नई दिल्लीः रेलवे प्रोटेक्शन फ़ोर्स ने ई-टिकटिंग की कालाबाज़ारी का एक बड़ा गैंग पकड़ा है. इस गैंग में आपराधिक तरीक़े से पैसे कमाने के इतने हथकंडे अपनाए जाते थे कि जांच एजेंसियां भी हैरान हैं. इस सम्बंध में केंद्रपाड़ा के ग़ुलाम मुस्तफ़ा नाम के शख़्स को गिरफ़्तार किया गया है. ग़ुलाम मुस्तफ़ा 10 दिन तक सुरक्षा एजेंसियों के पास था जिससे इसके गैंग से जुड़े अलग-अलग काम करने वाले लोगों के बारे में पता चला है. ये संगठित आपराधिक गैंग कितने तरह के काम करता है ये बात अब सामने आ रही है.
क्रिप्टो करेंसी में होता है कारोबार
ग़ुलाम मुस्तफ़ा ऑर्गनाइज़ तरीक़े से सॉफ़्ट वेयर डेवेलप करता था और फिर उसे अपने गैंग से जुड़े ग्राहकों को बेंचता था. इसके तार यात्रियों को टिकट बेंचने वाले एजेंट्स तक फैले हुए हैं. इस नेटवर्क से आने वाले पैसे को अलग-अलग बैंक एकाउंट्स में जमा कराया जाता है. पैसा ज़्यादा इकट्ठा हो जाने के बाद उसे क्रिप्टो करेंसी के मार्फ़त भी इस्तेमाल में लाया जाता है.
सरग़ना दुबई का और सॉफ़्ट वेयर कम्पनी सिंगापुर की
इस नेटवर्क का सरग़ना दुबई में रहता है और अभी पकड़ा नहीं गया है. इसके तार एक सॉफ़्ट वेयर कम्पनी से भी जुड़े हैं क्योंकि इस नेटवर्क से पैसा उस सॉफ़्ट वेयर कम्पनी को भी जा रहे हैं. मनी लॉंडरिंग के के मामले में सिंगापुर की पुलिस भी इस सॉफ़्ट वेयर कम्पनी की जाँच कर रही है.
गैंग के कोर ग्रुप में शामिल हैं 225 लोग
आरपीएफ के ड़ीजी अरुण कुमार ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि इस गैंग में सवा दो सौ लोग शामिल हैं. गैंग के सेकेंड लेयर में 18 लोग शामिल हैं . इस गैंग के 28 लोगों को आरपीएफ ने गिरफ़्तार किया है.
ग़ुलाम मुस्तफ़ा के लैप टॉप से हो रहे हैं खुलासे
ग़ुलाम मुस्तफ़ा ने 2015 से टिकट दलाली का काम शुरू किया था. पहले उसने एक स्वतंत्र दलाल की तरह काम करना शुरू किया था. बाद में गैंग का हिस्सा हो गया. उसके लैप टॉप में बहुत सी चीज़ें कोड वर्ड में हैं जिससे धीरे धीरे नई बातें सामने आ रही हैं. इस गैंग में ऐसे लोग भी हैं जिनके पास फ़र्ज़ी आधार कार्ड और फ़र्ज़ी पैन कार्ड निकालने का सॉफ़्ट वेयर है.
गुरु जी है टेक्नोलॉजी मास्टर माइंड
ये पूरा गैंग टेक्नोलोजी के दुरुपयोग से ही पैसे काम रहा है. इस गैंग की टेक्नोलोजी का मास्टर माइंड गुरु जी नाम का एक शख़्स है. पिछले डेढ़ महीने में 17 लाख रूपए ग़ुलाम मुस्तफ़ा के एकाउंट से गुरु जी के एकाउंट में गया है.
टेरर फ़ंडिंग का है अंदेशा
इस गैंग के कनेक्शन तहरिक-ए-पाकिस्तान से भी हैं. दुबई, पाकिस्तान, बंगलादेश और यूगोस्लाविया के कुछ गैंग से भी इसका जुड़ाव है. पाकिस्तान के बहुत सारे नम्बर ग़ुलाम मुस्तफ़ा के लैपटॉप से भी पाए गए हैं. ये गैंग हर महीने 15 करोड़ की कमाई कर रहा है.
झारखंडः शाहीन बाग की तर्ज पर रांची में प्रदर्शन शुरू, महिलाएं ले रही हैं हिस्सा