West Bengal DVC water release: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में बाढ़ की स्थिति को लेकर तीन दिनों के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दूसरी बार चिट्ठी लिखी है. उन्होंने इस चिट्ठी में आरोप लगाया है कि दामोदर घाटी निगम (DVC) ने राज्य सरकार से परामर्श किए बिना अपने बांधों से एकतरफा पानी छोड़ा, जिससे कई जिलों में जलभराव हो गया है.


इस बीच पश्चिम बंगाल सरकार में बिजली सचिव आईएएस शांतनु बसु ने डीवीसी के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया. पश्चिम बंगाल सरकार के मुख्य अभियंता सिंचाई एवं जलमार्ग ने भी दामोदर घाटी जलाशय विनियमन समिति (डीवीआरआरसी) से त्यागपत्र दे दिया है.


DVC को पानी छोड़े जाने की जानकारी थी?


ममता बनर्जी ने दावा किया कि DVC की ओर से बिना सलाह के पानी छोड़े जाने के कारण दक्षिण बंगाल के जिलों में बाढ़ की भयावह स्थिति खड़ी हुई है, जिसके चलते व्यापक तबाही हुई है. सीएम ममता की ओर से प्रधानमंत्री को शुक्रवार, 20 सितंबर को लिखे गए पहले पत्र के जवाब में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने कहा था कि राज्य के अधिकारियों को DVC के बांधों से पानी छोड़े जाने के बारे में हर स्तर पर जानकारी दी गई थी. पाटिल ने यह भी कहा कि यह कदम किसी बड़ी आपदा को रोकने के लिए जरूरी था.


50 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित


मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने पत्र में बताया था कि राज्य में 50 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं और इस गंभीर तबाही से निपटने के लिए उन्होंने तुरंत केंद्रीय निधि जारी करने का आग्रह किया है. इसके अलावा, ममता ने DVC की एकतरफा कार्यवाही पर नाराजगी जाहिर करते हुए चेतावनी दी थी कि यदि ऐसा रवैया जारी रहता है, तो पश्चिम बंगाल सरकार DVC के साथ किए गए सभी समझौतों को तोड़ने पर विचार करेगी. इस पत्र में ममता ने केंद्र सरकार से राज्य की सहायता करने और स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए त्वरित कदम उठाने की अपील की है.


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