(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
ई पलानीस्वामी को मद्रास हाईकोर्ट से बड़ा झटका, AIADMK महासचिव पद पर नियुक्ति अयोग्य करार
AIADMK General Secretary: पलानीस्वामी को पिछले महीने ही अंतरिम महासचिव का पद दिया गया था, साथ ही इसके बाद उन्हें पार्टी चलाने के सभी अधिकार दे दिए गए.
AIADMK General Secretary Row: तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी को मद्रास हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने पलानीस्वामी की AIADMK के महासचिव के तौर पर नियुक्ति को अयोग्य ठहराया है. पलानीस्वामी को पिछले महीने ही अंतरिम महासचिव का पद दिया गया था, साथ ही इसके बाद उन्हें पार्टी चलाने के सभी अधिकार दे दिए गए. दरअसल ये मुद्दा AIADMK जनरल काउंसिल बैठक का है, इसे लेकर पार्टी के नेता ओ पनीरसेल्वम ने हाईकोर्ट का रुख किया था. उन्होंने कहा था कि कानूनों का उल्लंघन कर जनरल काउंसिल के चुनाव कराए गए थे, इसीलिए इसे रद्द किया जाए.
पनीरसेल्वम के समर्थकों में जश्न
दरअसल ये मुद्दा AIADMK जनरल काउंसिल बैठक का है, इसे लेकर पार्टी के नेता ओ पनीरसेल्वम ने हाईकोर्ट का रुख किया था. उन्होंने कहा था कि कानूनों का उल्लंघन कर जनरल काउंसिल के चुनाव कराए गए थे, इसीलिए इसे रद्द किया जाए. अब पनीरसेल्वम के पक्ष में हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद पनीरसेल्वम के समर्थक जश्न मना रहे हैं. उनके घर के बाहर सैकड़ो समर्थक जमा हैं और नारेबाजी कर रहे हैं. अब नई जनरल काउंसिल की बैठक होगी, जिसमें नए सिरे से महासचिवों का चुनाव होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था निर्देश
इससे पहले इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था. इसके अलावा मद्रास हाईकोर्ट को भी आदेश दिया था कि वह तीन सप्ताह के भीतर आम परिषद की बैठक के खिलाफ पनीरसेल्वम की याचिका पर फैसला सुनाए. सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बाद ही मद्रास हाईकोर्ट ने ये फैसला सुनाया है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल AIADMK की आम परिषद की 11 जुलाई को एक बैठक हुई, इस बैठक में पनीरसेल्वम को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया और पलानीस्वामी को अंतरिम महासचिव के तौर पर नियुक्त कर दिया गया. इसके बाद पार्टी में दो धड़े हो गए. पार्टी में मतभेद गहराने के बाद दोहरे नेतृत्व मॉडल को खत्म कर दिया गया. 2016 में AIADMK सुप्रिमो जयललिता के निधन के बाद ये दोहरे नेतृत्व वाली व्यवस्था शुरू हुई थी. जिसमें पलानीस्वामी को मुख्यमंत्री बनाया गया और पनीरसेल्वम उपमुख्यमंत्री बने.
इसके बाद दोनों के बीच आपसी तनाव लगातार बढ़ता चला गया. पलानीस्वामी के पक्ष में पार्टी के ज्यादा नेता थे, ऐसे में मौका देखते ही उन्होंने जुलाई में आम परिषद की बैठक बुलाई और पनीरसेल्वम को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. ईसके बाद पनीरसेल्वम ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. सुप्रीम कोर्ट ने परिषद की बैठक से पहले वाली स्थिति को बरकरार रखने का आदेश दिया, वहीं अब हाईकोर्ट ने भी अपना फैसला सुनाया है.
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