EAM S Jaishankar: भारतीय समाज में मंदिरों की महत्वपूर्ण भूमिका बताते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि आज इतिहास का पहिया घूम रहा है. उभरते हुए भारत में अब देश की समृद्ध विरासत और संस्कृति की उपेक्षा नहीं की जाएगी. उन्होंने वाराणसी की अपनी यात्रा के दौरान भारतीय समाज में मंदिरों की भूमिका पर एक भाषण देते हुए ये टिप्पणियां कीं.
जयशंकर ने कहा कि "हमें आज महसूस करना चाहिए कि इतिहास का पहिया घूम रहा है. हमारे देश की संस्कृति और समृद्ध विरासत फिर से वापस आ रही है. भारत का फिर से उदय हो रहा है. वह युग खत्म हो गया, जब मंदिरों की उपेक्षा की जा रही थी. उस युग में वे सारी चीजें हमारे विपरीत थीं, अब वह युग बीत चुका है. आज हम फिर से अपनी सभ्यता-संस्कृति की तरफ लौट रहे हैं.
विदेश मंत्री ने मंदिरों का महत्व बताया
जयशंकर ने कहा कि मंदिर केवल आस्था और पूजा के स्थान नहीं हैं बल्कि ये सभी सामाजिक सामुदायिक केंद्र हैं. वे लोगों को इकट्ठा करने के स्थान और ज्ञान के केंद्र हैं. साथ ही वे कला और शिल्प के प्रवर्तक हैं. उन्होंने बताया कि अधिकांश मंदिर भारतीय विरासत के रखवाले हैं. वे हमारे जीवन के तरीके बताते हैं. आज हम वह नहीं होंगे जो हम मंदिरों के बिना हैं.
समकालीन दुनिया में मंदिरों के महत्व पर उन्होंने कहा कि हमें अब वैश्वीकरण के बारे में चिंता करनी होगी. दुनिया में लोग समझ रहे हैं कि हम अलग-अलग समाज से हैं, हम अलग-अलग लोग हैं और हमारी अलग-अलग आस्थाएं हैं. लेकिन हम एक हैं.
हमें अपनी संस्कृति को बढ़ावा देना है, पूरी दुनिया में ले जाना है
जयशंकर ने भारतीय संस्कृति के प्रसार की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अन्य मान्यताओं की प्रतिस्पर्धात्मक प्रगति से निपटने के लिए, भारत को अपनी संस्कृति को बढ़ावा देना होगा. इसे बाकी दुनिया में ले जाना होगा. हमें खुद में सिमटना नहीं है, हमें अपनी संस्कृति को बढ़ावा देना है, हमें इसे लोगों के सामने पेश करना है. इसलिए आप घर पर जो कुछ भी कर रहे हैं, इसमें ही हमें एक रास्ता खोजना होगा. वो संदेश जो दुनिया के बाकी हिस्सों में भी ले जाना है.
भारतीय संस्कृति को दुनिया में उचित स्थान मिलना चाहिए
राजनीतिक और आर्थिक दोनों का फिर से संतुलन तभी होगा जब सांस्कृतिक संतुलन होगा. हमारी आस्था, हमारे विश्वास और हमारी संस्कृति को दुनिया में मान्यता और उसका उचित स्थान मिलना चाहिए. यह आपके लिए हमारी प्रतिबद्धता है. देश की सभ्यता आज भारत से बाहर चली गई है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने कंबोडिया और अन्य देशों में भारतीय मंदिरों के जीर्णोद्धार की दिशा में काम किया है.
मोदी सरकार ने सांस्कृतिक विरासत को सहेजा है
उन्होंने कहा, "आज, जब हम भारतीय सभ्यता का पुनर्निर्माण, पुनर्स्थापन और पुन: ऊर्जा प्रदान कर रहे हैं, हमारा कार्य केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में हो रहा है. मोदी सरकार आने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने हमारी सांस्कृतिक विरासत के जीर्णोद्धार, नवीनीकरण और समर्थन की देखभाल के लिए एक अलग विभाग बनाया है.
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