Earthquake In India: हाल के दिनों में दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर भारत में कई बार भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. राजधानी दिल्ली में भूकंप का ताजा झटके शनिवार (11 नवंबर) को महसूस किया गया था. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 2.6 थी. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार इसका केंद्र उत्तरी दिल्ली में जमीन की सतह से 10 किमी नीचे था. 


इससे पहले शुक्रवार (3 नवंबर) को भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर दिल्ली समेत उत्तर भारत में बार-बार भूकंप क्यों आ रहा है और इससे कितना नुकसान हो सकता है.


सरकार के अनुसार भारत का लगभग 59 प्रतिशत हिस्सा भूकंपों के प्रति संवेदनशील है. यहां आठ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शहर और कस्बे जोन-5 में हैं. इन इलाकों में सबसे अधिक तीव्रता के भूकंप आने का खतरा रहता है. वहीं, राष्ट्रीय राजधानी भी जोन-4 में है, जहां तीव्र भूकंप आ सकता है.


दिल्ली में क्यों आते हैं ज्यादा भूकंप?
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक भूकंप विज्ञानियों का मानना है कि दिल्ली-एनसीआर हिमालय के करीब है, इसलिए यहां टेक्टोनिक प्लेटों में होने वाले बदलावों के कारण भूकंप के झटके महसूस हो रहे हैं. हिमालय के क्षेत्र में 700 सालों से तनाव बढ़ रहा है जो रिलीज हो रहा है. 


तीन एक्टिव भूकंपीय फॉल्ट लाइनों पर है दिल्ली
एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली तीन एक्टिव भूकंपीय फॉल्ट लाइनों के पास स्थित है. विशेषज्ञों का कहना है कि गुरुग्राम दिल्ली-एनसीआर में सबसे जोखिम भरा क्षेत्र है, क्योंकि यह सात फॉल्ट लाइनों पर स्थित है. अगर ये फॉल्ट एक्टिव हो जाएं तो उच्च तीव्रता का भूकंप आ सकता है. यह एक ऐसा भूकंप होगा जो तबाही मचा देगा.

भारत के भूकंपीय क्षेत्र
गौरतलब है कि भारत को भूकंप के लिहाज से जोन-V, जोन-IV, जोन-III और जोन II में रखा गया है. जोन-V में पूरा पूर्वोत्तर भारत, जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्से, हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल, गुजरात का कच्छ , उत्तरी बिहार का हिस्सा और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं.


वहीं, जोन-IV में जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के शेष हिस्से, दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश के उत्तरी हिस्से, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात के कुछ हिस्से, पश्चिमी तट के पास महाराष्ट्र के छोटे हिस्से और राजस्थान शामिल हैं.


जोन-III में केरल, गोवा, लक्षद्वीप द्वीप समूह, उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से, गुजरात और पश्चिम बंगाल, पंजाब के कुछ हिस्से, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक शामिल हैं. वहीं, देश के बाकी हिस्से जोन- II में आते हैं.
 
भारत के 5 सबसे ज्यादा भूकंप-संवेदनशील शहर
स्काईमेट के अनुसार गुवाहाटी, श्रीनगर, दिल्ली, मुंबई और चेन्नई भारत के सबसे ज्यादा भूकंप-संवेदनशील शहर हैं. गुवाहाटी भारत में भूकंपीय क्षेत्रों के जोन-V का हिस्सा है, जिससे यह भूकंप के प्रति संवेदनशील है. गुवाहाटी में पहले भी कई विनाशकारी भूकंप आए हैं और इस क्षेत्र में झटके लगना काफी आम है.


जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर भारत का एक और भूकंप संभावित शहर है. यह भी जोन-V के अंतर्गत आता है. भारत की राजधानी देश के सबसे अधिक भूकंप संभावित क्षेत्रों में तीसरे स्थान पर है, जबकि मुंबई भूकंपीय क्षेत्र III में आता है. चूंकि मुंबई तटीय रेखा पर है. इसलिए यहां सुनामी का खतरा रहता है. इसके बाद चेन्नई का नंबर आता है जिसे  जोन II में रखा गया था, लेकिन हाल ही में शहर जोन-III में स्थानांतरित हो गया.


इन क्षेत्रों में भी भूकंप का सबसे ज्यादा खतरा
इनके अलावा गुजरात के भुज, बिहार के दरभंगा, नागालैंड का कोहिमा, मणिपुर में इंफाल, हिमाचल प्रदेश में मंडी, अंडमान निकोबार में पोर्ट ब्लेयर और असम में जोरहाट और सादिया भी ऐसे इलाके हैं, जहां भूकंप का सबसे ज्यादा खतरा होता है.


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