मुंबई: करीब 30 साल देश की समुद्री-सीमाओं की रखवाली करने के बाद भारतीय नौसेना का विमानवाहक युद्धपोत, 'आईएनएस विराट' की आज ई-नीलामी की जा रही है. मेटल्स एंड स्क्रैप ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन (एमएसटीसी) द्वारा यह ई-नीलामी की जा रही है. दुनिया की सबसे पुराने सेवारत युद्धपोत होने के चलते इसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है.
1987 में भारतीय नौसेना में शामिल हुआ था 'आईएनएस विराट'
साल 1959 में इसने 'एचएमएस हर्मेस' के रूप में ब्रिटिश नौसेना (रॉयल नेवी) के लिए काम करना शुरू किया. साल 1987 में यह भारतीय नौसेना में शामिल हुआ और इसे एक नया नाम 'आईएनएस विराट' दिया गया. लगभग तीन दशकों तक देश के नौसेना में अपने अभूतपूर्व योगदान के बाद इसे आखिरकार साल 2017 में डीकमीशंड कर दिया गया.
'आईएनएस विराट' ने डीकमीशंड होने से पहले 588,280 समुद्री मील यात्रा की
'ग्रैंड ओल्ड लेडी' के नाम से मशहूर इस युद्धपोत ने समंदर में करीब 2,250 दिन बिताए और सेवानिवृत्त व डीकमीशंड होने से पहले इसने 588,280 समुद्री मील या 1.08 मिलियन किलोमीटर की दूरी तय की जो विराट को विक्रांत के बाद देश का दूसरा सबसे मशहूर युद्धपोत बनाता है.
15 साल तक भारत के दोनों समुद्री तट की सुरक्षा में तैनात रहा विराट
विराट ने करीब 15 साल तक भारत के दोनों समुद्री तट- पूर्व और पश्चिम तट- के साथ साथ अरब सागर से लेकर बंगाल की खाड़ी तक अकेले ही दुश्मनों की नापाक हरकतों पर ही नजर ना रखी बल्कि किसी को पास भी नहीं फटकने दिया.
आपको बता दें कि करीब 24 हजार टन वजनी विराट की लंबाई करीब 740 फीट और चौड़ाई करीब 160 फीट थी. उस पर डेढ़ हजार (1500) नौसैनिक तैनात होते थे.
अर्जंटीना के खिलाफ फॉकलैंड-युद्ध में भी शामिल था विराट
विराट को भारत ने 1987 में ब्रिटिश रॉयल नेवी से खरीदा था. उस वक्त विराट का नाम 'एचएमएस हर्मेस' था और ब्रिटेश नौसेना में 25 साल गुजार चुका था. उसने अर्जंटीना के खिलाफ फॉकलैंड-युद्ध में महत्वपूर्ण हिस्सा लिया था.
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