नई दिल्ली: ई-सिगरेट पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का मार्ग प्रशस्त करते हुए राज्यसभा ने सोमवार को इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण, भंडारण और विज्ञापन) निषेध विधेयक 2019 को ध्वनिमत से पारित कर दिया. इस विधेयक को पहले ही लोकसभा में पारित कर दिया गया था जिसे बीती सितंबर में लाए गए अध्यादेश की जगह लेने के लिए पेश किया गया था.


विधेयक पर सदस्यों का जवाब देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बच्चों के व्यापक हित में सर्वसम्मति से विधेयक को पारित करने का आग्रह किया. मंत्री ने कहा, "अब इस बात के साक्ष्य हैं कि ई-सिगरेट बहुत हानिकारक है. यह एक दिन तंबाकू से भी बड़ा खतरा बन सकती है. इसलिए सरकार की मंशा इस समस्या को बड़ा बनने से पहले ही खत्म करने की है."


सदन के अधिकांश सदस्यों ने ई-सिगरेट पर प्रतिबंध का समर्थन किया, जबकि कुछ सांसदों ने जानना चाहा कि पारंपरिक सिगरेट पर रोक क्यों नहीं लगाई जा रही क्योंकि वे भी समान रूप से या ज्यादा हानिकारक हैं. विपक्ष के कई सदस्यों ने अध्यादेश लाने व विधेयक को संसद की स्थायी समिति को भेजे बगैर पेश किए जाने को लेकर सवाल उठाया.


इस सवाल पर कि सभी तंबाकू उत्पादों पर रोक क्यों नहीं लगाई जा रही है, हर्षवर्धन ने कहा कि अगर ऐसा होता है तो उन्हें सबसे अधिक खुशी होगी. मंत्री ने कहा, "भारत जैसे विशाल देश में जब किसी एक विशेष उत्पाद का बड़ा उपभोक्ता वर्ग हो जाता है और उसे सामाजिक स्वीकार्यता मिल जाती है तो फिर उसे वास्तव में प्रतिबंधित करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है."


अध्यादेश लाने के कारणों पर मंत्री ने कहा कि कुछ अन्य बातों के अलावा कुछ बड़ी तंबाकू कंपनियों ने अपना नाम बदल लिया और भारत में प्रवेश करने की योजना बनाना शुरू कर दिया. उन्होंने कहा, "वे पूरी तरह से तैयार थे. ई-सिगरेट की वैश्विक निर्माताओं में से जूल नामक कंपनी ने सार्वजनिक तौर पर दिसंबर 2019 में आने की घोषणा की। इसने हम सभी को चिंतित किया."


चर्चा में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के संतनु सेन ने सभी तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध का तर्क दिया, क्योंकि सभी मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं. तृणमूल नेता ने कहा, "धूम्रपान कोरोनरी हार्ट रोग को 2 से 4 गुना बढ़ाता है. यह स्ट्रोक को 2 से 4 गुना बढ़ाता है. यह फेफड़े के कैंसर को 25 गुना बढ़ाता है और सीओपीडीए (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज) को 13 गुना बढ़ाता है."


कांग्रेस सांसद बी.के.हरिप्रसाद ने कहा कि वह ई-सिगरेट का समर्थन नहीं करते, लेकिन जिस तरह से विधेयक लाया गया है, उसके तरीके का विरोध करते हैं. उन्होंने इसे लाने की सरकार की मंशा पर संदेह जताया. चर्चा में माकपा के वरिष्ठ नेता बिनय विश्वम, कांग्रेस सांसद राजीव गौड़ा ने भी भाग लिया.


ई-सिगरेट क्या होता है


ई-सिगरेट यानी इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलीवरी सिस्टम (एंडस) का सबसे आम रूप है. ई-सिगरेट बैटरी संचालित उपकरण होते हैं, जो शरीर में निकोटिन पहुंचाने के लिए इलेक्ट्रिसिटी का उपयोग करते हैं. ये मूल रूप से ऐसे उपकरण हैं जिसमें तंबाकू के पत्तों को जलाया नहीं जाता. बल्कि ई-सिगरेट के अंत में एक एलईडी बल्ब लगाया होता है. जब कोई व्यक्ति कश लगाता है तो यह एलईडी बल्ब बैटरी की मदद से जलता है. सबसे खास बात यह है कि ई-सिगरेट में निकोटीन लिक्विड आम सिगरेट की तरह जलकर धुआं नहीं छोड़ता बल्कि जब एलईडी बल्ब जलता है तो ई-सिगरेट में उपलब्ध निकोटीन लिक्विड गर्म होकर भाप बनाता है, इस तरह ई-सिगरेट इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति भाप खींचता है न कि सिगरेट की तरह धुआं.