E-commerce firms : उपभोक्ता मामले विभाग (Consumer Affairs Department) के तहत काम करने वाली संस्था केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने ई कॉमर्स प्लेटफॉर्मों पर बेचे जा रहे सामानों की पूरी जानकारी नहीं दिए जाने को गम्भीरता से लिया है. अथॉरिटी ने गलत जानकारी देने या जानकारी छुपाने की शिकायतों पर नोटिस भेजकर ज़ुर्माना भी लगाया है.


पिछले एक साल में ऐसे 217 मामलों में ई कॉमर्स प्लेटफॉर्मों को नोटिस भेजा गया है. इनमें सबसे ज़्यादा 202 मामले ऐसे हैं जिनमें सामान के निर्माण के देश के बारे में गलत जानकारी दी गई. इसके अलावा 7 नोटिस ऐसे मामलों में भेजे गए जिनमें सामानों की एक्सपायरी तारीख नहीं बताई गई थी. सबसे ज़्यादा 47 नोटिस इलेक्ट्रॉनिक सामानों के मामले में भेजे गए जबकि दूसरे नम्बर पर कपड़ों के बारे में शिकायतें मिलीं और 35 नोटिस भेजे गए.


उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव लीना नन्दन ने बताया कि कन्जयूमर प्रोटेक्शन ( ई कॉमर्स ) नियम 2020 के तहत ई कॉमर्स प्लेटफॉर्मों पर सामान बेच रहे विक्रेताओं के लिए सामान के निर्माता देश की जानकारी समेत कई अन्य जानकारियां देना अनिवार्य बना दिया गया है. इन कम्पनियों को नोटिस भेजकर ज़ुर्माना भी लगाया गया और सरकार को 41.85 लाख रुपए ज़ुर्माने के रूप में प्राप्त हुए.


अथॉरिटी ने 1 अक्टूबर को की एडवाइजरी जारी


केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने अभी ई कॉमर्स प्लेटफॉर्मों को निर्देश दिया है कि उनके प्लेटफॉर्मों पर बिक रहे सामानों की सभी और सही जानकारी देने को ज़िम्मेदारी इन्हीं प्लेटफॉर्मों की है न कि उनपर सामान बेच रहे विक्रेताओं की. अथॉरिटी ने 1 अक्टूबर को इन प्लेटफॉर्मों को निर्देश देते हुए एक एडवाइजरी भी जारी की है. दरअसल अभी तक अमेजॉन और फ़्लिपकार्ट जैसी ई कॉमर्स कम्पनियां ये दलील देती आई थीं कि वो विक्रेताओं द्वारा सामान बेचे जाने में महज एक मध्यस्थ की भूमिका निभाती है और इसलिए सामान के बारे में जानकारी देने की जिम्मेदारी उसकी नहीं बल्कि उस सामान को बेचने वाले विक्रेताओं की है. लेकिन उनकी इस दलील को अब नकार दिया गया है.


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