़ी चोटी का ज़ोर लगाते हुए दिख रही है लेकिन दिल्ली के दिल में क्या है ये चुनाव से पहले समझने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनावों (डूसू) की अहम भूमिका समझी जा सकती है जहां 1.3 लाख युवा पढ़ते हैं. इनमें से कई हज़ार युवा दिल्ली का वोटर भी है जो आगामी चुनाव में अपनी हिस्सेदारी निभाएगा, लिहाज़ा डूसू के चुनावी नतीजों का असर आने वाले दिल्ली के विधान सभा चुनाव पर भी हो सकता है.
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ ( डूसू) 2019 चुनाव के नतीजे आज घोषित हो गए. बीजेपी समर्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने अध्यक्ष पद , उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव समेत तीन पदों पर जीत दर्ज की वहीं कांग्रेस समर्थित नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया ( एनएसयूआई ) केवल सचिव पद को हासिल करने में सफल रहा. ये नतीजे साल 2018 में हुए डूसू के चुनाव के नतीजों की याद दिलाते हैं जब इन ही सीटों पर एबीवीपी की जीत हुई थी और एनएसयूआई के हाथ तब भी सचिव का पद ही लगा था. तब भी कांग्रेस की छात्र इकाई ने एबीवीपी की जीत पर सवाल उठाते हुए ईवीएम मशीन में होने वाली छेड़छाड़ की खबरों को ज़िम्मेदार माना था और इस बार भी एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में एनएसयूआई के सचिव पद पर जीत हासिल करने वाले आशीष लांबा ने बताया कि "हमें ईवीएम से छेड़छाड़ की खबरें मिली थी जिसके खिलाफ हम लगातार आवाज़ उठाते रहे हैं.
दिल्ली यूनिवर्सिटी में एबीवीपी और एनएसयूआई के बीच प्रमुख तौर पर मुकाबला होता है. डूसू चुनाव के लिए गुरुवार को मतदान हुए थे जिसमें 1.3 लाख छात्रों में से 39.9 प्रतिशत छात्रों ने मतदान किया था. अध्यक्ष पद पर एबीवीपी के अक्षित दहिया ने एनएसयूआई की चेतना त्यागी को उन्नीस हज़ार से ज़्यादा वोटों से हराया. उपाध्यक्ष के पद पर एबीवीपी के प्रदीप तंवर ने दूसरे नंबर तक पहुंचे एनएसयूआई उम्मीदवार अंकित भारती को 8574 मतों से हराया.
सचिव के पद पर एनएसयूआई के आशीष लांबा को 20934 वोटों से जीत मिली जिन्होंने ऑल इंडिया स्टूडेंट्स असोसिएशन (आइसा) के उम्मीदवार विकास कुमार को मात्र 2053 वोटों से पीछे छोड़ दिया. संयुक्त सचिव के पद पर एबीवीपी की महिला उम्मीदवार शिवांगी खड़वाल लगभग तीन हज़ार वोटों से एनएसयूआई उम्मीदवार अभिषेक चपराना से जीतीं.
मतदान देने वाले युवाओं ने एबीवीपी को चार में से तीन केंद्रीय पदों के लिए चुना है लिहाज़ा यह कहना गलत नही होगा कि दिल्ली के आगामी विधान सभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को टक्कर देने के लिए भाजपा खड़ी होगी जिसके साथ बड़ी तादात में युवा वोटर शामिल हैं.
डूसू चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी ने अपनी छात्र इकाई CYSS (छात्र युवा संघर्ष समिति) को इस बार चुनावी मैदान में नहीं उतारा था. गौरतलब है कि पिछले साल वाम पार्टी आइसा और CYSS के गठबंधन को एक भी सीट नही मिली थी.
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