(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Earthquake: तीन घंटे के भीतर तीन राज्यों में भूकंप के झटके, राजस्थान के बीकानेर में सबसे ज्यादा रही तीव्रता
भूकंप की तीव्रता का अंदाजा केंद्र (एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है. इन तरंगों से सैंकड़ो किलोमीटर तक कंपन होता है और धरती में दरारें तक पड़ जाती है.
देश में आए दिन लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं. बुधवार तड़के देश के तीन राज्यों में भूकंप के झटके महसूस किए गए. सबसे ज्यादा तीव्रता राजस्थान के बीकानेर में रही. सुबह 5 बजकर 24 मिनट पर राजस्थान के बीकानेर में भूकंप आया. यहां रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.3 मापी गई. बीकानेर के साथ ही मेघालय में भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. यहां रात करीब 2 बजकर 10 मिनट पर भूकंप आया. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.1 दर्ज की गई. वहीं सुबह 4:57 बजे लद्दाख में स्थित लेह में रिक्टर पैमाने पर 3.6 तीव्रता का भूकंप आया. राहत की बात ये रही कि अभी तक किसी तरह के जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है.
इससे पहले रविवार को गुजरात के कच्छ जिले में 3.9 तीव्रता का भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. दोपहर 12 बजकर 43 मिनट पर 3.9 तीव्रता का भूकंप आया और यह कच्छ जिले से 19 किलोमीटर दूर उत्तर-उत्तर-पूर्वी भाचाऊ में 14.2 किलोमीटर की गहराई पर केंद्रित था. इसी क्षेत्र में एक दिन पहले शनिवार को भी दोपहर 12 बजकर दो मिनट पर 1.6 तीव्रता का भूकंप आया था और उसका केंद्र भाचाऊ से 21 किलोमीटर दूर उत्तर-उत्तर-पूर्व में था. राज्य के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, कच्छ जिला 'बहुत अधिक जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र' में स्थित है. इस जिले में जनवरी 2001 में 6.9 तीव्रता का भूकंप आया था जिससे काफी तबाही हुई थी.
आखिर क्यों आता है भूकंप
धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है. इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर के नाम से जाना जाता है. ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है. इसे टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है. ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह पर हिलती-डुलती रहती हैं. जब ये प्लेट बहुत ज्यादा हिलने लगती है तो उसे भूकंप कहते हैं. ये प्लेट क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं. इसके बाद वह स्थिर रहते हुए अपनी जगह तलाशती हैं इस दौरान एक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे आ जाता है.
भूकंप की तीव्रता का अंदाजा केंद्र (एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है. इन तरंगों से सैंकड़ो किलोमीटर तक कंपन होता है और धरती में दरारें तक पड़ जाती है. अगर भूकंप की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है जिससे भयानक तबाही होती है. लेकिन जो भूकंप धरती की गहराई में आते हैं उनसे सतह पर ज्यादा नुकसान नहीं होता. समुद्र में भूकंप आने पर उंची और तेज लहरें उठती है जिसे सुनामी भी कहते हैं.
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