दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा और पंजाब में भूकंप के झटके महसूस किए गए
दिल्ली-एनसीआर, पंजाब और हरियाणा में भूंकप के झटके महसूस किए गए हैं.
नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा और पंजाब में भूंकप के झटके महसूस किए गए. भूकंप का केंद्र हरियाणा को रोहतक था, जहां आज दो बार भूकंप आए. रोहतक, दिल्ली से करीब 60 किलोमीटर दूर है.
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केन्द्र (एनसीएस) के अनुसार पहला भूकंप 4.5 की मध्यम तीव्रता वाला था, जिसके झटके रात नौ बजकर आठ मिनट पर महसूस किये गये. भूकंप का केन्द्र पांच किलोमीटर की गहराई में स्थित था. दूसरा भूकंप रात के 10 बजे आया, जो 2.9 की तीव्रता का था.
इससे पहले 28 मई को 2.5 की तीव्रता से और 15 मई को 2.2 की तीव्रता से दिल्ली में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. 15 से पहले 10 मई को 3.4 तीव्रता वाली भूकंप आया था. वहीं 13 अप्रैल को 3.5 की तीव्रता वाला भूकंप आया था. जबकि 14 अप्रैल को आए भूकंप की तीव्रता रिएक्टर स्केल पर 2.7 मापी गई थी.
भूकंप के लिहाज से दिल्ली को हमेशा संवेदनशील इलाका माना जाता है. भूवैज्ञानिकों ने दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों को जोन-4 में रखा है. दिल्ली में भूकंप की आशंका वाले इलाकों में यमुना तट के करीबी इलाके शामिल हैं.
भूकंप आए तो क्या करें? भूकंप आने के दौरान घर और बिल्डिंग से बाहर आकर खुले मैदान की तरफ जाना चाहिए. भूकंप आने के दौरान बिल्डिंग या किसी बड़ी इमारत के आस-पास खड़ा नहीं होना चाहिए. भूकंप के वक्त लिफ्ट का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए. भूकंप के दौरान सीढ़ियों का इस्तेमाल करना चाहिए. साथ ही घर की सभी बिजली स्विच को ऑफ कर दें.
दिल्ली सबसे संवेदनशील जोन में भूकंप को लेकर भारत को चार अलग-अलग जोन में बांटा गया है. मैक्रो सेस्मिक जोनिंग मैपिंग के अनुसार इसमें जोन-5 से जोन-2 तक शामिल है.जोन 5 को सबसे ज्यादा संवेदनशील माना जाता है और इसी तरह जोन दो सबसे कम संवेदनशील माना जाता है.
राजधानी दिल्ली को वैज्ञानितों जोन चार में रखा है. जोन चार में वो इलाके आते हैं जहां 7.9 तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है. उत्तर-पूर्व के सभी राज्य, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से जोन-5 में ही आते हैं.
उत्तराखंड के कम ऊंचाई वाले हिस्सों से लेकर उत्तर प्रदेश के ज्यादातर हिस्से दिल्ली के साथ जोन-4 में आते हैं. मध्य भारत अपेक्षाकृत कम खतरे वाले हिस्से जोन-3 में आता है, जबकि दक्षिण के ज्यादातर हिस्से सीमित खतरे वाले जोन-2 में आते हैं.