नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. दिल्ली के अलावा भी कई राज्यों में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. रिक्टर स्केल में भूकंप की 4.6 की तीव्रता आंकी गई है. रात के 9 बजकर 8 मिनट पर भूंकप के झटके महसूस किए गए. भूकंप का केंद्र हरियाणा का रोहतक था.


यह चिंता की बात इसलिए है क्योंकि दिल्ली जैसे क्षेत्र में इस महीने कई बार भूकंप आ चुका हैं. एक महीने के अंदर ये चौथी बार भूकंप आया है. अब सवाल उठता है कि क्या दिल्ली एनसीआर में भूकंप का आगे भी खतरा है.अगर हां तो खतरा कितना बड़ा है. बताया जाता है कि भूकंप के लिहाज से दिल्ली काफी संवेदनशील इलाका है.



दिल्ली सबसे संवेदनशील जोन में


दरअसल भूकंप को लेकर भारत को चार अलग-अलग जोन में बांटा गया है. मैक्रो सेस्मिक जोनिंग मैपिंग के अनुसार इसमें जोन-5 से जोन-2 तक शामिल है.जोन 5 को सबसे ज्यादा संवेदनशील माना जाता है और इसी तरह जोन दो सबसे कम संवेदनशील माना जाता है.


राजधानी दिल्ली को वैज्ञानिकों ने जोन चार में रखा है. जोन चार में वो इलाके आते हैं जहां 7.9 तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है. उत्तर-पूर्व के सभी राज्य, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से जोन-5 में ही आते हैं. उत्तराखंड के कम ऊंचाई वाले हिस्सों से लेकर उत्तर प्रदेश के ज्यादातर हिस्से दिल्ली के साथ जोन-4 में आते हैं. मध्य भारत अपेक्षाकृत कम खतरे वाले हिस्से जोन-3 में आता है, जबकि दक्षिण के ज्यादातर हिस्से सीमित खतरे वाले जोन-2 में आते हैं.


हमारी धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है, इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहते हैं. ये 50 किलोमीटर की मोटी परत, वर्गों में बंटी हुई है, जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है. ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं लेकिन जब ये बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप आ जाता है. ये प्लेट्स क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं. इसके बाद वे अपनी जगह तलाशती हैं और ऐसे में एक प्लेट दूसरी के नीचे आ जाती है.


भूकंप की तीव्रता का अंदाजा उसके केंद्र (एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है. सैंकड़ो किलोमीटर तक फैली इस लहर से कंपन होता है और धरती में दरारें तक पड़ जाती है. अगर भूकंप की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है जिससे भयानक तबाही होती है. लेकिन जो भूकंप धरती की गहराई में आते हैं उनसे सतह पर ज्यादा नुकसान नहीं होता। समुद्र में भूकंप आने पर सुनामी उठती है.